Mukh Snat Bihar Na Mile मुख-स्नात बिहार मिले न मिले दुःख -व्याकुल शाम नहीं देना

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Mukh Snat Bihar Na Mile मुख-स्नात बिहार मिले न मिले
Mukh Snat Bihar Na Mile मुख-स्नात बिहार मिले न मिले

घायल विश्राम नहीं देना

मुख- स्नात बिहार मिले न मिले दुःख -व्याकुल शाम नहीं देना ।
पथ चाँदनी स्नान मिले न मिले घायल विश्राम नहीं देना ॥

दुःख की गंगा सुख की यमुना धीरज की सरस्वती जिसमें,
जीवन ज्यों हर पल संगम है ,रोदन- गायन- मस्ती इसमें ।
मन शांति विधान मिले न मिले , शापित-कुहराम नहीं देना ॥

काँटे,  छाले, कुहरा, तोड़ी हर उलझन की साँकल,
तूफानों से सम्बन्ध रचे , आँधी को पहनाई पायल ॥
गति का वरदान मिले न मिल्रे ,पथ पूर्णविराम नहीं देना ॥

सुख स्वप्न- अजंता , चाहों की मीनारें , मन का शीशमहल,
क्या – क्या न रचाया साँकसों ने जीवन को करने रंग महल ।
वैभव ,सम्मान मिले न मिले , ऋणग्रस्त-प्रणाम नहीं देना ॥

सुयशामृत- मृग – मरीचिका में फँसकर पी डाला हलाहल,
चाहा था बनना चन्द्रकिरण ,जग ने लिपटा डाला काजल।
गंगा जल पान मिले न मिले , साँसे बदनाम नहीं देना ॥                  

सुरेन्द्र शर्मा ” शिरीष ” का जीवन परिचय