Charkhari Parsi Theatre Ka Kendra चरखारी- पारसी थियेटर का केन्द्र
बुन्देलखण्ड में प्राचीनकाल Charkhari Parsi Theatre Ka Kendra रहा है। संस्कृत नाटककार भवभूति के नाटकों का मंचन कालपी के निकट कालप्रियनाथ मन्दिर की विशाल रंगशाला... Read more
The Cultural Archive Of Bundelkhand
Folk Theater बुन्देलखण्ड-का-लोक-नाट्य Detailed information and research article on Bundelkhand’s folk dance farce and Rawla Nautanki etc.
बुन्देलखण्ड में प्राचीनकाल Charkhari Parsi Theatre Ka Kendra रहा है। संस्कृत नाटककार भवभूति के नाटकों का मंचन कालपी के निकट कालप्रियनाथ मन्दिर की विशाल रंगशाला... Read more
बुन्देली लोक संस्कृति मे कार्तिक स्नान महापर्व में Katkariyon Ka Rahas बुन्देलखंड की व्रत-परम्परा का अंग बन गया है। कार्तिक बदी एक से पूर्णिमा तक... Read more
बुन्देलखंड का काँड़रा राई की तरह मूलतः नृत्य ही है, लेकिन भक्तिकाल के दौरान 16वीं शती के उत्तरार्द्ध और 17वीं शती के पूर्वार्द्ध में जब... Read more
बुन्देलखंड में भाँड़ों के लोकनाट्य को भँड़ैती या कहीं-कहीं नकल कहते हैं। Bhadeti Parampara का प्रचलन प्राचीन है, क्योंकि उसकी लोकधर्मी परम्परा ही नाट्यशास्त्रा में... Read more
बुन्देलखंड में नौटंकी परम्परा Nautanki Parampara हाथरस से आई हाथरस एक समय मे लोक कला के पठन-पाठन और मुद्रण का केंद्र था । इस संचरण... Read more
बुन्देलखंड भारत का हृदय स्थल और Bundelkhand Ki Loknatya Parampara बुन्देली लोकभाषा के जन्म से पूर्व की है। बुन्देली का उद्भव आठवीं-नवीं शती में हुआ... Read more
बुन्देलखंड मे भाँड़ों के लोकनाट्य को भँड़ैती या कहीं-कहीं नकल कहते हैं। प्रदेश में Bundelkhand ki Bhadenti के अलग मंच भी थे और अन्य लोक... Read more
बुन्देलखंड मे रासलीला को रहस नाम से पुकारा जाता है। Bundelkhand ka Rahas बुन्देली लोक नाट्य का ही अलग रूप है। जो बृज और बुंदेली... Read more
बुन्देली लोक संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन हेतु समर्पित संस्था Pahuna Lok Jan Samiti ग्राम- मवई, ज़िला-टीकमगढ़ के सफर को तीन पड़ावों में विभक्त करके... Read more
बुन्देली लोक संस्कृति के संवर्धन के लिये डॉ हिमांशु द्विवेदी के नाटक मूल रूप से बुंदेली भाषा, संस्कृति लोक नाट्य परंपरा और विशेष रूप से... Read more