यह नृत्य भी बरात के डेरे में कन्या पक्ष की स्त्रियों द्वारा किया जाता है। लाकौर का सही शब्द लहकौर= लह$कौर अर्थात् ग्रास लेने का अर्थ रखता है। वर-वधू एक दूसरे को कौर खिलाते हैं और ऐसे आनन्द के क्षणों में नृत्य का अपना औचित्य है। यह Lakaur Nritya जो ढोल नगड़ियों के स्वरों में सम्मोहित था। घूँघट घाले दो स्त्रियाँ अंगुलियों की मुद्राओं और पद-संचालन के मेल से नृत्य करते हुए चमत्कृत कर रहीं होती हैं ।




