Homeबुन्देलखण्ड का सहित्यबुन्देलखण्ड की लोक कथाएंDhokhebaj Mantri धोखेबाज मंत्री- बुन्देली लोक कथा

Dhokhebaj Mantri धोखेबाज मंत्री- बुन्देली लोक कथा

ऐसई ऐसे विजेगढ़ राज में सोमनाथ नाव के एक राजा हते । वे सबई बातों में अच्छे हते, अपनी रैयत खाँ बाल बच्चों जैसो मानत हते। एक बेर उन राजा पै मुसीबत आ परी। उनके राज में सूका पर गओ, उनकी पिरजा फैल – फुट्ट होन लगी । राजा ने सोची के जब पिरजाई नैया तो हम काये रयें? सो भैया ऐसे नोने राजा खाँ दूसरे राजा के इते मेनत मजूरी करने परी । उनको चाल- चलन देखकें राजा ने उने अपनो निजु रक्षक बना लओ ।ऊ राजा के इते Dhokhebaj Mantri हतो ।

अब जे राजा के खास मिहल में चौकीदारी करबू करें। एक समय आदीरात के अरसा पै उने कौनऊ लुगाई के रोबे को ऐरौ मिलो। पैलें तो उन्ने सोची के हुइये मनो जब देखा के बातो बिना रुकें रो रयी है सो इन्ने हाँत में तरवार लैकें ओ तरप जावे की सोची । जे भौत दूर पौचकें का देखत हैं कि एक पेड़े के नेंचें एक लुगाई बैठी- बैठी रो रयी है।

सोमनाथ के ओके जरों जाकें ओसें पूंछी कै काये बाई तुम इत्ती देर से कायेखाँ चिल्या रयीं हो? ओने सोमनाथ में कई कै भैया हम तुमें का बताये के काय रो रये, अरे हम ईसें ये हैं कै आज से एक अठौरिया में मंत्री राजा खों मार डारहे। जो राजा बड़ो नोनो है जाई सोच के मोय रंज होत ।

सोमनाथ ने सुनकें ओसें कई कै देखो बाई तुम कौनऊ फिकर ने करो हम राजा के संगे ऐसे धोको ने होन देंहें। सोमनाथ उतै सें अपने पिहरे पै आ गये । उठत भुन्सरां उनने राजा सें रात की पूरी बातें बता दईं अर राजा सें कई कै आपखाँ सतर्क होकें रेने है। राजा ने संतरी की बात सुनकें अपनी रक्षा कौ पूरो इंतजाम कर लओ ।

एक दिना लौलयां लगत सोमनाथ ने देखो कें कछु आदमी नदिया के जरों ठाँड़े हें वे अपने मों ढाकें हैं। सोमनाथ धीरे से उनके पीछू लग गये। उन आदमों ने नदिया किनारे के पथरा हुमसाये सो भैया उतें बड़ों भोंयरो दिखानो । वे सबरे ऊ भोंयरे में घुस गये, सोमनाथ सोई उनके पांछे लगेते सो वे सोई चले गये। आगे चलकें का देखत हें के वा तो राजा के महल की सुरंग हती बिल्कुल खुक्क इंदयारो । जे सब ऊ सुरंग के दरवाजे के पाछें लुक्क गये, सोमनाथ दरवाजे सें चिपक के ठांड़े हो गये। उने राजा की बैठक सामनेई दिखानी ।

राजा कछु सैनिकों के बीच में हते- फिर पलक की मुरक में उते सें कईयक सैनिक मों में उन्ना बांदें हातों में तरवार लयें आ गये। उन्ने राजा के सबरे सैनिकों खों मारडारो उर राजा खों बाँद लओ। ओई बेराँ सुरंग से लोग जान लगे जैसई के वे निकरें सो सोमनाथ उनकी घींच काटत जावें ऐसई होत करत उन सुरंग के सबरे आदमी मार डारे । उतैसें निकरकें जे सूदे राजा के जरों पौचे उनें जो सिपायी बांदें हते उनखों मारडारे अब एक सिपायी बचो सो ऊँखों पकरलओ अर जैसई ओके मोंपे से उन्ना अगल करो सो बो ससरो राजा को मंत्री हतो ।

बोई तो धोकबाज हतो । राजा ने ओ धोकेबाज मंत्री खों पकरवाकें बंदवा लओ । दूसरे दिनाँ राजा ने अपने मंत्री खों बीच तिगड्डा पै गड़वा दओ । ओखों करयाई तक गड़वाओ हतो । उते एक तक्ती लगवा दई कै इते सें जो कोऊ निकरे ईखों पाँच कोड़ा मारत जाय ।

धोखेबाज मंत्री

विजयगढ़ रियासत में एक राजा राज्य करता था, उसका नाम सोमनाथ था। वह प्रजापालक तथा न्यायप्रिय राजा था। उसके राज्य में प्रजा बड़ी सुखी थी । एक समय उस राज्य में अकाल पड़ा तो प्रजा यहाँ-वहाँ जाकर शरण लेने लगी, पूरा राज्य अस्त-व्यस्त हो गया । अंत में राजा को भी राज्य छोड़ना पड़ा। एक समय ऐसा भी आया, जब राजा को दूसरे राजा के यहाँ नौकरी करनी पड़ी, उसने राजा को अपना असली परिचय नहीं दिया था, लेकिन उसके स्वभाव के कारण राजा ने उसे अपना निजी अंगरक्षक बना लिया था।

एक दिन आधी रात के समय वह मुस्तैदी से पहरा दे रहा था, तभी उसे किसी स्त्री के रोने की आवाज आई, वह लगातार रोये जा रही थी, राजा ने ध्यान देकर सुना तो वह आवाज उत्तर दिशा से आ रही थी। राजा सतर्क तो थे ही, वह अपने हाथ में तलवार लेकर उस दिशा में गये। आगे जाने पर देखते हैं कि एक वृक्ष के नीचे एक स्त्री बैठी है, वह रोये जा रही है।

राजा सोमनाथ ने स्त्री के समीप जाकर उसके रोने का कारण पूछा। स्त्री बोली कि- हे राजन! मैं इसलिए रो रही हूँ, क्योंकि आज से आठवें दिन इस राज्य के राजा का मंत्री अपने ही राजा का वध करेगा – यह राजा बड़ा नेकदिल है, अतः मुझे उसके विषय में सोचकर रोना आ रहा है, अगर कोई प्रयत्न करके उसे बचा सके तो बचा ले।

वह दुष्ट मंत्री राजा को समाप्त करके स्वयं गद्दी पर बैठने के मंसूबे बना रहा है । स्त्री की बात सुनकर सोमनाथ बोले कि देखिये आप रोना बंद करें, ईश्वर की कृपा रही तो मैं राजा को बचाने का प्रयत्न करूँगा ! इतना कहकर वह अपने स्थान पर आ गये ।

दूसरे दिन जब राजा से सोमनाथ की भेंट हुई तो उन्होंने राजा ‘कह दिया कि – हे राजन! आज से आठवें दिन आपके जीवन को खतरा है, इसलिए आप सतर्क तथा सावधान रहें। सोमनाथ की बात सुन राजा ने इसका कारण पूछा तो उसने रात की स्त्री द्वारा कही बात बतला | राजा ने विचार करके अपनी सुरक्षा का इंतजाम कर लिया। इधर सोमनाथ भी सतर्क रहने लगा।

आठवें दिन सोमनाथ सशस्त्र घूम रहे थे, उन्होंने देखा कि रात्रि में नदी के समीप कुछ नकाबपोश एकत्रित हुए वे वहाँ के पत्थर हटाने लगे, पत्थर हटाने पर वहाँ एक सुरंग थी, उसके रास्ते से वे नकाबपोश भीतर चले गये, सोमनाथ भी चुपके से उनके पीछे-पीछे चला गया। वह सुरंग राजा के महल तक जाती थी, अर्थात् वह महल का गुप्त रास्ता था ।

उस रास्ते में घना अंधेरा था। वे सा आपस में बात करते हुए सुरंग के दरवाजे के समीप जाकर खड़े हो गये । यहाँ राजा भी सतर्क थे, उन्होंने अपने चारों तरफ कुछ अंगरक्षक लगा रखे थे, उसी समय अचानक कुछ नकाबपोशों ने आकर राजा पर हमला बोल दिया।

राजा के अंगरक्षक संख्या में कम थे, नकाबपोशों ने उन्हें मार दिया तथा राजा को बांध लिया । सोमनाथ सुरंग से यह सब देख रहा था । उसी समय सुरंग में छिपे नकाबपोश सक्रिय हुए, वे जैसे ही एक-एक करके सुरंग से बाहर की तरफ निकले, तो सोमनाथ उनके सिर अपनी तलवार से काटने लगा, इस तरह से सुरंग में छिपे नकाबपोशों का सफाया कर दिया।

वे सुरंग से बाहर आये तो देखा कि राजा को बंदी बनाये दो नकाबपोश राजा को खींचकर ले जा रहे हैं। सोमनाथ ने शीघ्रता से उनमें से एक पर तलवार से भरपूर वार किया, तो वह चौखाने चित्त पड़ गया। अब एक नकाबपोश ही शेष था, उसे सोमनाथ ने दबोच लिया और जब उसके चेहरे से नकाब हटाया तो वह राजा का मंत्री था।

राजा ने देखा तो सोमनाथ की सहायता से उसे बंदी बना लिया। अगले दिन नगर के प्रमुख चौराहे पर राजा ने उसे कमर तक भूमि में गड़वा दिया और यह सूचना लगा दी कि हर आने-जाने वाला उसे पाँच कोड़े लगाये । पूतगुलाखरी नाई ने अपने अटका के रहस्य को जान लिया था, इसके उपरान्त वे रात्रि विश्राम करने लगे ।

बुन्देलखण्ड की लोक कलाएं 

admin
adminhttps://bundeliijhalak.com
Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

error: Content is protected !!