बुन्देलखण्ड मे विवाह के शुभावसर एक परंपरा, एक रस्म बहुत प्रचलित जिसमें मामा-माईं द्वारा लायी भेंट को चीकट शर्बत पिलाकर, घी गुड़ खिलाकर उतारी जाती है और इस खुशी में स्त्रियाँ नृत्य करने लगती हैं इस नृत्य को Chikat Nritya कहते हैं । वाद्य में ढपला अकेला बजता रहता है, जो नृत्य को तेज या मंद करता है। चीकट की प्रदर्शिनी भी नृत्य को प्रेरणा देती है।
लोक नृत्य अपने हर्षोल्लास की भावनाओं को संप्रेषित करने के लिए लोग करते हैं। गीत ,संगीत, नृत्यों में समाज का प्रत्येक वर्ग आनन्दित होता है। बच्चे बूढ़े और जवान सभी उमंग से भरकर उत्साहित होते हैं । इन सभी नृत्यों में सामाजिक भावनाओं का समावेश होता है। नृत्य जीवन का एक हिस्सा है जो परम्पराओं, संस्कारों तथा अध्यात्मिक विश्वासों पर आधारित होते हैं।