Ab Ke Gaye Kabe Tum Aa Ho अब के गए कबै तुम आ हौ, वो दिन हमें बताओ

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Ab Ke Gaye Kabe Tum Aa Ho अब के गए कबै तुम आ हौ, वो दिन हमें बताओ
Ab Ke Gaye Kabe Tum Aa Ho अब के गए कबै तुम आ हौ, वो दिन हमें बताओ

अब के गए कबै तुम आ हौ, वो दिन हमें बताओ।
होय आधार तनक ई जी खां, ऐसी स्यात धरायो।
जल्दी खबर लियौ जो जानों, इन प्रानन खां चाओ।
ईसुर नेंक चलत की बिरिया, कण्ठ से कण्ठ लगाओ।

नायिका कहती है कि हमें यह तो बता दीजिए कि आज के गए आप कब और किस दिन आऐंगे। अगर आप उस तय अवधि पर नहीं आएंगे तो फिर मुझे जीवित नहीं पाओगे। नायिका विछोह के वर्णन में ईसुरी कहते हैं।

देखो नइयां आँखें भरके, जब से गए निकरकें।
आपन ज्वान फारकत हो गए, मोय फकीरन करकें।
अपने संगै ले गए प्यारे, प्रान पराए हरकें।
ऐसे मानस मिलने नैंया, मानस कौ तन धरकें।
खपरा भओ सूख तन ईसुर, खाक करेजो जरकें।

जब से आप गए, तब से इन आँखों में वह रूप माधुरी न भर सकी। मुझे फकीरन बनाकर आप निशचिंत हो चले गए हैं। मेरे प्यारे। आप मेरे प्राण चुराकर अपने साथ ले गऐ हैं। तुम सच पूछो तो मैं तुम्हें पाकर बड़ी धन्य हूँ कि चाहे कितने भी शरीर धारण कर लूं, किन्तु आप से अच्छा प्रियतम मुझे नहीं मिलेगा। मैं आपकी विरह अग्नि में जल रही हूँ, इस दुःख से मेरा शरीर सूख कर खपरा बन गया है और कलेजा जलकर खाक हो गया है।
 
पीतम बिलम विदेश रहे री, नैनन नीर बहे री।
मोय अकेले निबल पिय बिन, लख अंग अनंग दहे री।
बागन-बगन बंगलन बेलन, कोयल सबद करे री।
ईसुर ऐसी विकल वाम भई, सब सुख बिसर गए री।

महाकवि ईसुरी ने वियोग श्रृँगार का अपनी फागों में जिस तरह निर्वाह किया है, उसे देखकर लगता है कि ईसुरी विरह पीड़ा की तड़पन से भली भाँति परचित रहे हैं।

महाकवि ईसुरी का जीवन परिचय