Homeबुन्देलखण्ड का सहित्यईसुरी की फागेंAbki Ber Bichhurtan Marne अबकी बेर बिछुरतन मरने, का जाने तोय करने

Abki Ber Bichhurtan Marne अबकी बेर बिछुरतन मरने, का जाने तोय करने

अबकी बेर बिछुरतन मरने, का जाने तोय करने।
तुम सुख चाओ हमे दुख दैकें, तोरौ जनम बिगरने।
मोरी कौन ख़बर राने जब, तोय खसम संग परने।
दूर से लखें रजऊ आवत हैं, पांव पुरा पर परने।
रै जै बिसर ईसुरी तुम खां, तुमना हमें बिसरने।

मैने तोरे घर के लाजें, बाहर नीरे काजें।
जितने की जा भाव भगत न, बजत फूट गई झाजें
भए नटखटा दास के लाने, छिन में नीचे छाजें
हे परमेसुर मोरे ऊपर, गिरी गरज के गाजे।
वे न मिली सरम गई ईसुर, धरती फटे समाजें।

प्रेम सच्चा है या झूठा, स्वार्थमय है या निःस्वार्थ, इसे प्रेमीजन भी समझ नहीं पाते और प्रेमपास में बिंधते चले जाते है। किन्तु जब धोखा खाते है तो पश्चाताप करते हाथ मलते हैं, किन्तु यह सदैव एक सा नहीं होता है। सच्चा प्रेम निःस्वार्थ होता है और उसका निर्वाह भी दोने ओर से करने के प्रयास होते हैं, किन्तु कुछ परिस्थितियाँ ऐसी उत्पन्न हो जाती हैं कि उन्हें ना चाहकर भी ऐसे निर्णय स्वीकारने पड़ते हैं जो उन्हें कतई स्वीकार्य नहीं होते है। 

जो तुम जुड़ी बनी रई हमसे, माने बुरओ जनम सें।
प्रीति की रीति निभावत आये, हम तो अपनी गम से।
राजी बुरी तई सिर ऊपर, भई सो भई करम सें।
दुबिधा एक दिया ना जावै, दगाबाज की दम से।
ईसुर मोरी कोद रजऊआ, हुए भलाई तुम सें।

 बिछुड़न की पीडा विरह वेदना का अनुभव वही कर सकता है, जिसने इसे भोगा हो। प्रेम करना आसान है, किन्तु निर्वाह उतना ही कठिन। चलो मान भी लें कि प्रेमी-प्रेमिका में सच्चा प्रेम है, किन्तु यह दुनिया क्या उनके इस प्रेम का निर्वाह करने देगी। जब वे असमर्थ होकर बिछुड़ जाते हैं तो फिर एक-दूसरे के लिए बहुत तड़पते हैं।

ईसुरी का जीवन परिचय 

admin
adminhttps://bundeliijhalak.com
Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

error: Content is protected !!