यह प्रतापेश्वर महाराज धाम Shri Pratapeshwar Dham मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बोर्डर लहार से 17 km पर नावली माता मन्दिर फिर उससे 3 km की दूरी बंगरा रोड पर श्री प्रतापेश्वर धाम ( बरगुवां) पोस्ट नावली जिला जालौन उत्तर प्रदेश में है ।
Shri Pratapeshwar Dham सरकार यह प्रतापेश्वर महाराज धाम मंदिर परम पूज्य श्री श्री 1008 श्री परताप बाबा महाराज एवं श्री पठान बाबा महाराज को समर्पित है और उनके साथ भगवती माँ काली भगवती माँ पीतांबरा धूमावती माई भगवती माँ स्कंद माता श्री गुरु गोरखनाथ जी महाराज,बाला जी महाराज श्री कारस देव श्री भैरव बाबा श्री परीत बाबा श्री नागदेव मेवाती महाराज विराजमान है।
यह स्थान ग्राम बरगुवां, पोस्ट नावली जिला जालौन उत्तर प्रदेश मे पड़ता है लोग यहाँ बताते है कि जहा आज बाबा का स्थान है वहा तकरीबन 350 बर्ष पूर्व एक तालाब हुआ करता था और उस तालाब के बीच ओ बीच मे एक पीपल नीम का पेड़ के नीचे दो मडियाँ ( छोटे मंदिर ) बनी हुई थी जिसे सब श्री परताप बाबा महाराज और पठान बाबा साहब के नाम से पूजते थे।
सुना है जो नीम और पीपल का पेड़ था वो बाबा ने तातून के डॉ भाग करके तालाब मे गाड़ दिये थे उनसे यहा पेड़ लग गए थे कुछ लोग बताते है की बाबा बंगाल से आये थे बारह पाठी और कुछ बताते है कि यहाँ गाँव के बसने से पहले से ही ये स्थान बना हुआ है कुछ बर्ष पूर्व यहाँ जो नीम पीपल अपने आप सूख गये लोगो को स्थान पर जाने मे डर लगने लगा तालाब मे पानी नही रहता था लोगो को इतना डर लगने लगा था की पूजा करना भी कम कर दिया था।
गॉव मे लोग पागल होने लगे जो नये जोड़ा की शादी होती वो लोग परेशान होने लगे बहुत लोग सांप के काटने से मर गए बहुत समय तक ऐसा चलता रहा जो नई बहुये आती उनकी गोद न भरती लोग जब बाहर कही देव स्थान पर जाकर पूछते तो सब यही कहते कि जिसके शरण मे रहते हो उसे ही छोड़ रहे हो जाओ वही जाओ हम कुछ नही कर सकते है सबने हाथ खड़े कर दिये थे।
फिर यहा एक लोहार जाती मे बालक हुआ जब वो 8 साल का था तबसे उसे यह स्थान से बहुत लगाव होने लगा था वो रोज शुभ संध्या धूप दीप करने आने लगा तकरीबन 13 बर्ष की आयु हुई होगी उस बालक की उसी समय स्थान पर बाहर से लोग गोटिया भंडारा करने आये हुए थे वो लोग गोट कब्बाली गान कर रहे थे और वह बालक स्थान पर बैठा हुआ था अचानक उस बच्चे पर सवारी आई तो सब देखते रह गये तब गोटियाओ ने पूछा की आप कौन ? हो क्यों आये हो? अपना परिचय दो?
तब बाबा ने पहली जयकार गुरु गोरखनाथ की फिर काली माई की जयकारा लगाई तब अपना नाम आकासचारी परताप बाबा महाराज बताया और हमारे साथ ये ये शक्तियां साथ चलती है तब ऐसा पहली बार हुआ था की बाबा की सवारी आई हो जो गॉव वाले इकठ्ठा हुए थे उन्होंने पूछा महाराज पूरा गॉव परेशान है लोग पागल हो रहे किसी को सांप काट ले रहा लोगो के वंश नही जी रहे गाय भैंस का दूध सूख जाता है क्या करे आप हम सबका मार्ग दर्शन करे और हमसे जो भी गलती हुई हो उसे बच्चे समझ कर क्षमा करे।
तक लोगो के यह कहने पर बाबा महाराज ने गॉव वालो को आदेश दिया कि जो यहाँ दर्शन करने आयेगा उसके सारे कष्ट बाधाओं से मुक्ति पायेगा तक बाबा ने बताया था की यहाँ समस्त देव शक्तियां निवास करती है।
यहा की एक कथा और सुनने को आती है कि जब डाकुओ का बरचस्व ज्यादा था तक इस गॉव मे डकैतों ने आकर हर घर से जेवर कीमती चीजे लूट कर गॉव से निकल रहे थे तो उन्हें बाहर का रास्ता ही दिखाई नही दे आँखों की रोशनी चली जाए और जब गॉव की तरफ आये तो रोशनी आजाए बहुत भटकते रहे पर गॉव से बाहर निकल नही पाए।
आखिर मे उनका सामना ओछेलाल बाबा जी से हुआ उन्होंने कहा की आप यहाँ से लूटकर बाहर नही ले जा सकते है इससे अच्छा आप सब यही छोड़ दो और फिर यहा कभी मुड़कर मत देखना और ऐसा ही हुआ डकैत सब वही छोड़कर भाग गये थे और यहा हिंदू मुस्लिम बौद्ध जैन सब धर्मों के लोगों का प्रेम देखने को मिलता है।
यहाँ के प्रथम पुजारी श्री ओछे लाल बाबा जी हुए थे जिन पर पहली बार सवारी आई थी मान्यता है कि यहाँ आकर माथा टेकने से जीवन मे आ रही सभी समस्याओं एवं बाधाओ से मुक्ति मिलती है नया मार्ग दिखता है यहाँ ध्वजा नारियल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
मान्यता है कि Shri Pratapeshwar Dham में दर्शन मात्र से -भूत , प्रेत, जिन्न, खब्बीस, मसान, जैसी समस्त बाधाओ से मुक्ति मिलती है यहाँ जिन परिवार मे बच्चे न होते हो या वंश न चल रहा हो तो यहाँ उसकी दवा भी दी जाती है और जो व्यक्ति पागल हो उसे यहाँ दर्शन कराने मात्र से ठीक हो जाते है, सर्प ने काट लिया हो तो प्रतापेश्वर महाराज के नाम से बंध लगाने से सर्प का जहर चड़ता नही है उसके बाद व्यक्ति को यहाँ लाया जाता है मनु महाराज के द्वारा झाड़ा करने से व्यक्ति विष मुक्त हो जाता है यहाँ के पीठाधीश्वर श्री मनु महाराज जी है।




