सैंया बिसा सौत के लाने, अंगिया ल्याये उमाने।
ऐसे और बनक के रेजा, अब ई हाट बिकाने।
उनने करी दूसरी दुल्हिन, जौ जी कैसे माने।
उए पैर दौरे से कड़ने, प्रान हमारे खाने।
मयके से न निंगत ईसुर,जो हम ऐसी जाने।
ऐसी क्या काऊ की गोरी, जैसी प्यारी मोरी ।
दाड़िम दसन सुआ सम नासा, सब उपमा है फोरी।
छू न कड़ी तनक चालाकी, चाल चलन की भोरी।
ईसुर चाउत इन खां ऐसे, जैसे चन्द्र चकोरी।
नायिका की सुन्दरता, हँसन-हेरन बोलन सभी का वर्णन कर ईसुरी ने श्रृँगार रस का बडे़ ही सलीके से निर्वाह किया है। वे कितनी बारीकी से कह जाते हैं।