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Raja Ki Ladki -Nai Ka Shrap राजा की लड़की नाई का श्राप-बनाफरी लोक कथा

Raja Ki Ladki -Nai Ka Shrap किस्सा सी झूठी न बात सी मीठी। घड़ी घड़ी कौ विश्राम, को जाने सीताराम। न कहय बाले  को दोष, न सुनय  बाले का दोष। दोष तो वहय जौन किस्सा बनाकर खड़ी किहिस  और दोष उसी का भी नहीं। । शक्कर को घोड़ा सकल पारे के  लगाम। छोड़ दो दरिया के बीच, चला जाय छमाछम छमाछम। इस पार घोड़ा, उस पार घास। न घास घोड़ा को खाय, न घोड़ा घास को खाय। …. जों इन बातन का झूठी जाने तो राजा को डॉड़ देय।. .. . . कहता तो ठीक पर सुनता सावधान चाहिए। . . . . .।  

एक था राजा, एक थी रानी, उनके एक लड़की थी। एक दिन राजा ने रानी से कहा कि रानी, तुम्हारे  एक ही लड़की है और तुम उसकी भी सेवा-दिखभाल नहीं कर पाती हो। रानी बोली, मुझे खुद से समय नहीं मिलता, मैं लड़की की सेवा क्‍या करूँगी? एक नौकरानी लगा दीजिए। राजा ने कहा, ठीक है, उन्होंने एक नौकरानी लगा दी। अब वह नौकरानी उस लड़की की सेवा करती, उसके कपड़े धुलती, उसे नहलाती, उसके बाल संवारती , सब कुछ करती।

एक दिन जब नौकरानी लड़की के बाल संवार रही थी तो लड़की के बालों से एक जुआँ  निकला। तब उसने उस जुयेँ  को रानी को दिखाया और कहा, देखिए रानी जी, आपकी लड़की के सिर से जुआँ निकला है। रानी ने देखा और बोली , ठीक है, इसे एक शीशी में बंद करके रख दो, राजा साहब को दिखायेंगे। नौकरानी ने उसे एक शीशी में बंद करके रख दिया।

जब राजा साहब आये तो उन्हें दिखाया गया। राजा ने भी उस जुयेँ  को देखा और उसे एक टीन के कनस्तर में रखवाकर, उसे तेल से भरवा दिया। कुछ दिन बीत जाने के बाद वह जुवां बड़ा होकर एक कीड़े का रूप धारण कर लिया।

तब एक दिन राजा ने उस कीड़े को अपने आंगन में एक घरघूला बनवा कर उसमें रखवा दिया और पंचायत बुलाकर कहलवा दिया कि जो कोई इसे पहचान लेगा और बता देगा कि यह क्‍या है? तो मैं अपनी लड़की की शादी उसे से कर दूँगा। अब बड़े-बड़े राजा-महाराजा आये, देखा, परन्तु कोई भी उस जुयेँ  को पहचान न सका।

उधर से ही एक नाई निकला, उसने कहा, राजा साहब, मैं बताऊँ, आप मेरे साथ अपनी लड़की की शादी करेंगे। राजा ने कहा , हाँ करेंगे। इस प्रकार जब नाई ने राजा से शादी का वचन ले लिया तब उसने कहा, राजा साहब, यह जुआँ  है। तब राजा को अपनी लड़की की शादी उस नाई  के साथ करनी पड़ी। शादी हो गयी और राजा ने अपनी लड़की को बारात के साथ बिदा कर दिया।

जब बारात बिदा होकर कुछ दूर निकल गयी तो बारातियों ने सोचा कि यही पर कुछ देर विश्राम कर लें, खाना-पीना , कुछ नास्ता वगैरा कर ले और वहीं पर लड़की का डोली रख दिया गया। तो लड़की मन में सोचने लगी कि हे भगवान। मेरे पिताजी को इतना भी याद न रहा कि कहाँ मैं एक राजा की लड़की और कहाँ मैं इस नाई  के साथ रहूँगी। अतः उसने भगवान से प्रार्थना की कि हे भगवान धरती माता, मैं इसी जगह समा जाऊँ तो वह सचमुच उसी जगह समा गयी।

अब नाई  क्या करता ? उसने कहा, जा तूने मेरा साथ छोड़ा है, भगवान करे, तेरी दाढ़ी दिन का दिन खूब बढ़े और इस तरह कहकर वह चला गया। अब उसी रास्ते से एक दूसरे राजा की बारात निकली, वह किसी दूसरे देश शादी कराने जा रही थी और वह बारात भी विश्राम के लिए उसी जगह पर आकर रुक गयी, वहाँ पर डेरा डाल दिया और उस बारात का लड़का भी वहीं पर उतार दिया  गया, ठीक उसी जगह जहाँ वह राजा की लड़की समा गयी थी।

जब लड़का (दृल्हा) पालकी से उतरकर हाथ-मुंह धोने लगा तो उसने जमीन पर थोड़े-थोड़े दिख रहे, सोने जैसे बाल देखे। उसने अपने पिता को बुलाकर कहा, देखिए पिताजी, इस जगह पर कुछ चमक रहा है, आप इस जगह को खुदवाइए।

राजा ने कहा, नहीं बेटा, कुछ मत खुदवाओ, कही कोई देवी वगैरा न हो? लेकिन लड़का नहीं माना, उसने कहा, नहीं पिताजी आपको खुदवाना पड़ेगा नहीं तो मैं शादी कराने नहीं जाऊँगा, आप जाइए बारात लेकर, मैं यही रहूँगा।

अब राजा को  लड़के की हठ के आगे झुकना पड़ा, क्‍योंकि बिना लड़के के वे बारात लेकर जाकर करते भी क्‍या?   राज्य ने बरातियों से कहकर उस जगह खुदवाया तो वही लड़की पूरा श्रगार किए खड़ी मिली, जिस श्रंगार के साथ वह समा गयी थी।

जब लड़की को बाहर निकाला गया तो वह बोली, राजा साहब, मुझे छोड़ दो, मैं कही नहीं जाऊँगी, मुझे मत ले जाइए। लेकिन लड़के ने कहा, नहीं अब तो मैं तुम्हें ले ही जाऊँगा, तुम्हें ही रखूँगा और वे उस लड़की को डोला में बिठाकर घर ले आये और बारात भी बीच से ही लौट आयी।

उधर लड़की वाले बैठे ही रह गये। लड़के वालों को तो सुन्दर- सी लड़की मिल गयी, सो वे वापस चले आये। अब एक दिन मुहल्ला में ही चूल्हा न्योता निमंत्रण था। कुछ ओरतें रानी को लिवाने के लिए आई तो रानी ने पूछा, ठीक है, कितनी देर लगेगी। उन औरतों ने कहा, ज्यादा से ज्यादा एक घंटे लगेगा। तो रानी बोली, ठीक है, अच्छा आप लोग थोड़ी देर के लिए बाहर घुम आइए, तब तक मैं तैयार हो रही हूँ।

जब वे औरतें चली गयी तो रानी तैयार होने लगी तो उसने अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी देखा, क्यों कि नाऊ ने उसे श्राप दिया था। तो वह बोली, है दाढ़ी। अगर तुममें सत्त है तो तू एक घंटे के लिए उतर जा। सो दाढ़ी सचमुच उतर गयी और रानी ने उसे उठाकर ऐसे ही खुली बखरी (ऑगन) के .ऊपर दौरी (डलिया) में रख दिया।

थोड़ी देर बाद औरतें उसे लिवा ले गयी। अब वहाँ न्‍योते में एक घंटे के बजाय पूरा दिन लग गया, जिससे रानी परेशान हो रही थी। इधर उसके घर में थोड़ी देर बाद मालिन फूल डालने आयी तो रानी की दाढ़ी उसी के चिपक गयी। अब वह बेचारी अपना मुंह बंद किए चली जा रही थी तो रास्ते में वही नाऊ मिल गया।

नाऊ ने कहा, तुम्ही मुझको बीच में छोड़कर धरती में समा गयी थी और उसकी खूब पिटाई की,जिससे मालिन वहीं पर गिर पड़ी। जब गिर पड़ी तो नाऊ उसे छोड़कर चला गया कि कहीं यह मर न जये तो मैं भी फंस जाऊ। अब मालिन अपने घर गयी तो उसने माली से सारा हाल कह सुनाया। माली ने कहा, यह किसी का सत्त है, जो तुम्हें परेशान किए हुए है।

Raja Ki Ladki -Nai Ka Shrap अब रानी जब अपने घर आयी तो वहाँ पर दाढी को न देखकर खूब खुश हुई कि भगवान मेरे जी का जंजाल खत्म हो गया। अब जब राजा आये तो देखा , बड़े खुश हुए और दोनों खूब प्रेम से रहने लगे। किस्सा थी सो हो गयी।

बुन्देली लोक कथाएं  -परिचय 

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