Parshuram Pateriya परशुराम पटैरिया-बुन्देली फाग साहित्यकार

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पंडित Parshuram Pateriya का जन्म ग्राम श्री नगर महोबा के जुझोतियां ब्राह्मण कुल में लगभग सन् १८५७ में हुआ था। इन्हीं पंडित परशुराम पटैरिया ने नार्मल स्कूल पास करके अध्यापन का कार्य किया। वे काव्य कला के आचार्य थे।

पंडित परशुराम पटैरिया सब प्रकार के छन्दों में रचना कर लेते थे, पर ख्याल, लावनी  और फागों के बनाने में उनकी विशेष रूचि थी। भरत मिलाप और  फागपचासा, उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं और आनन्द लहरी, दिलतरंग, बालविनोद जैसी कृतियाँ अप्रकाशित है। उनकी फागें दो प्रकार की हैं-

1 – चौकड़िया  2 – छन्ददार

उनकी फागें आलंकारिक और प्रसाद गुण से पूर्ण है । इनकी फागों का एक उदाहरण इस प्रकार है-

चलियो इन नैनन से डरके, जे लग जात अमर के ।

चितवन चकित चतुर चौगिरदां, तिरछी भौहे करके ।

उड़ान

सब हथयार मात कर डारे, राखे

रावला -बुन्देलखण्ड का लोक नृत्य 

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