बुन्देलखण्ड में बालिकाओं का ऐसा ही लोकोत्सव है ‘‘मामुलिया’’। Mamuliya Ke Geet नारी सौन्दर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। बालिकाओं के विभिन्न अवसरों एवं ऋतुओं के गीतों में मामुलिया के गीत भी आते हैं। बुन्देलखण्ड में कुमारी बालिकाएं भादों मास में कहीं-कहीं क्वार के कृष्ण पक्ष मे मामुलिया के गीतमय खेल खेलतीं हैं। इसके लिए कोई निश्चित तिथि या वार नहीं होता। यह संध्या के समय खेला जाता है।
आंगन में बीच गौबर से चौकोर लीपकर और चौक पूरकर बबूल की कांटोवाली हरी झाड़ी लगा दी जाती है यही मामुलिया है। हल्दी और अक्षत से पूजा करके कांटों में फूल खोंस दिये जाते हैं। चने, ज्वार के फूले, कचरिया आदि का प्रसाद चढ़ाकर बालिकाएं उसकी परिक्रमा लगाती हैं। सजाते समय गाती हैं –
मामुलिया ! मोरी मामुलिया ! कहाँ चली मोरी मामुलिया।
मामुलिया के आए लिवौआ, झमक चलीं मोरी मामुलिया।।
ले आओ-ले आओ चम्पा चमेली के फूल, सजाओ मोरी मामुलिया।
ले आओ-ले आओ घिया, तुरैया के फूल, सजाऔ मोरी मामुलिया।।
जहाँ राजा अजुल जू के बाग, झमक चलीं मोरी मामुलिया।
मामुलिया ! मोरी मामुलिया ! कहाँ चलीं मोरी मामुलिया।।
****************************
ल्याओ-ल्याओ चंपा चमेली के फूल,
सजाओ मोरी मामुलिया।
मामुलिया के आये लिबौआ,
झमक चली मेरी मामुलिया।
पूजन में मामुलिया के स्तुति गान हैं –
चीकनी मामुलिया के चीकने पतौआ,
बरा तरें लागी अथैया।
कै बारी भौजी बरा तरें लागी अथैया,
मीठी कचरिया के मीठे जो बीजा,
मीठे ससुरजू के बोल।
करई कचरिया के करए जो बीजा,
करए सासजू के बोल,
कै बारी बैया, करए सासजू के बोल।
****************************
मामुलिया के आए लिबौआ, झमक चली मोरी मामुलिया,
जितै बाबुल जू के बाग, उतै मोरी मामुलिया,
आजी देखन आई बाग, सजाय ल्याव मामुलिया,
लाओ चंपा चमेली के फूल, सजाओ मोरी मामुलिया,
लयाओ घिया तुरैया के फूल, सजाओ मोरी मामुलिया,
जिहै-जिहै वीरन जू के बाग, उतै मोरी मामुलिया,
भावी देखन आई बाग, सजाय ल्याव मामुलिया,
****************************
ल्याओ चंदा चमेली के फूल, सजाओ मोरी मामुलिया,
जितै-जितै बाबुल जे के बाग, उते मोरी मामुलिया,
मैया देखन आई बाग, सजाय ल्याव मामुलिया,
ल्याओ चंदा चमेली के फूल, सजाओ मोरी मामुलिया।
****************************
चन्दा के आसपास गौअन की रास,
बिटियां पूजें सब-सब रात,
चन्दा राम राम ले ओ,
सूरज राम ले ओ, हम घरै चले।
चंदा के आसपास मुतियन की रास,
बिटियां पूजें सब सब रात।
चंदा राम राम ले औ
सुरज राम राम ले औ, हम घरै चले।
****************************
मामुलिया सी जिन्दगी, कहुं कांटे कहुं फूल
ले ओ संवार आवसीर में, होत सबई में भूल।
लइयो लइयो चमेली के फूल,
सजइयो मोरी मामुलिया,
सज वरन-वरन सिंगार,
सिरहयो मोरी मामुलिया।
कौना लगाये बमूला के बिरछा,
और जरिया की डार,
सिरइयो मोरी मामुलिया …..
****************************
वन तुलसी गुलबंगा बेला,
निके रची कचनार।
सिरइयो मोरी मामुलिया….
बालापन के सपने सहाने,
और अंसुअन की धार,
सिरहयो मोरी मामुलिया….
निरई जग जो पीर न जाने,
और निठुर करतार,
सिरइयो मोरी मामुलिया ….
माई बाबुल की देहरी छूटी,
छूटो वीरन नेह अपार,
सिरहयो मोरी मामुलिया….
छूट गई संग की गुइयां,
छूटी रार तकरार,
सिरहयो मोरी मामुलिया ……
****************************
मामुलिया के आये लिवउआ,
झमक चली मेरी मामुलिया।
ल्याओ-ल्याओ चम्पा चमेली के फूल,
सजाओ मेरी मामुलिया।
सभी मामुलिया के दर्शन कर स्नेह पूर्वक मामुलिया के पूजन तथा विदा के
लिए धन देते हैं। बालिकाएं चौक पूरकर मामुलिया को उस पर रख पूजा करतीं हैं।
अंत में मामुलिया के गले मिलकर विदा लेती हैं तथा उदास होकर उसे पास के नदी
या तालब मे विसर्जित कर देती हैं।
मामुलिया के आ गये लिबौआ,
झमक चली मोरी मामुलिया।
According to the National Education Policy 2020, it is very useful for the Masters of Hindi (M.A. Hindi) course and research students of Bundelkhand University Jhansi’s university campus and affiliated colleges.




