Jija Bundelkhandi का पूरा नाम हनुमान प्रसाद अरजरिया था। ग्राम मोहदरा जिला पन्ना में संवत् 1985 में इनका जन्म हुआ था। जीजा बुंदेलखण्डी ने बुंदेली छक्कों, चौकड़िया और फागों की बड़ी धूम मचाई थी। ‘ब्रज विनोद रसिया’ और ‘परिवार नियोजन’ इनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं तथा फाग रचनाएँ प्रकाशित नहीं हुई। इनकी रचनाओं में बुंदेली माटी की गन्ध है और भाषा में अनुनासिकता की मिठास है। उनकी ‘प्यारी बुंदेली’ नामक फाग रचना बहुत प्रसिद्ध है-
प्रानन से प्यारी बुंदेली, ब्रजभाषा की हेली ।
देवनागरी के आंगन में, खूबई खाई खेली।
कित्ती भाषाओं की बरकें, ईने पैरी सेली ।
नवरस अलंकार से भूषित, एकई जा अलबेली।
‘जीजा’ कवि जा सुघर सलौनी बेलन कैसी बेली