जगदम्बी मन्दिर Jagdambi Mandir 73 फुट 3 इंच लम्बा और 42 फुट 1 इंच चौड़ा है और चित्रगुप्त 74 फूट 6 इंच लम्बा और 51 फुट 9 इंच चौड़ा है। दोनों योजना, निर्माण-शैली तथा अलंकरण की दृष्टि से समरूप है। जिस प्रकार दोनों एक-दूसरे से सटे हुए निर्मित हैं, उसी प्रकार दोनो निर्माण- काल की दृष्टि से भी एक-दूसरे के बहुत निकट हैं।
दोनों निराधार प्रासाद है और उनमें गर्भग्रह, अन्तराल, महामण्डप तथा अर्धमण्डप हैं। जंगदम्बी का अधिष्ठान सादा है और समारोह- यात्रा से युक्त रूपपट्टिका से वचित है, जो चित्रगुप्त की एक विशेषता है। इसके अनिरिक्त, चित्रगुप्त के भीतर महामण्डप के चारों ओर द्वारपालों के छ: युगल / जोड़े है, किन्तु जगदम्बी में मात्र तीन युगल हैं।
जगदम्बी के महामण्डप की छतरी अनलकृत/ अवर्गीकृत है, जबकि चित्रगुप्त का वर्गाकार वितान अधिक अलकृत है, जो कोनों पर पहले अधष्टभुज में परिवर्तित कर दिया गया है और फिर अष्टभूज को उत्तरोत्तर घटते हुए वृत्तों के आकार में परिणत कर दिया गया है। इस प्रकार चित्रगुप्त जगदम्बी के कुछ बाद में निर्मित हुआ प्रतीत होता है।
जगदम्बी मौलिक रूप से एक वैष्णव मन्दिर है, किन्तु गर्भग्रह की प्रधान विष्ण-मूर्ति लुप्त हो गई है और उसके स्थान पर बाद में 5 फुट 8 इंच ऊँची पावंती की चतुर्भुजी मूर्ति स्थापित कर दी गई है। इस पार्वती-प्रतिमा को स्थानीय लोग काले रंग से पोतकर काली या जगदम्बी कहने लगे हैं।




