Dhapla Ramtula Turai ढपला रमतूला तुरइ, अलगोजा की टेक

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Dhapla Ramtula Turai ढपला रमतूला तुरइ
Dhapla Ramtula Turai ढपला रमतूला तुरइ

कुण्डलियाँ

ढपला रमतूला तुरइ, अलगोजा की टेक।
मिलके बजै कसावरी, सब बाजन में एक।।

सब बाजन में एक पालकी पीनस आवै ।
गांव के नायकन कीनों सुख सम्बन्द ।।
थोरौ थोरौ सबइ बहत को रूप दिखावै ।
सानैयां संग ढोल झाँझ सगै हो ठोकी ।
बजे सुबा औ सांज सूहावन रोसनचौकी।
जितने हैं सामान सूनत साजन में साजे ।
चलन चाल चल गई चहत अंग्रेजी बाजे ।
गांव में परवीन एज रंडी को डेरा।
रथ के सगे बहल चाहिये मिल कर बेरा ।
गाड़ी पन्द्रा-बीस भार बरदारी एती।
मिहरबानगी होय सदा मोऊ पै जेती ।
एक थार में खांय एकसैएक बिरादर।
ऐसौ आवौ चहत होय मंडप में आदर ।
इससे जुदे नतैत होंय हेती बेबारी।
ईसे बाहर होंय लोग सब खिजमतगारी ।
फूखन की फुल वाद अजूबा आतिसबाजी।
तेज मसालौ घलत लगै सबऊ खां साजी ।
जगर मगर हो रहे जरब जेबर की जोतें।
रवि से मारें होड़ होत भोरइ के होते।

दूल्हा देव – बुन्देलखण्ड के लोक देवता