Dwij Dhire Khan Isur द्विज धीरे खां ईसुर, पौंचाई परनाम

Photo of author

By admin

धीरे पंडा और ईसुरी के बीच घनिष्ठ मित्रता थी । धीरे पंडा कवि नहीं थे वह एक सुप्रसिद्ध गायक आवश्यक है स्वयं ईसुरी ने उनकी प्रशंसा में कुछ फागें लिखी है…।
कुंडलियाँ

द्विज धीरे खां ईसुर,पौंचाई परनाम।
दिल जाने दिल सौंप दओ, दिल की जाने राम।
दिल राम हमारी जानें, मिंत झूठ ना मानें।
हम तुम लाल बतात जात ते,

आज रात बर्रानें।
सापरतीत आज भई बातें सपनन काये दिखानें।
नां हौ मों हो देख लियत ते, फूले नई समानें।
मांत दिवन मे मोरी ईसुर,तुमे लगो दिल चानें।

जिनके चले अगारू साका बड़ी मोहिनी भाखा ।
बांकेके बोल लगत औरन खां गोली कैसो ठांका ।
बैठे रओ सुनो सब बेसुध खैंचे रओ सनाका ।
दूनर होत नाचने वाली मईं खां जाएं छमाका ।
फागन खां एक धीरे पंडा ईसुर आएं पताका।

बारम देव – बुन्देलखण्ड के लोक देवता 

Leave a Comment

error: Content is protected !!