Homeबुन्देलखण्ड के साहित्यकारBahadur Singh Parmar बहादुर सिंह परमार

Bahadur Singh Parmar बहादुर सिंह परमार

बुंदेली लोक संस्कृति, साहित्य, कला और इतिहास के संरक्षण एवं संवर्धन मे वर्षों से साधनारत, बुंदेली माटी के लाल Shri Bahadur Singh Parmar बुंदेली के सशक्त हस्ताक्षर हैं। जिनकी जीवन यात्रा आर्थिक अभावों से होती हुई बुंदेली साहित्य शिखर पर कीर्तिमान है।
बुंदेलखंड अंचल में लोक साहित्य संस्कृति तथा इतिहास के क्षेत्र में समर्पित भाव से काम करने वाले व्यक्तियों में बहादुर सिंह परमार का नाम अग्रणी है इनका जन्म छतरपुर जिले के हरपालपुर कस्बे के पास स्थित रानीपुरा गांव में हुआ था बचपन से ही मेधावी छात्र रहे।

बहादुर सिंह परमार ने आर्थिक विपन्नता के चलते बड़ा संघर्ष किया कक्षा आठवीं उत्तीर्ण करने पर घर वालों ने आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण पढ़ाने से इंकार कर दिया तो 14 वर्ष की आयु में प्रिंटिंग प्रेस का काम सीख कर स्वयं के व्यय पर प्रथम श्रेणी से हायर सेकेंडरी उत्तीर्ण  कर शासकीय प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हो गए इसके बाद स्वाध्याय परीक्षा देकर स्नातक तथा स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त कर इंटर कॉलेज में व्याख्याता बने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग से चयनित होकर उच्च शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक बने।

बुंदेली लोक संस्कृति, साहित्य, कला और इतिहास मे  27 साल से साधनारत

बाल्यावस्था से ही साहित्यिक सांस्कृतिक अभिरुचि होने से लोक साहित्य की ओर आकर्षित हुए डॉक्टर नर्मदा प्रसाद गुप्त से प्रेरणा लेकर बुंदेलखंड अंचल के लोक साहित्य, संस्कृति,  इतिहास के क्षेत्र में कार्य किया सन् 1996 से ग्राम बसारी में बुंदेली लोक कलाकारों को स्थान देने के लिए बुंदेली विकास संस्थान के माध्यम से बुंदेली उत्सव प्रारंभ किया।

सन् 1999 से बुंदेली बसंत नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन कर रहे हैं जिसमें लोक साहित्य, संस्कृति, इतिहास व समकालीन बुंदेलखंड से संबंधित सामग्री का प्रकाशन किया जाता है। पारंपरिक लोक कलाओं के संरक्षण व संवर्धन के साथ बैलगाड़ी दौड़ तथा अश्व नृत्य जैसी विलुप्त कलाओं का प्रदर्शन कराया जाता है इस कार्य को संपादित करने में बहादुर सिंह परमार की केंद्रीय भूमिका है जो स्थानीय जन सहयोग से संपादित किया जाता है।

आपने बुंदेलखंड अंचल के 56 अज्ञात / अल्प ज्ञात कवियों की पांडुलिपियों का संकलन करके बुंदेलखंड की छंदबद्ध काव्य परंपरा पुस्तक का प्रकाशन कराया बुंदेलखंड की साहित्यिक धरोहर पुस्तक प्रकाशन के साथ बुंदेली व्यंजनों की विलुप्त होती विधियों का प्रकाशन करवाकर महत्वपूर्ण कार्य किया।

बुंदेलखंड अंचल के लोक साहित्य के सर्वे हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से सहयोग प्राप्त कर सहयोग लेकर छतरपुर जिले की लोक कलाओं का संकलन किया समकालीन जीवन के बदलते स्वरूप से भाषा का स्वरूप बदल रहा है जिससे अनेक शब्द प्रचलन से गायब हो रहे हैं।
बुंदेलखंड अंचल में प्रयुक्त बुंदेली के 3000 से अधिक शब्दों का संकलन आपने किया।  बुंदेलखंड अंचल के गांव-गांव में चौकड़िया फाग  लिखने वाले रचनाकार हैं इनका संकलन करवा कर आप अपने चयन कराकर प्रकाशन किया है। बुंदेली लोक साहित्य पुस्तक को मध्यप्रदेश शासन के संस्कृतिक  विभाग द्वारा पुरस्कृत किया गया है।

सन 1898 से 1928 तक दीवान कृपाल सिंह द्वारा लिखे गए बुंदेलखंड के इतिहास के बारह खंडों की पांडुलिपि का संपादन करके प्रकाशन का कार्य आपके द्वारा किया गया। “लोक कवि ईसुरी”  पुस्तक के संपादन के साथ बुंदेली के आधुनिक गीतकार संतोष सिंह बुंदेला के गीतों का संकलन आपके द्वारा किया गया है।

आपने राष्ट्रीय स्तर पर 80 से अधिक शोध आलेखों तथा वक्तव्य के माध्यम से बुंदेलखंड के साहित्य सांस्कृतिक व ऐतिहासिक प्रश्नों को उद्घाटित किया गया है आप भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला के एसोसिएट हैं वहां पर भी आपने स्वतंत्रता संग्राम बुंदेली लोक साहित्य पर प्रमाण विषय अध्ययन प्रस्तुत किया है

बहादुर सिंह परमार
जन्म – 4 जुलाई 1962
पिता – स्व.श्री रन्धीर सिंह परमार
वर्तमान पद – परीक्षा नियंत्रक, महाराजा छत्रसाल बुंदेलखण्ड वि.वि., छतरपुर (म.प्र.)
मूल पद – प्राध्यापक(हिन्दी), उच्च शिक्षा विभाग, मध्यप्रदेश शासन
संपर्क –  एम.आई.जी.-7 हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, छतरपुर (म0प्र0),
ईमेल- bsparmar1962@gmail.com

शैक्षणिक योग्यता- एम. ए. हिन्दी,अर्थशास्त्र, पीएच. डी०
विशेषज्ञता- बुन्देली लोक साहित्य, संस्कृति व इतिहास ।
शैक्षणिक अनुभव- 27 वर्ष(स्नातक व स्नातकोत्तर)

प्रकाशित व संपादित पुस्तकें
1. बुंदेलखण्ड की छन्दबद्ध काव्य परम्परा
2. अमरकान्त का कथा साहित्य
3. बुंदेलखण्ड का साहित्यिक धरोहर
4. बुदेली व्यंजन
5. छतरपुर जिले की लोक कथाएँ
6. 1857 के पूर्व बुंदेलखण्ड में स्वाधीनता संग्राम
7.लोक साहित्य में मानव मूल्य
8.हिन्दी आलोचक नंद दुलारे वाजपेयी
9.बुंदेली लोक साहित्य
10.सृजन की सार्थकता

सम्पादन
1- बुंदेली बसन्त’ पत्रिका (1999 से लगातार)
2-बुंदेलखण्ड का इतिहास- दीवान प्रतिपाल सिंह(12 भाग में)
3-आर्यदेव कुल का इतिहास- दीवान प्रतिपाल सिंह
4-मिठौआ है ई कुंआ को नीर- संतोष सिंह बुंदेला
5-जगदीश के जनगीत
6-अथाई की बातें(त्रैमासिक पत्रिका)
7-बुंदेली लोक कवि ईसुरी
8-होरी: बुंदेली में होली गीत सम्पादन

विशिष्ट उपलब्धियां
1-पचास से अधिक शोध संगोष्ठियों में भागीदारी
2-अनेक राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 80 शोध आलेखों का प्रकाशन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से स्वीकृत तीन लघु शोध परियोजनाओं पर कार्य।
3-चार राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों का आयोजन।
4-बुंदेली विकास संस्थान, छतरपुर के कार्यकारी दल में रहकर प्रतिवर्ष बुंदेली उत्सव का आयोजन।
5-हिन्दी साहित्य सम्मेलन की प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य ।
6-राष्ट्र भाषा प्रचार समिति भोपाल की प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य।
7-साहित्य भारती महाकौशल प्रांत के संरक्षक।

सम्मान व पुरस्कार
1.जनगणना 2001 में उत्कृष्ट कार्य हेतु राष्ट्रपति से कांस्य पदक प्राप्त।
2.उच्च शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश से उत्कृष्ट प्राध्यापक का प्रमाण पत्र।
3- श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद् से बुन्देल भूषण सम्मान।
4- म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा आलोचना हेतु वागीश्वरी सम्मान 2008।
5- आचार्य नंद दुलारे वाजपेयी सम्मान-2016, म.प्र. शासन, संस्कृति विभाग।
6-बुंदेल भूषण सम्मान 2006 लोक साहित्य के लिए श्री वीरेंद्र केशव साहित्य परिषद टीकमगढ़ ने दिया

डॉ.ओमप्रकाश चौबे का जीवन परिचय 

admin
adminhttps://bundeliijhalak.com
Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

error: Content is protected !!