Hamsen Kay Chharaktin Rati हमसें काये छरकतीं राती, औरन खां पतयातीं

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हमसें काये छरकतीं राती, औरन खां पतयातीं।
औरैं आंय तनक दै-दै के, दौर-दौर के जातीं ।
हमतौ कहैं प्रेम की बाते, अपुन जहर सौ खातीं।
जो मिल जायें गली खोरन में, काट किनारौ जातीं।
अटके प्रान ईसुरी तुममें, हमें लगा लो छाती।

वियोग श्रृँगार में नायक-नायिका जब विरह व्यथा से बहुत अधिक पीड़ित हो चुके होते हैं तो उन्हें क्रोध और ग्लानि होने लगती है और वे बुरा-भला कुछ भी बोलने लगते हैं।

/> तुमसे हमने कीन्हीं यारी, गई मति भूल हमारी।
पीछूं से सब हाथ हिलाके, हँसी करे संसारी।
भये बर्बाद असाद कहाए, ऐसी शान बिगारी ।
गओ मौ लौट जानके खा गए, खांड के धोखे खारी।
अपने हातन मारी ईसुर, अपने हाथ कुलारी।

यार और यारी बड़ी विचित्र स्थिति पैदा कर देते है। मुहब्बत किसी से और विवाह किसी और से कर लेने पर दोनों ही नायक और नायिका विरह अग्नि में जलते हैं और एक-दूसरे पर दोषारोपण तक करने लग जाते हैं। वे यह भी नहीं सोचते कि उन्होंने किन परिस्थितयों में विवश होकर यह निर्णय लिया है। ईसुरी भी अपनी नायिका से कह रहे है।

बुन्देलखण्ड की लोक कथाएं 

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