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Yari Sada Nivaye Raiyo यारी सदा निवाए रइयो, बीच बिसर न जइयो

यारी सदा निवाए रइयो, बीच बिसर न जइयो।
जैसो दिन है हाल दिनन में, ऐसेऊं राखीं रइयो।
सुनके बात जिया मोरे की, अपने जिउकी कईयो।
अबै कछू ना बिगरो ईसुर, बांय समर के गइयो।
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करके नेह टोर जिन दइयो, दिन-दिन और बड़इयो।
जैसे मिलै दूद में पानी, ऊसई मनै मिलइयो।
हमरो और तुमारौ जो जिऊ, एकई जानौ रइयो।
कएं ईसुरी बांय गए की, खबर बिसर जिन जइयो।
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बेला आदी रात पै फूला, घर में नईयां दूला।
अपनी छोड़ और की कलियन, भलौ भंवरला भूला।
जौ गजरा की खां पैराऊं, उठत करेजे सूला।
छूटन लागी पुहुप परागे, दृगन कन्हैया झूला।
ईसुर सुनत डगर धर आवें, नगर देह रमतूला।
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मोरे मन की हरन मुनैया, आज दिखानी नइयां।
कै कऊं हुए लाल के संगै, पकरी पिंजरा मइयां।
पत्तन-पत्तन ढूढ फिरे हैं, बैठी कौन डरइयां।
ईसुर उनके लाने हमने, टोरी सरग तरैंयां।

बुन्देलखण्ड के लोक नृत्य 

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