
सिन्धु सभ्यता Indus Civilizationजैसी उच्चकोटी की नगरीय सभ्यता का निर्माण कुशल नगर नियोजकों एवं तकनीशियनों द्वारा किया गया होगा। Sindhu Sabhyta Me Sadken Aur Naliyo Ki Vyavastha सुनियोजित योजना के तहत् आधुनिक व्यावसायिक शैली पर किया गया था। नगरों की सड़कें लम्बी – चौड़ी और सीधीं थी, जो एक – दूसरे को समकोण पर काटते हुई पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण की ओर निर्मित की गयीं थी। सिन्धु सभ्यता के नगरों की सड़कें प्रायः 9 फुट से 33 फुट तक चौड़ी थीं। गलियाँ 9 फुट से 12 फुट तक चौड़ी होती थी
कुछ गलियाँ 4 फुट चौड़ी मिलीं है। मोहनजोदड़ो में एक सड़क 9.15 मीटर चौड़ी मिली है, जो विद्वानों के अनुसार सम्भवतः ‘राजपथ’ थी। सिन्धु – सभ्यता के नगरों में गलियों का विशेष महत्व था, प्रायः भवनों को गलियों द्वारा मुख्य सड़क से जोड़ा गया था। सड़कें मुख्यतः कच्ची ईंटों के द्वारा निर्मित मिलीं हैं। किन्तु कालीबंगा में पक्की ईटों द्वारा सड़कों को निर्मित करने के प्रमाण मिलते हैं।
सिन्धु सभ्यता Indus Civilization में सड़कों की साफ – सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता था। इसके लिए सड़कों के किनारे कूड़दान रखे होते थे या गड्ढे बने होते थे। सड़कों के किनारे भोजनाय होने के प्रमाण मिलते है। मोहनजोदड़ो की दो सड़कों के किनारे भोजनाय होने के प्रमाण मिले है।
नालियाँ
सिन्धु सभ्यता में नालियों की उत्कृष्ट व्यवस्था थी। जो कि, समकालीन विश्व के नगरों में सर्वश्रेष्ठ थी। विश्व की समकालीन किसी भी सभ्यता में ऐसी ’जल निकासी’ प्रणाली नहीं थी। यह अब तक की खोजी गयी विश्व की सबसे प्राचीन प्रणाली है।
प्रायः प्रत्येक सड़क और गली के दोनों ओर पक्की नालियाँ बनाई गई थी। पक्की नालियों को बनाने मे पत्थरों, ईंटों एवं चूने का प्रयोग किया गया था। नालियों की जुड़ाई और प्लास्टर में मिट्टी, चूने तथा जिप्सम का प्रयोग किया गया है।
मकानों से आने वाली नालियाँ अथवा परनाले सड़क, गली की नालियों मे मिल जाते थे। नालियाँ ईट अथवा पत्थरों से ढंकी रहती थी। नालियों को साफ करने हेतु ‘मेनहोल्स’ बनाये गये थे। नालियों में थोड़ी दूरी पर ‘मलकुंड’ बने थे, ताकि इन्हें साफ किया जा सके और कूड़े से पानी का बहाव न रूक सकें। इस प्रकार की सुव्यवस्था 18 वीं शताब्दी तक पेरिस और लन्दन के प्रसिद्ध नगरों में भी नही थी।
बहुत संभव है कि, ऐसी व्यवस्था के संचालन हेतु कोई नगरीय परिषद रही हो। सिन्धु प्रदेश की इस योजना को देखने से स्पष्ट होता है कि, वहाँ के प्रत्येक नगर में कोई न कोई स्थानीय सरकार अवश्य कार्य करती होगी। किन्तु यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि, ऐसी जल निकासी प्रणाली सिन्धु सभ्यता की अनेक छोटी बस्तियों में भी विद्यमान थी।



