Sindhu Sabhyta Me Bhavan Nirman सिन्धु सभ्यता में भवन निर्माण

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सिन्धु सभ्यता Indus Civilization में अत्यन्त सुनियोजित तरीके से भवनों  का निर्माण किया गया था। Sindhu Sabhyta Me Bhavan Nirman नगरीय सभ्यता को साकार रूप कुशल भवन नियोजकों, तकनीशियनों एवं प्रशिक्षित कामगार द्वारा ही दिया गया होगा। सिन्धु सभ्यता के भवनों में प्रायः आँगन, अतिथिगृह, रशोईघर, स्नानघर, शौचालय और कुँए की व्यवस्था रहती थी।

Building construction in Indus Civilization

यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि, मोहनजोदडों के भवनों में प्रायः ‘कुएँ’ मिले है, पुरातत्वविदों का अनुमान है कि, ‘मोहनजोदड़ों’ में

करीब 700 ‘कुएँ’ रहे होगें। किन्तु ‘हड़प्पा’ के घरों में एक भी ‘कुँआ’ नहीं मिला है। सिन्धु – सभ्यता में मकान साधारणतः सड़क के दोनों ओर निर्मित है। सिन्धु – सभ्यता के भवन मुख्यतः पक्की ईंटों के बने होते थे। ईंटे अधिकांशतः आयताकार होती थीं, जिनकी माप में लम्बाई, चौड़ाई एवं ऊँचाई का अनुपात 4: 2: 1 था।

जिस समय मिस्त्र निवासी पक्की ईंटों से अनभिज्ञ थे और मेसोपोटामिया में यह प्रयोग अत्यल्प मात्रा में होता था, उस समय सिन्धु निवासी कच्ची और पक्की दोंनों प्रकार की ईंटों का प्रयोग कुशलता से कर रहे थे। सिन्धु – सभ्यता के मकान की दीवारें बहुत मोटी होती थीं। मकानों की दीवारों पर पलस्तर किया जाता था। अधिकांश मकान एक मंजिल के होते थे। एक से अधिक मंजिल के मकान भी प्राप्त हुए है।

मकानों की छत सम्भवतः लकड़ी की होती थी। मकानों की ऊपरी मंजिल पर जाने के लिए पत्थरों या ईटों की ऊँची और तंग सीढ़ियाँ होती थी। सिन्धु – सभ्यता Indus Civilization के दो मकानों के मध्य खाली जगह रखी जाती थी। मकानों के दरवाजे एवं खिड़कियाँ तंग गलियों में खुलते थे। किन्तु लोथल एकमात्र सिन्धु – सभ्यता Indus Civilization का ऐसा नगर है, जिसके मकानों के दरवाजे एवं खिड़कियाँ मुख्य सड़कों की ओर खुलते थे।

मकान के द्वारों की माप प्रायः लगभग 3 फुट 4 इंच से 7 फुट 10 इंच तक होती थी। सिन्धु – सभ्यता Indus Civilization के मकानों की नींव प्रायः कच्ची अथवा टूटीं – फूंटीं ईंटों की भरी होती थी। मकानों की दीवारों में अलमारी का निर्माण किया जाता था। मकानों में कपड़े एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं को टाँगने के लिए दीवारों में खूँटियों को लगाया जाता था। ये खूँटियाँ शंख, हड्डीयों एवं लकड़ी से निर्मित होती थी।

मकान में रसोईघर किसी कोने में होता था, जिसका पानी सड़क की नालियों में गिरता था। स्नानगृह का फर्श प्रायः पक्की ईटों से निर्मित से होता था। फर्श मिट्टी और खड़िया के पलस्तर से निर्मित किया जाता था। भवनों में शौचालय प्रायः नीचे की मंजिल में होता था, किन्तु कहीं – कहीं दूसरी मंजिल पर भी शौचालय के प्रमाण प्राप्त हुए है। मकान की छतों की जल निकासी के लिए मिट्टी या लकड़ी के परनाले बनाऐ जाते थे।

सिन्धु – सभ्यता Indus Civilization के भवन दो श्रेणियों व्यक्तिगत निवास गृह और सार्वजानिक एवं राजकीय भवनों में विभक्त थे। व्यक्तिगत निवास गृह प्रायः छोटे आकार के मिलते है। छोटे भवनों की माप लगभग 30 फुट लंबी एवं 27 फुट चौड़ी मिलती है, जिनमें छोटे – छोट लगभग 4 – 5 कमरे होते थे।

ये मकान संभवतः साधारण जनता या श्रमिक वर्ग से संबंधित हो सकते है। सिन्धु सभ्यता के नगर – नियोजन में सार्वजनिक एवं राजकीय भवनों का निर्माण गढ़ी वाले क्षेत्र में किया गया था। गढ़ी क्षेत्र सुरक्षा दीवार से सुरक्षित होता था तथा आम जनता से पृथक होता था, इसमें शासक वर्ग निवास करता था।

मोहनजोदड़ो के गढ़ी वाले क्षेत्र में एक भवन लगभग 80 फुट लम्बा एवं 80 फुट चौड़ा मिला है, इस भवन में 20 स्तम्भ लगे हुए थे। अधिकांतः विद्वान इसे ‘सार्वजनिक परिषद् सभागृह’ (Assembly Hall) मानते हैं। मोहनजोदड़ो में एक भवन लगभग 230 फुट लम्बा एवं 78 फुट चौड़ा मिला है, जिसकी बाहरी दीवारें 6 फुट 9 इंच तक मोटी हैं। इस भवन का आँगन लगभग 33 फुट लम्बा एवं 33 फुट चौड़ा का है।

अधिकांतः विद्वान इसे ‘उच्च राज्याधिकारी‘ अथवा ‘धर्माध्यक्ष‘ का भवन मानते है। मोहनजोदड़ों के क्षेत्र में एक लगभग 52 फुट लम्बा एवं 40 फुट चौड़ा एक भवन मिला है, इस भवन से उत्खनन के समय एक ‘दाढ़ीयुक्त पुरूष’ की बैठी हुई मूर्ति प्राप्त हुई है। कुछ विद्वान इसे मन्दिर मानते है और इसके नजदीक प्राप्त लम्बी मूर्ति को पुजारी की मानते है।

सिंधु सभ्यता मे नगर नियोजन 

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