Sindhu Sabhyta Me Mahasnanagar सिन्धु सभ्यता में महास्नानागार

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Big Bathroom in Indus Civilization

सिन्धु सभ्यता के मोहनजोदड़ो के दुर्ग क्षेत्र में बृहत् स्नानागार प्राप्त हुआ है। Sindhu Sabhyta Me Mahasnanagar सिन्धु सभ्यता की सर्वाधिक अद्भुत संरचनाओं में से एक है। मोहनजोदड़ो का महास्नानागार बाह्म (बाहरी) रूप से लगभग 180 फुट लम्बा तथा 108 फुट चौड़ा है। महास्नानागार आकार में आयताकार जलाशय है, जिसका क्षेत्रफल 39’ बाई  23’ बाई 8’ का है। इसकी बाह्म (बाहरी) दीवारें लगभग 2.4 मीटर मोटी हैं।

जलाशय के चारों ओर बरामदे, स्नान हेतु चबूतरे तथा अंदर पहुँचने के लिए 9 इंच चौड़ी तथा 8 इंच ऊँची सीढियाँ बनी हुई हैं। स्नानकुण्ड के अन्दर बनी अंतिम सीढ़ी 16 इंच ऊँची तथा 2 फुट चौड़ी है, जिस पर लोग बैठकर स्नान करते थे।

महास्नानागार के दक्षिण – पश्चिम में छोटे – छोटे कमरे बने है, जोकि 9.5 फीट लम्बे तथा 6 फीट चौड़े हैं। इन कमरों  में से एक कमरे में कुँआ भी था। इसमें सम्भवतः गर्म पानी का प्रबंध रहा होगा। यह ‘पुरोहितों’ के स्नान का स्थान था। स्नानागार में प्रवेश हेतु 6 द्वार बनाए गए थे। कुण्ड के किनारे चार फुट मोटे हैं। स्नानागार की ईंटे खड़िया मिट्टी के साथ लगाई गई हैं।

स्नानागार की बाहरी दीवार पर ‘गिरिपुष्पक’ का एक इंच मोटा प्लास्टर किया गया था। स्नानागार की फर्श का ढाल दक्षिण – पश्चिम की ओर था। स्नानागार से जल की निकासी के लिए विशाल नालियों का निर्माण किया गया है। स्नानागार के एक कोने पर 6 फीट चौड़ी तथा 6 इंच ऊँची नाली बनी हुई है। कार्लेटन ने ‘महास्नानागार की तुलना समुद्र के किनारे स्थित किसी आधुनिक होटल से की है। हिन्दू मंदिरों के जलाशय की भाँति सम्भवतः महास्नानागार का भी धार्मिक महत्व रहा होगा तथा छोटे – छोटे कक्ष महन्तों के निवास स्थान रहे होगें।  वर्तमान हिन्दू धर्म में भी पवित्र जलाशयों में स्नान करना धर्म – कर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

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