सभ्यता और संस्कृति क्या है
what is Civilization and Culture
Sabhyta Aur Sanskriti दोनों शब्द प्रायः पर्याय के रूप में प्रयुक्त किए जाते हैं, फिर भी दोनों में मौलिक भिन्नता है। संस्कृति का संबन्ध व्यक्ति एवं समाज में निहित संस्कारों से है और उसका निवास उसके मानस में होता है। दूसरी ओर सभ्यता का क्षेत्र व्यक्ति और समाज के बाह्य रूप से है। इसलिए सभ्यता समाज के सामूहिक स्वरूप को आकार देती है।
Civilization and Culture
उच्च संस्कृति के एक खास पहलू को सभ्यता कहते हैं। संस्कृति सामाजिक विरासत है जिसमें परंपरा से पाया हुआ कला-कौशल, वास्तु सामग्री, यांत्रिक क्रियाएं , विचार, आदतें और मूल्यों का समावेश होता है। इतिहास में ऐसे अवसर हुए हैं जबकि यांत्रिक प्रगति हो रही है और सभ्यता की प्रगति या तो नहीं हो रही है अथवा उसमें अवनति हो रही है।
उदाहरण के लिए कई स्थानों में कृषि शिल्प की उन्नति सभ्यता की अवनति के साथ देखी गई है। शिष्ट व्यवहार, ज्ञानार्जन, कलाओं का सेवन आदि के अतिरिक्त किसी जाति अथवा राष्ट्र की वे समस्त क्रियाएं व कार्य, जो उसे विशिष्ट बनाते हैं, उसकी संस्कृति के अंग हैं, जैसे घुड़दौड़, नावों की प्रतियोगिता, खान-पान, संगीत नृत्य आदि। व्यक्ति की संस्कृति समूह या वर्ग की संस्कृति पर और वर्ग की संस्कृति उससे पूर्ण समाज की संस्कृति पर, जिसका वह अंग है, निर्भर करती है।
परिवार संस्कृति के विकास में बड़ा कार्य करता है। यह व्यक्ति को मुख्य रूप से दैनिक शिष्टाचार, खान-पान एवं रहन-सहन के तरीकों की शिक्षा देता है और अपने सदस्यों में विभिन्न तरीकों का भी विकास करता है। ये सब संस्कृति के महत्वपूर्ण अंग हैं।
सभ्यता का अर्थ Meaning of civilization
मनुष्य की समस्त प्रगति सभ्यता (सिविलाइजेशन) कहलाती है। एक सभ्य समाज के लोग यायावर जीवन व्यतीत करने की अपेक्षा बड़ी संख्या में स्थायी निवास बनाकर रहते हैं। उनकी लिखित भाषा होती है, उसमें कार्य विभाजन और विशेषीकरण पाया जाता है। उसका व्यवहार औपचारिक रूप से आदिम समाजों की अपेक्षा संस्थाकृत एवं जटिल होता है।
’’टायलर का मत है कि’’ सभ्यता मानव जाति की वह विकसित अवस्था है, जिसमें उच्च श्रेणी के वैयक्तिक एवं सामाजिक संगठन पाए जाते हैं, जिसका उद््देश्य मानव के गुणों, शक्ति और प्रसन्नता में वृृद्धि करना है।’’गिलिन और गिलिन ने संस्कृृति के अधिक जटिल और विकसित रूप को ही सभ्यता कहा है।
मैकाइवर एंड पेज के अनुसार सभ्यता का तात्पर्य उस समग्र प्रक्रिया और संगठन से है, जिसे मनुष्य ने अपनी जीवन की परिस्थितियों को नियंत्रित करने के लिए निर्मित किया है। यह सांस्कृतिक विकास की एक उच्चतर अवस्था है, जिसकी विशेषता बौद्धिक, सौन्दर्यात्मक, तकनीकी एवं आध्यात्मिक उपलब्धियों के कारण है। सभ्यता से तात्पर्य उन सब उपकरणों, कला-कौशल के तंत्र, भौतिक सामग्री, संस्थाओं और तरीकों से है, जिनके द्वारा मनुष्य उन जीवन का सृजन करता है, जिनमें रहकर वह अपनी मूल आवश्यकताओं को स्वतंत्रतापूर्वक और सरलतापूर्वक पूरा कर सके।
सभ्यता द्वारा मनुष्य अपनी परिस्थितियों को इस प्रकार नियंत्रित और परिवर्तित करता है कि वह अधिकाधिक व्यक्तियों के लिए स्वतंत्रतापूर्वक रहने की स्थितियां प्रस्तुत कर सके। सभ्यता मानव क्रिया-कलापों से उत्पन्न होने वाली उन वस्तुओं का नाम है जो मनुष्य की सुरक्षा और स्वतंत्रता का कारण होती हैं। सभ्यता का निर्माण करके मनुष्य ने जीवित रहने की कठिन क्रिया को रोचक तथा संपूर्ण बना लिया है और उन आवश्यकताओं को, जो उसके कष्ट का कारण थीं , आनन्द तथा रस का स्रोत बना दिया है।