जब अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीय सैनिकों ने विद्रोह आरंभ कर दिया था उसे समय जनता भी अंग्रेजों के शासन से तंग हो चुकी थी और हिंदुस्तानी सिपाहियों के साथ-साथ हिंदुस्तान के लोगों ने भी विद्रोह आरंभ कर दिया था। Banda Ke Pramukh Vidrohi नवाब बाँदा अली बहादुर द्वितीय, कर्बी के पेशवा, नारायणराव माधवराव, के अतिरिक्त अन्य प्रमुख विद्रोही निम्न लिखित हैं
1 – मानसिंह-विद्रोही– नवाब ने बागी सिपाहियों तथा अन्य सिपाहियों की सेना गठित की थी। उस सेना का कमान्डर-इन-चीफ मानसिह था। जब अंग्रेजी फोर्स ने लखनऊ पर आक्रमण बोला तो नवाब ने मानसिंह के आधीन बांदा के सैनिकों की एक फोर्स लखनऊ की बेगम की मदद के लिए बाँदा से भेजी थी। इस युद्ध में मान सिंह गम्भीर रूप से घायल हो गया था।
2 – मीर इशाअल्ला- जब विद्रोह चरम सीमा पर था उस समय नवाब के पास लगभग 11 हजार की सेना होगी, जिनमें पैदल तथा सवार भी शामिल थे। इस सेना का कमान्डर-इन-चीफ मोर इंशा अल्ला मिरची था। यह जाएस का निवासी था जो नवाब की सेना में भर्ती हआ था
3 – दीनदयाल गिरि- बांदा खजाने से इसे 586 रुपये मासिक पेन्शन मिलती थी । वह नवाव के साथ विद्रोही हो गया । 16 अप्रल 1858 को जव जनरल विटलाक ने वांदा पर हमला बोला तो बाँदा के निकट भूरागढ़ स्थान पर घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध के दौरान इसे अग्रेजी फोर्स ने पकड़ लिया। 26 अप्रेल 1858 को उसे फांसी पर लटका दिया था।
4 – इमदाद अलो बेग– डिप्टी कलेक्टर (वित्त एवं कोष)
5 – मोहम्मद मोहसूल – पलानी का तहसीलदार ये भी नवाब को बहुत पसंद करते थे। वे नवाब के साथ विद्रोही थे।
6 – रणजोर दौआ – अजयगढ़ की सेना के कमान्डर थे उसने अपनी सेना को निमनी पार किले पर तैनात कर रखा था मौका देखकर बादा नवाब के बागी दल पर हमले बोल दिया करता था।
7 – सरदार खां– बांदा का डिप्टी कलेक्टर था जो नवाब के साथ जा मिला । नवाब ने इसे अपना निजाम बनाया विद्रोह काल में यह प्रशासन सम्भालता था । नवाब का प्रमुख सलाहकार भी था। नवाब के पलायन करने पर इसने अंग्रेजी फौज के समक्ष 12 मई 1858 को आत्म समर्पण कर दिया था ।
8 – ख्वाजा वक्स- बावनी नवाब ने इसके अधीन अपनी सेना को हमीरपुर के कलेक्टर मिस्टर लायड की सहायता के लिये भेजा था। कृपाराम वकील भी सेना के साथ था। इन्होंने नवाब के एक अन्य अधिकारी रहीमुद्दीन की सलाह पर मिस्टर लायड पर हमला बोलने का सेना को आदेश दिया और बताया कि ऐसा करने के लिये नवाब ने आदेश दिया है। लायड तथा ग्रान्ट किसी प्रकार भाग निकले । लेकिन अन्तः उन्हें पकड़ लिया गया और उन्हें 20 जून 1857 को मार डाला गया । साथ ही अन्य क्रिसचियनों को भी, जो पकड़ में आये मौत के घाट उतार दिया गया था।
9 – सेठ उदयकरण- बांदा के प्रमुख महाजन तथा नवाब के सहयोगी।
10 – मीर फरहत अली– तहसीलदार थे । नवाब बाँदा के मन्त्रिमण्डल के सदस्य थे । फरहतअली तो नवाव की कोठी का सहायक निजाम भी था ।
11 – मिर्जा विलायत हुसैन- यह भी नवाब के मन्त्रि-मण्डल का सदस्य था तथा उनका मंत्री था।
12 – मिर्जा गुलाम हैदर खाँ- नवाब वांदा के सलाहकार थे ।
13 – भूरे साहब- नवाब के सहयोगी थे ।
14 – मान खां- विद्रोही नवाब की सेना में मुसरिम ए-फौज था ।
15 – रहीमुद्दीन- नवाब की मुलाजमत में एक अधिकारी था जो नवाब के साथ विद्रोही हो गया था ।
16 – गुलाबराय- कवीं के पेशवा नारायणरावकी सेना अधिकारी था।
17 – खुदा बक्स- यह कर्वी के किले का किलेदार था इसने अंग्रेज सरकार की खिलाफत की थी।
18 – इनायत हसैन- यह बांदा के विद्रोही डाप्पटी कलेक्टर सरदार खां का पुत्र था । यह भी अपने पिता के साथ नवाब के विद्रोही दल में जा मिला था, जब जालौन की राजकुमारी ताई बाई विद्रोह कर रही थी तो इनायत हसैन उसके साथ था । यह जालौन के किले की सुरक्षा पर था। जबकि जालौन के किले पर गुरसरराय के जागीरदार ने हमला बोला था । इस हमले के दौरान इनायत हुसैन पकड़ा गया और उसे अग्रेजी सेना के सुपुर्द कर दिया गया ।
19 – छेदी खाँ, मुसर्रफ अली- ये लोग तो अंग्रेजों के पीछे पड़े हुये थे मिस्टर बिन्जामन की पत्नी को इसने मार डाला।
20 – हनुमन्त- थाना तिन्दवारी के अन्तर्गत विसवाही निवासी अंग्रेज भक्त चन्दू तिवारी से इसकी भिड़न्त हो गई और हनुमन्त ने उसका काम तमाम कर दिया।
21 – साधौ, बालगोविन्द, लल्ला, सुखा, गणेश भ्राता, गंज शिव बक्स चौकीदार, रामचूरा, ज्ञानी ब्राम्हण-ये लोग अंग्रेजी प्रशासन के अमला को समाप्त करने पर तुले हुए थे । इन्होंने मौका देखकर मऊ खास में सुनव्वर बेग चपरासी तथा बल्दू पटवारी तथा अन्य दो व्यक्तियों का कत्ल किया था ।
22 – शिव बक्स-जगन्नाथ, गोपी, सुफारा, गिरवर-राम बक्स निवासी विलमऊ (थाना पैलानी) से ये लोग नाराज हो गये थे । सरकार भक्त और प्रजा भक्तों में नहीं बनी। इन लोगों ने राम बक्स का ८ जून १८५७ को मार डिया गया ।
23 – मोहम्मद उद्दीन बादरे- नवाब ने विद्रोह काल में इसे डिप्टी कलेक्टर बनवाया था।
24 – अहसान अली- यह भी विद्रोही अधिकारिय में से एक था ।
25 – मिर्जा लियाकत हुसेने-बन्ने साहब-अन्य अधिकारी थे। जिन्होंने विद्रोही नवाब का साथ दिया। अंग्रेज सरकार ने इन्हें बागी करार दिया था।