Banda Nawab Ke Sahyogi बांदा नवाब के सहयोगी 

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नवाब अली- आत्मज बसायत अली, अकबर गोलन्दाज, फैज मोहम्मद मुखतयार, देवोदोन-तुर्क सवार, खुदा बेग, गटटू खां उर्फ अहमद अली मुख्तयार निवासी बाँदा ये सब Banda Nawab Ke Sahyogi थे पर इनके अलावा भी बहुत सारे सहयोगी थे जो इस प्रकार हैं ।

वाँदा के बिहारी उर्फ कुंज बिहारी (पुलिस विभाग में नौकर था) रहीम अली तुर्क सवार- कर्वी का ज्वाइन्ट मजिस्ट्रेट, ककरील जब बाँदा के नवाव से मिलने के लिए उसके महल पर गया तो महल के द्वार पर ही उसने उसका काम तमाम कर दिया था।

शिवलाल तिवारी- (५० वीं पल्टन का सुबेदार) मेहताब अली- (आठवीं-पल्टन का सूबेदार) भजन सिंह, फतेह सिंह- छीबू परगने को अंग्रेज सरकार से छीनकर उस पर कब्जा कर लिया था ।

चिरौंजी लाल- सियोंढ़ा का तहसीलदार था और नवाब का साथी। ज्वाला प्रसाद  तहसीलदार बाँदा । हनुमन्त- थाना तिन्दवारी के अन्तर्गत विसवाही निवासी अंग्रेज भक्त चन्दू तिवारी से इसकी भिड़न्त हो गई और हनुमन्त ने उसका काम तमाम कर दिया।

साधौ, बालगोविन्द, लल्ला, सुखा, गणेश भ्राता, गंज शिव बक्स चौकीदार, रामचूरा, ज्ञानी ब्राम्हण- ये लोग अंग्रेजी प्रशासन के अमला को समाप्त करने पर तुले हुए थे । इन्होंने मौका देखकर मऊ खास में सुनव्वर बेग चपरासी तथा बल्दू पटवारी तथा अन्य दो व्यक्तियों का कत्ल किया था ।

शिव बक्स- जगन्नाथ, गोपी, सुफारा, गिरवर-राम बक्स निवासी विलमऊ (थाना पैलानी) से ये लोग नाराज हो गये थे । सरकार भक्त और प्रजा भक्तों में नहीं बनी। इन लोगों ने राम बक्स का ८ जून १८५७ को काम तमाम कर दिया ।

मोहम्मद उद्दीन बादरे- नवाब ने विद्रोह काल में इसे डिप्टी कलेक्टर बनवाया था। अहसान अली- यह भी विद्रोही अधिकारिय में से एक था । मिर्जा लियाकत हुसेन- बन्ने साहब-अन्य अधिकारी थे। जिन्होंने विद्रोही नवाब का साथ दिया। अंग्रेज सरकार ने इन्हें बागी करार दिया था।

नवाब अली- आत्मज बसायत अली, अकबर गोलन्दाज, फैज मोहम्मद मुखतयार, देवोदोन-तुर्क सवार, खुदा बेग, गटटू खां उर्फ अहमद अली मुख्तयार निवासी बाँदा।

इनाम अली सवार- इसने विन्जामिन का कत्ल किया था। बंदे अली- इसने ब्रस का कत्ल किया था। चौधा, चुन्नी- इन्होंने कमासिन तहसील के इलाही वक्स वासिल वाकी नवीस, गाजी चपरासी, पोरा चपरासी, तथा तहसीलदार के माली को दिनांक ८-६-१८५७ को मार डाला था

दुर्गा, बन्दवा, बल्तरुबा, शिवदत्त, गोबरधीन, गंगादीन, सत्तन, महिपाल, लक्ष्मण, गिरराज, उम्मेद, सूका, सुताधोकत, देवीदीन इन लोगों ने बबेरू खास के कारिन्दा सज्जाद अली को १२-६-१८५७ को मार डाला था।

देवकी  निवासी भुजरख- इसने ईश्वरी कायस्थ का तिन्दवारी थानातर्गत ग्राम भुजरख में काम तमाम कर दिया था।

मुरलिया निवासी-सतनीयाव बबेरू थानान्तर्गत सतनीयाव मौजे के कुन्तीना भरभूजा को सितम्बर अक्टूबर १८५७ में मार दिया था ।
मथुरा निवासी अतरौली- कमासिन थानान्तर्गत अतरौली गांव में २४-८-१८५७ को दिलौरिया भाट को मार डाला था।
गोदीन निवासी रामपुर- इसने १६-१०-५७ को रामपुर में राम सहाय का काम तमाम कर दिया था।

छोटे गिरि गोसाई निवासी दरसेड़ा- कमासिन थानान्तर्गत दरसेड़ा मौजे में ११-१२-१८५७ को जोरावन को मार डाला था, जबकि उसने नारायणराव के विद्रोहियों को गाँव लूटने के वक्त सामना किया था।

 

बुन्देली झलक (बुन्देलखण्ड की लोक कला, संस्कृति और साहित्य)

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