HomeधरोहरRaudra Hanuman रौद्र रूप महावीर हनुमान प्रतिमा लालापुर चित्रकूट

Raudra Hanuman रौद्र रूप महावीर हनुमान प्रतिमा लालापुर चित्रकूट

चित्रकूट स्थित श्री महर्षि वाल्मीकि तपोस्थली आश्रम लालापुर चित्रकूट उत्तर प्रदेश प्रमुख प्रवेश द्वार की पावन वसुधा में हाल ही में नीरज मिश्रा द्वारा खोजी गई प्राचीन श्री महावीर हनुमान जी की Raudra Hanuman प्रतिमा पर अपना ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर और प्रसिद्ध इतिहासकार श्री देवी प्रसाद दुबे जी ने बताया की यह महावीर हनुमान जी की ऐतिहासिक प्राचीन प्रतिमा मध्यकालीन इतिहास से संबंधित प्रतीत हो रही है।

 यह महावीर हनुमान जी की प्रतिमा की 15 से 16 वी सदी की है रौद्र मुद्रा में महावीर हनुमान जी की यह ऐतिहासिक प्रतिमा है जो गले में माला और कमर में मेखला में लटकती कटार धारण किए हुए है। यह अनमोल और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर है।

प्रथम खोजकर्ता – लेखक नीरज मिश्रा जी का यह कहना है कि मेरी यह अंतरराष्ट्रीय एवं अति महत्वपूर्ण खोज साबित हो सकती है क्योंकि हाल ही में ऐसी ही महावीर हनुमान जी की प्राचीन ऐतिहासिक प्रतिमा ऑस्ट्रेलिया से वापस लाई गई है ।

प्रथम खोजकर्ता – लेखक नीरज मिश्रा जी का यह कहना है कि मेरी यह अंतरराष्ट्रीय एवं अति महत्वपूर्ण खोज साबित हो सकती है क्योंकि ऐसी बनावट की एकदम समान शिल्पकारी की महावीर हनुमान जी की प्राचीन ऐतिहासिक प्रतिमा हाल ही में ऑस्ट्रेलिया से वापस भारत लाई गई है  माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आदेश से जो पहले कभी वरताराजा पेरूमल विष्णु मंदिर से चोरी हुई थी जो उत्तर चोल काल की 14 से 15 वीं शताब्दी की बताई जा रही है ।

ठीक ऐसी ही ऐतिहासिक प्रतिमा खोज चित्रकूट स्थित श्री महर्षि बाल्मीकि तपोस्थली आश्रम लालापुर चित्रकूट प्रमुख प्रवेश द्वार के जंगल में है । प्रथम खोजकर्ता – लेखक नीरज मिश्रा जी का कहना है की भारत के मानचित्र पर लाला गांव श्री महर्षि बाल्मीकि तपोस्थली आश्रम लालापुर चित्रकूट प्रमुख प्रवेश द्वार के रूप में दर्ज है जो की एक प्राचीन रामायण कालीन प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।

खोजकर्ता – लेखक नीरज मिश्रा को ऐसी जीवंत संस्कृति वाले गाँव का हिस्सा होने पर गर्व है । जहां महर्षि बाल्मीकि जी ने घोर तपस्या करके डाकू रत्नाकर से भगवान त्रिकालदर्शी आदि कवि महर्षि बाल्मीकि बन गए और फिर पवित्र धार्मिक ग्रंथ रामायण महाकाव्य रचकर खुद तो अजर अमर हो गए इतिहास के पन्नों में साथ ही साथ अपनी जन्मभूमि और तपोस्थली लालापुर धाम का नाम भी अजर अमर कर गए ।

रामायण महाकाव्य के आधार पर बड़ा ही मार्मिक वर्णन प्राणों के प्रणेता चित्रकूट के गौरव बाबा गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी अपनी सबसे प्रसिद्ध रचना रामचरितमानस महाकाव्य के आध्योधा कांड में किए हैं। जिससे यह तो साबित हो गया है की लालापुर एक प्रसिद्ध  प्राचीन धार्मिक स्थल है जो रामायण रचनाकार श्री महर्षि बाल्मीकि जी की जन्म स्थली  है।

प्रभु श्री रामचंद्र जी के आशीर्वाद से हाल ही में नीरज मिश्रा  ने अंगिनत प्राचीन रॉक आर्ट कला पर आधारित शैलचित्रो की और प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों की खोज की है  जो की प्रथम दृष्टया देखने के उपरांत रामायण कालीन ही प्रतीत होते हैं ।

परंतु पुरातात्विक सर्वेक्षण होने के उपरांत ही यह निष्कर्ष निकल पायेगा कि ये शैलचित्र और प्राचीन प्रतिमा रामायण कालीन हैं या फिर पुरानी मानव सभ्यता से संबंधित या फिर मध्यकालीन इतिहास से ।

Raudra Hanuman

प्रथम खोजकर्ता – लेखक: नीरज मिश्रा, लालापुर (चित्रकूट)

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