Premlata Nilam 1954 में दमोह के एक सामान्य परिवार में जन्मी प्रख्यात कवियित्री और साहित्यकार हैं। उन्होंने हिन्दी साहित्य में पी. एच. डी. और संगीत में विशारद उपाधि प्राप्त की है। उनके गीत, गजल और बुंदेली कविताएं बहुत ही सराही जाती हैं। इनकी साहित्यिक प्रतिभा के कारण अखिल भारतीय भाषा साहित्य परिषद दिल्ली द्वारा साहित्य श्री से सम्मानित किया गया। सुभाष मंच के राष्ट्रीय पुरुस्कार भारत भारती से भी आप अलंकृत की गई। महाकौशल की साहित्य सांस्कृतिक संस्था ने इन्हें बागेश्वरी सम्मान से विभूषित किया।
Premlata Nilam दिल्ली, जयपुर, लखनऊ और भोपाल के दूरदर्शन केन्द्रों पर अपने कार्यक्रम देती हैं। उनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं- नील नयन के पार, बुंदेली गीत संग्रह तथा समकालीन कविताएं । सम्प्रति नीलम जी शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय दमोह में व्याख्याता के पद पर कार्यरत है। प्रेमलता नीलम की फागों का संग्रह प्रकाशनाधीन हैं। इन फागों में श्रंगार और नारी चेतना का प्राधान्य है।
ऐसी ने मारो पिचकारी ।
मन मोहन, श्याम बिहारी ।
होरी की जा साम सुहानी ।
पर जे है देखो भारी।