बुन्देलखण्ड में विभिन्न लोकनृत्यों प्रचलन है जिनमें विभिन्न प्रकार के गीतों का गायन होता है। बुंदेलखंड में लोकप्रिय मुख्य लोकनृत्य निम्न प्रकार है:- बधाई नृत्य, राई नृत्य, बरेदी नृत्य, सैरा नृत्य, कानड़ा नृत्य, ढ़िमरयाई नृत्य, नौरता नृत्य आदि । बुंदेलखंड के ये समस्त लोकनृत्य बुन्देलखण्ड की परंपरा को संजोये हुए है। उन्ही में एक गीत है Naina Bandh Lage Kahiyo Ho नैना बंध लागे कहियो हो।
प्रत्येक नृत्य किसी न किसी परंपरा अथवा रीति-रिवाज से जुड़ा हुआ हैं। इन नृत्यों की वेशभूषा तथा सौबत पुर्णतः बुंदेलखंड के रंग में रंगी हुई हैं। इन नृत्यों में प्रयुक्त गीत पुर्णतः बुन्देलखण्ड की बोली में होती है। प्रत्येक नृत्य की गीतों की लय अलग-अलग होती है तथा इनके गीतों की लयात्मकता भी भिन्न होती है।
नैना बंध लागे कहियो हो,
चोली बंध लागे कहियों ।
गुरसी की आगी बुझत नैया ,
इन समधन की गारी मिटत नैया ।
नैना वंध लागे कहियो हो ,
चोली बंध लागे कहियों ।
खोल देहे डिबिया, खुबा देहे पान,
इन समधन से तुमहरी बचा लेहे जान
नैना वंध लागे कहियो हो ,
चोली बंध लागे कहियों ।
टूटी पनैया खचोरत जाए,
इन समधन खो देखे विसूरत जाए ।
नैना वंध लागे कहियो हो ,
चोली बंध लागे कहियों ।
टूटी पनैये सिलवा देहे ,
इन समधन खो संगे पठा देहे ।
नैना बंध लागे कहियो हो ,
चोली बंध लागे कहियों ।
बुन्देल खण्ड के सामाजिक रिश्तों की नोंक-झोंक पर आधारित है जिसमें समधी व समधन के हास परिहास भरे सवाल जबाव है । जिसमें समधी की शिकायतों का समाधान समधन बड़े ही हास्यापद शैली में करती है ।
समधी शिकायत करते है कि समधन उनको लगातार दे रही है और न ही उनको पान ही खिला रही है । और जब समधी वहां से निकल रहे है तो समधन का मुंह देख-देख उनको बहुत दुख हो रहा है । इस पर समधन समधी की शिकायतों का हल बताते हुए उनके साथ जाने की बात करती है।
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली वंध लागे कईयो
कांस की थाली चढ़ी जंगाल,
जे समधी मिले सो बेई कंगाल
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली बंध लागे कईयो
पीपर को पत्ता हिलत नैया,
इन समधी की बैठत उठत नैया
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली बंध लागे कईयो
काली चिरैया की पूंछ नैया,
इन समधी विचारे की मूंछ नैया
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली बंध लागे कईयो
इस गीत में समधन के द्वारा व्यंग्य बनाने के लिए समधी की आर्थिक स्थिति, उनकी मूछों आदि का मजाक बनाया जाता हैं ।
नैना बंध लागे कईया हो
चोली बंध लागे कईयो…
टूटी टपरिया की छांके दिखांए,
इन समधन के ठनगन हमे न सुहाय
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली बंध लागे कईयो
पीरी चुनरिया की कोर कारी,
इन समधन की मुईया लगत प्यारी
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली बंध लागे कईयो
इमली की चटनी और आम को पनो,
तनक चीख मोरी भौजी जो कैसो बनो
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली बंध लागे कईयो
ऐ छानो ओ छानी कूदे बिलैया,
धीरे से बात करे भौजी को भैया
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली बंध लागे कईयो
टोर लयाए कौसे बना लई कड़ी,
जरा चीखो तो भौजी जो कैसो बनो
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली बंध लागे कईयो
कल्लो ने फूटे धमाको ने होय,
बड़ी भौजी निकर गई सो एरो ने होय
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली बंध लागे कईयो
इस गीत में देवर द्वारा अपनी भाभी से शाब्दिक हास्य व्यंग की झलक देखने को मिलती है जिसमें देवर अपनी भाभी के भाई का मजाक बनाता है तथा खठ्ठी चटनी खाने को बोलकर उनका मजाक बनाता है।
नैना बंध लागे कईयो हो,
चोली बंध लागे कईयो
देखो जो मोड़ा कैसो जो मोडा,
मुईया मरोड़े कैसो जो मोडा ,
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली बंध लागे कईयो
आलू रे आलू बड़े आलू ,
जे सागर के लरका बड़े चालू
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली बंध लागे कईयो
बेलना सरका दे सागर वारे ,
बेलना सरका दे
नैना वंध लागे कईयो हो
चोली वंध लागे कईयो
देवर के मजाक बनाए जाने पर भाभी द्वारा देवर के साथ भी मजाक किया जाता है तथा उनको चालू लड़का बोलती है तथा अन्य प्रकार से मजाक बनाती है ।
नैना बंध लागे कईया ,
हो चोली बंध लागे कहियो
पर गई दुफरिया झुलाओं बिजना,
हमसे न बोलो तुम जाओं सजना,
नैना वंध लागे कईयो हो
चोली वंध लागे कईयो
गये ते बजारे लियावे चूं-चूं
झक मारत आ गये पीछू
नैना वंध लागे कईयो हो
चोली वंध लागे कईयो
पत्नी द्वार अपने प्रेमी पति के साथ प्रेम भरी लड़ाई को दर्शाया गया है, जिसमें पत्नी प्रेम भरी नोक-झोंक में पति को उससे बात करने को मना करती फिर भी पति के न मानने पर पति उससे पीछे-पीछे जाते है तो पत्नी प्यार से बोलती है कि ठीक है तो पीछे आ रहे
मोरी चंदा चकोर ,
नेहा लगा रइ कोरई कोर ।
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली बंध लागे कईयो
मेरी काय सोना,
काय सोना कैसो करो जादू टोना ।
नैना वंध लागे कईयो हो
चोली वंध लागे कईयो
इस बधाई गीत में पति द्वारा अपनी पत्नी को विभिन्न प्रकार से रिझाने का प्रयास करता है उसके चेहरे की तुलना चंद्रमा से करता है तथा उसके द्वारा किए गए श्रृंगार की तारीफ करता है ।
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली बंध लागे कईयो
मार मार लठिये चढ़ाई घटियें ,
बीचई में पसर गई मताई बिटियें
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली बंध लागे कईयो
मंदिर के नेचे धरम शाला ,
बिना आंखो के जोगी जपे माला
नैना बंध लागे कईयो हो
चोली बंध लागे कईयो
इस प्रकार हमने देखा कि बधाई के उपरोक्त नृत्य के गीतों में समाज के हर रिश्ते से जुड़ी सामाजिक मान्यता दिखाई देती है फिर वह चाहे समधी -समधन की व्यंग्यात्मक मजाक हो, देवर-भौजाई की छेड़छाड़ हो अथवा पति पत्नी की प्यार भरी नोंक-झोंक सभी रिश्ते व उनके पांरस्परिक संबंधों की मुधरता इन गीतों में झलकता है । इन गीतों में घरेलू वातावरण की सम्पूर्ण छटा दिखाई देती है ।