Mori Sab Khan Radhavar Ki मोरी सब खां राधावर की, भई तैयारी घर की

472
Mori Sab Khan Radhavar Ki मोरी सब खां राधावर की
Mori Sab Khan Radhavar Ki मोरी सब खां राधावर की

कदाचित यह उनकी अन्तिम रचना है, जिसके अन्तिम शब्दों के साथ उनके बोल थक गए थे।

मोरी सब खां राधावर की, भई तैयारी घर की।
रातै आज भीड़ भई भारी, घर के नारी नर की।
बिछरत संग लगत है ऐसा छूटत नारी कर की।
मिहरबांनगी मोरे ऊपर, सूधी रहै नजर की।
बंदी भेंट फिर हूहैं ईसुर, आगे इच्छा हर की।

हरदौल कौ साकौ