Mahabharat Kal Men Lok Devta महाभारत काल में लोक देवता

152
Mahabharat Kal Men Lok Devta
Mahabharat Kal Men Lok Devta

महाभारत के आदि पर्व में छंद 17 से 27 तक के 11  छंदों में चेदिनरेश उपरिचर वसु द्वारा इन्द्र की पूजा और इन्द्रमह लोकोत्सव के आयोजन का उल्लेख है । इन्द्र ने प्रकट होकर उन्हें एक विमान, एक वरमाला और एक वैणवी यष्टि प्रदान की थी । वैणवी का अर्थ है बाँस की बनी हुई । बाँस की लाट का पूजन इन्द्र-पूजा का प्रतीक था । उसी के साथ शिव और यक्ष देवों की पूजा भी लोकप्रचलित थी ।इससे पता चलता है की Mahabharat Kal Men Lok Devta का अस्तित्व था , इस प्रकार वैदिक देवता इन्द्र को इस युग में अधिक महत्त्व मिला ।

इस समय यादवों द्वारा विकसित लोक संस्कृति का बिस्तार हुआ । चेदिनरेश शिशुपाल बहुत ही दबंग राजा था, उसमें वासुदेव कृष्ण को चुनौती देने का अदम्य साहस था । इधर कृष्ण  ने इन्द्र के स्थान पर गिरि की पूजा प्रारम्भ करा दी थी । इन्द्र आँधी, तूफान, बिजली, वर्षा के देव होकर लोकस्वीकृत हुए थे, लेकिन जब लोक ने उन्हें अमान्य कर दिया, तब वे शक्ति  के प्रतीक रूप में प्रभावशाली बने थे ।

संदर्भ-
बुंदेलखंड दर्शन- मोतीलाल त्रिपाठी ‘अशांत’
बुंदेलखंड की संस्कृति और साहित्य- रामचरण हरण ‘मित्र’
बुंदेली लोक साहित्य परंपरा और इतिहास- नर्मदा प्रसाद गुप्त
बुंदेली संस्कृति और साहित्य- नर्मदा प्रसाद गुप्त

लोक देवता हीरामन