Kishori Lal Jain ‘Kishor’ Ki Rachnayen किशोरी लाल जैन ‘किशोर’ की रचनाएं

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Kishori Lal Jain ‘Kishor’ Ki Rachnayen किशोरी लाल जैन ‘किशोर’ की रचनाएं
Kishori Lal Jain ‘Kishor’ Ki Rachnayen किशोरी लाल जैन ‘किशोर’ की रचनाएं

श्री किशोरी लाल जैन ‘किशोर’ का जन्म 5 दिसम्बर सन् 1927 को छतरपुर जिले के दूरस्थ अँचल में स्थित बकस्वाहा में हुआ। इनके पिता का नाम श्री मानिक चन्द्र जैन था। ये चार भाइयों में सबसे बड़े थे। इनकी बचपन से ही साहित्य के प्रति रुचि रही। रचनायें किशोरावस्था से ही लिखना प्रारंभ कर दिया था। उसी समय इन्होंने अपना उपनाम किशोर’ रखा।

का समाज की कानें भैया, करे सबई से नेता फैल।
जैसे राजा पिरजा तैसई, दोऊ बिगारें अपनी गैल।।

राम राज कौ सपनौ सो गव, सबके मन में पसरो मैल।
सेवा देश, नाम की रैगई, काम सवन के बने उछैल।।
कड़ुआ कार विदेशी पल रय, चल रय ओई बैटरी सैल।।

इस समाज का क्या कहा जाये, भाई? सभी नेतृत्व इस समय असफल हो रहा है। यथा राजा तथा प्रजा को सार्थक करते हुए दोनां बनी अच्छी परम्पराओं को ध्वस्त कर रहे हैं। अब रामराज्य का स्वप्न समाप्त हो गया है और सभी के हृदय में मैल (असत् वृत्तियाँ) फैल गया है। राष्ट्र सेवा नाम मात्र की रह गई है, सभी लोग नीच कृत्यों में संलग्न हो रहे हैं। विदेशी ऋण लेकर देश को पाल रहे हैं।

जाँ ताँ नय इसकूल खुल रय, तैं पढ़ाई आ रई कम काम।
रो रय भरवे पेट पढ़इया, शंख ढपोली गुरु बदनाम।

सुदरत चरित नई लरकन कौ, गुरु चेला सम दोऊ तमाम।
बेरुजगारी दैय दोंदरा, हैं अजगर के दाता राम।।

टंटे बढ़रय करें उपद्रव, सिंगारन सें सज रय चाम।
बन्न बन्न के भोजन चानें, तन अजगर कौ जप रव नाम।।

ज्यों-ज्यों यहाँ-वहाँ नए विद्यालय खुल रहे हैं त्यों-त्यों पढ़ाई कम महत्व की हो रही है। पढ़कर निकलने वाले युवा पेट भर खाने को परेशान हो रहे हैं। ढपोली शंख की तरह आज के गुरु हो गए हैं। लड़कों के चरित्र में सुधार नहीं दिखाई देता है।

गुरु शिष्य दोनों समान हैं। बेरोजगारी सभी को परेशान कर रही है जिस प्रकार अजगर के दाता राम होते हैं वैसे ही लोग भोजन हेतु परजीवी हो गये हैं। लड़ाई झगड़े बढ़ रहे हैं तथा शरीर को विभिन्न श्रृँगार प्रसाधनों से सजा रहे हैं। इन अजगर रूपी युवाओं को विविध प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन भी चाहिए हैं।

श्री किशोरी लाल जैन ‘किशोर’ का जीवन परिचय

शोध एवं आलेखडॉ. बहादुर सिंह परमार
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर (मध्य प्रदेश)