Homeबुन्देलखण्ड के साहित्यकारDr. Omprakash Chaubey डा. ओमप्रकाश चौबे

Dr. Omprakash Chaubey डा. ओमप्रकाश चौबे

माँ भारती की वाणी के पुरोधा भाषाचार्य डा. ओमप्रकाश चौबे जी  की सांसो मे है बुंदेली, वो आदिम राग है बुंदेली। परमात्मा की वाणी है बुंदेली। बुंदेली अनादि काल से चली आ रही है जब हिमालय नहीं था तब भी बुंदेली थी। Dr. Omprakash Chaubey  का किसी महामानव जैसा है व्यक्तित्व। उनका भाषाई ज्ञान , कलाओं के प्रति अटूट समर्पण और बुंदेली के प्रति जो ममत्व है, जो अपनत्व है वह असाधारण है।

डा. ओमप्रकाश चौबे का जन्म 01 जुलाई, 1952 को सागर में हुआ था आपके पिता का नाम स्व. श्री अयोध्या प्रसाद चौबे ,आपकी शैक्षणिक योग्यता – एम.ए. (भूगोल), एम.ए. (हिन्दी), बी.एड., आयुर्वेद रत्न, रजिस्टर्ड बी.ई.एम.एस., विधि प्रथम, बी. म्यूज (तबला) प्रथम । अन्य योग्यताएं में विभिन्न जिला, संभाग, राज्य, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक गतिविधियों में वर्ष 1970 से वर्तमान तक सफल भागीदारी

1- लोक कला अकादमी सांस्कृतिक गतिविधियों की संस्था में तथा विश्वविद्यालय में वर्ष 1970 से 1990 तक आयोजित सभी प्रमुख कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं में भागीदारी की गई। (डा. विष्णु पाठक के निर्देशन में)

2- लोकरंग अकादमी, गोपालगंज सागर की संस्था में वर्ष 1991 से 1996 तक लोक संगीत निर्देशन, गायन एवं प्रस्तुतियों में संलग्न रहा। (सहयोगी डॉ. सुधीर तिवारी)

3- अभिनव सांस्कृतिक मंच संस्था के संचालक के रूप में वर्ष 1977 से वर्तमान तक।

लेखन एवं सम्पादन-
वर्ष 1980 से बुन्देली लोक साहित्य, गीत, संगीत, नृत्य, लोकचित्र आदि विषयों पर लेखन एवं संकलन कार्य से लगभग 140 लेख प्रकाशित।

लेखन –
        1-     बुन्देली लोक गीतों में जीवन (प्रकाशित चौमासा)
        2-     बुन्देली गीतों में श्रृंगार सुषमा (प्रकाशित)
        3-     भई ने विरज की मोर (प्रकाशित)
        4-     बुन्देली गीतों  में वर्णित राष्ट्रीयता (प्रकाशित)
        5-     झगड़े की फागें (प्रकाशित ईसुरी)
        6-     विरह गीत/बारहमासा (प्रकाशन स्वीकृति प्राप्त ईसुरी)
        7-     जेवनार (बुन्देली गारी छायानाट में प्रकाशन हेतु)
        8-     बेला नटनी – गढ़पहरा दुर्ग पर (प्रकाशित)
        9-     बुन्देली लोक नृत्य (प्रकाशित)
        10-   बुन्देली लोक चित्रावण (प्रकाशित चौमासा)
        11-   बुन्देली लोक कथाएं, 100 लोक कथाएं (प्रकाशित)

प्रोजेक्ट – लोककला आदिवासी परिषद
        12-   बुन्देली लोकनृत्य मौनियां, प्रकाशित ईसुरी
        13-   बुन्देली लोक गीतों में रामायण कथा
(प्रकाशित, तुलसी साधना अंक: 2, 3, 4, 5)

        14-   लोक कलाओं का भविष्य (प्रकाशित)
        15-   रामधुन ‘एक विलुप्त बुन्देली गायन’ प्रकाशित बंसत
        16-   सौर जनजाति के संस्कार गीत, प्रकाशित
        17-   लोक का देवलोक प्रकाशित, सागर, रविरास, साग
        18-   लोकगाथाओं में स्त्री – बुन्देलखण्ड में स्त्री: हिन्दी विभाग,सामयिक प्रकाशन, दिल्ली 2012
        19-   सौर जनजाति के संस्कारी गीत: बुलेटिन, म.प्र. शासन, भोपाल

बुन्देली लोक गाथायें (प्रकाशित)
        1-     धर्मा सांवरी
        2-     बैरायठा
        3-     सौरंगा सदाव्रज
        4-     ढ़ोला मारू
        5-     राजा गिलंद की गाथा
        6-     सिरसागढ़ की गाथा
        7-     धार पुवॉर का पवारा
        8-     जगदेव की गाथा, लीलावटी गाथा
        9-     धांदू भगत, कारसदेव की गाथा
        10-   बुन्देली लोक वाद्य (प्रकाशन हेतु)
        11-   प्राणायाम (प्रकाशित फार्माकोन)
        12-   रैया लोक गाथा (प्रकाशित चौमासा)
        13-   नर्मदा के गीत (प्रकाशन हेतु)
        14-   ‘‘नौरता’’ (प्रकाशन हेतु)
        15-   आदिवासियों का देवलोक (सर्वेक्षण: गौंड़, भोई एवं सौर जनजाति)
        16-   जनजातियों की फाग परम्परा (गौंड़, भोई, सौर एवं सहरिया)
        17-   बुन्देलखण्ड के कीर्ति स्तंभ-हरदौल, आल्हा एवं ईसुरी (म.प्र. संदेश को)
        18-   ‘झगड़े की फागें’ चौमास के अंक 49 से 54 तक लगातार प्रकाशित
        19-   बस्तर के लोक नृत्यों पर शोध एवं सर्वेक्षण 1978-80 लोक कला अकादमी, सांस्कृतिक दल के साथ किया गया।

        20-   फाग चयन समारोह, सागर (बुन्देलखण्ड की फाग मंडलियों का चयन शिविर लोक कला 2001 आदिवासी परिषद के तत्वाधान में)
        21-   फाग चयन (टीकमगढ़ जिले में)
        22-   2000 से 2002 तक के लिए ‘‘सीनियर फैलोशिप अवार्ड’’ (बुन्देली गीतों पर)

पुस्तकें-  
1-     राई – मोनोग्राफ प्रकाशन स्वीकृति प्राप्त पुस्तक
2-     चम्बल की संस्कृति एवं साहित्य
3-     फाग साहित्य: म.प्र. की जनपदों पर आधारित
4-     संस्कार गीत
5-     मृत्यु गीत (प्रकाशन स्वीकृति प्राप्त)
6-     कृष्ण लीला (अप्रकाशित पुस्तक)
7-     लोक में कबीर
8-     लोकाख्यान
9-     ऋतु गीत
10-   बुन्देलखण्ड की दुर्लभ लोककथाएं: प्रकाशन स्वीकृति प्राप्त दक्षिण मध्यक्षेत्र नागपुर द्वारा।

11-   कुचबंदिया मोनोग्राफ: प्रकाशन हेतु प्रस्तुत, संस्कृति परिषद् भोपाल। 

12-   लोकोक्तियां मुहावरे, कहावतें प्रकाशित: म.प्र. आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, भोपाल। 

13-   रामकथा: भगवान श्रीराम के जन्म के पूर्व से उत्तर रामायण तक के बुन्देली गीत प्रकाशन स्वीकृति प्राप्त, दिल्ली। 

14-   लोक का देव लोक: प्रकाशन हेतु प्रस्तुत संस्कृति परिषद् भोपाल। 

15-   सौंर जनजाति, प्रकाशित सप्लीमेन्ट, संस्कृति परिषद् भोपाल। 

16-   बुन्देली शब्दकोष (30 हजार बुन्देली शब्दों का शब्द कोष संस्कृति परिषद् भोपाल को प्रकाशन हेतु प्रस्तुत।

17-   बुन्देलखण्ड में निवासरत गौंड़ जनजाति की वाचिक परम्परा पर आधारित मोनोग्राफ। प्रकाशन हेतु संस्कृति परिषद् भोपाल को प्रकाशन हेतु प्रस्तुत।

18-   अटका, बुन्देली लोककथा संग्रह, प्रकाशन हेतु प्रस्तुत।

19-   जनजातीय फाग गीत।

राष्ट्रीय स्तर एवं राज्य स्तरीय प्रस्तुतियां-
1- वर्ष 1971-72 गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय स्तर के युवक समारोह नई दिल्ली में सांस्कृतिक कार्यक्रम की सफल प्रस्तुति (गायन एवं नृत्य)। 

2-  राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय युवक समारोह, लखनऊ (नृत्य)। 

3-  घूमर 74, जयपुर: राष्ट्रीय स्तर के युवक समारोह (आदिवासी लोक नृत्य एवं गायन में प्रथम पुरस्कार प्राप्त)। 

4-  30वें फिल्म फेयर समारोह बाम्बे में लोकनृत्य की प्रस्तुति।

5-  फिल्म फेयर समारोह मद्रास में बधाई नृत्य की प्रस्तुति, जुलाई 1981। 

6-  फिल्म ‘‘शायद’’ के एक गीत में सामूहिक नृत्य की भागीदारी, जुलाई, 1978। 

7-  बुन्देली लोक नृत्यों पर टेली फिल्म की शूटिंग वर्ष 1977-78 में भागीदारी। 

8-  ‘‘फूल वालों की सैर’’ नई दिल्ली में लोकनृत्य में प्रथम पुरस्कार विजेता दल। 

9-   कंचनजंगा उत्सव, सिक्किम में गीत एवं नृत्यों की प्रस्तुति। 

10-  अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला, नई दिल्ली में सैरा की भागीदारी। 

11-  अंतर्विश्वविद्यालय युवक समारोह, उज्जैन में प्रथम पुरस्कार विजेता दल 1974। 

12-  राष्ट्रीय युवक समारोह, कुरूक्षेत्र में प्रथम पुरस्कार विजेता दल। 

13-  हरदौल चरित्र पर ‘‘लोक संगीतिका’’ में सहगायन 1979 (आकाशवाणी प्रसारण)। 

14-  बेला तमाल ‘‘लोक संगीतिका’’ में गायन 1980 (आकाशवाणी प्रसारण)। 

15-  रंग संगम, टीकमगढ़, 2018, संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली। 

संस्था की प्रस्तुतियां स्वयं के निर्देशन में:
1-   ‘‘जगार उत्सव’’
2-   ‘‘पचमढ़ी उत्सव’’
3-   ’’लोकरंग’’ विजेता टीम
4-   ‘‘जतरा’’ महोत्सव
5-   ‘‘ओरछा उत्सव’’
6-   ‘‘आनंदम’’ चैनल मुम्बई पर सैरा नृत्य एवं राछरे गीतों की प्रस्तुति (फिल्मांकन)
7-   अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला, नई दिल्ली
8-    बिहार महोत्सव, पटना
9-    ताज उत्सव, आगरा
10-   खजुराहो उत्सव

11-  ओरेंज फैस्टिबल, नागपुर
12-  बुन्देली प्रसंग ‘श्रुति’ बुन्देली गायन
13-  निमाड़ उत्सव, महेश्वर
14-  कुल्लू महोत्सव, 2001
15-  भक्ति पर्व, शहडोल
16-  श्रुति, रविन्द्र भवन इन्दौर में लोकगाथा …… रैया की प्रस्तुति
17- वर्ष 2000 में संस्कृति विभाग द्वारा संस्था के छात्र श्री चन्द्रशेखर उपाध्याय को लोकनृत्य, बधाई पर स्कॉलरशिप प्रदान की गई।
18-  वर्ष 2015 में अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिबल, खजुराहो में भागीदारी।
19-  मेघोत्सव, कालीदास अकादमी उज्जैन का आयोजन (सैरा नृत्य की प्रस्तुति)
20  ‘‘बादल राग’’ भारत भवन भोपाल में सैरा नृत्य की प्रस्तुति

21-  श्रुति: बुन्देली गायन पर आधारित कार्यक्रम में निर्देशन
22-  राई: बुन्देली गायन पर आधारित कार्यक्रम में निर्देशन
23-  तीज उत्सव हिसार, हरियाणा में सैरा की प्रस्तुति
24-  कला यात्रा: ई.टी.व्ही. के सीरियल में प्रमुख भागीदारी
25-  बुन्देली गीतों में जल का महत्व (प्रकाशित चौमासा)
26-  बुन्देली बन्ना गीत ‘‘लूर’’, राजस्थान (प्रकाशन हेतु)
27-  वसदेवा गायन: मुम्बई कथा गायन की प्रस्तुति, दिसम्बर 2006
28-  ओरछा का सांस्कृतिक, धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व (चौमासा)
29-  कृष्णलीला गीत: तुलसी साधना अंक-7 से लगातार प्रकाशित
30-  SAT अंतर्राष्ट्रीय सांगीतिक कार्यक्रम नई दिल्ली, 2013
31-  बुन्देली शब्दकोष प्रकाशन हेतु प्रस्तुत (30,000 शब्दों का)

विशेष      
1- वर्ष 2000 से 2002 तक के लिए संस्कृति मंत्रालय, दिल्ली से ‘‘सीनियर फैलोशिप अवार्ड’’ बुन्देली गीतों पर। 

2- बुन्देलखण्ड में प्रचलित पारम्परिक गीतों पर लोक नाद, नई दिल्ली में म.प्र. दिवस पर – सह निर्देशन।

3- ए.वी.आर.सी. द्वारा निर्मित तीन फिल्मों में भागीदारी, संगीत निर्देशन प्रस्तुत किया, बधाई, लोक चित्रकला, मिट्टी के बर्तन।

4-  ‘‘लोकनाद’’ निमाण उत्सव महेश्वर में सह निर्देशन।

5-  आर्काइवल रिकार्डिंग: आकाशवाणी सागर द्वारा (2015)।

6-  लोकरंग, भोपाल (सैरा लोकनृत्य में द्वितीय स्थान, विजेता दल)।

7-  भोपाल दूरदर्शन के निर्माणाधीन टी.वी. सीरियल ‘‘गुलफाम’’ में भागीदारी।

8-  विरासत, आकाशवाणी दिल्ली में प्रसारित वार्ता में स्क्रिप्ट लेखन।

9-  धरोहर: ऐरण स्थल पर आकाशवाणी सागर में कार्यक्रम की प्रस्तुति।

10- आकाशवाणी से प्रसारित वातायें (लगभग 25 वार्तायें)।

(सागर, छतरपुर, ग्वालियर एवं दिल्ली केन्द्रों द्वारा)।

सेमीनार–                

1-  सागर की विरासत, मानव शास्त्र विभाग, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर।

2-  वृह्द देशी संगीत महोत्सव, संगीत नाटक अकादमी, दिल्ली।

3-  स्वतंत्रता संग्राम में बुन्देलखण्ड की भूमिका, प्राचीन भारतीय इतिहास, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर।

4-  ‘‘ईसुरी’’ लोककवि ईसुरी के कृतित्व पर आधारित सेमीनार, आकाशवाणी, सागर द्वारा।

5-  सागर संभाग का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.) 2010।

6-  अन्तर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी: विश्व भाषा साहित्य और रामकथा शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, सागर (म.प्र.) 2017।

सम्मान–                          
1- मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन, शाखा सागर द्वारा वर्ष 2010 को श्री जगदीश तिवारी ‘‘बदनाम’’ सम्मान   ।           

2- मध्यप्रदेश लेखक संघ भोपाल द्वारा कस्तूरी देवी चतुर्वेदी स्मृति लोकभाषा सम्मान 2013।    

3-  ‘‘बुन्देलखण्ड गौरव राष्ट्रीय सम्मान’’ 2015, बुन्देलखण्ड विकास परिषद्, दिल्ली ।          
4-  ‘‘श्रीमति भाग्यवती देवी, बुन्देली सम्मान’’ घरौंदा संस्था, सागर द्वारा।        

5-   ‘‘बुन्देली वैभव सम्मान‘‘ 2017 आरुष वेलफेयर सोसायटी, सागर (म.प्र.)    

6-    ‘‘बुन्देली लोक भाषा सम्मान‘‘ भोपाल (म.प्र.)      

7-     ‘‘सद्भावना राखी सम्मान‘‘ 2019, सागर (म.प्र.)

          डा. ओमप्रकाश चौबे
शांडिल्य सदन के पीछे, श्रीराम कालोनी,
गोपालगंज वार्ड, सागर (म.प्र.) 470002
फोन नम्बर –    07582-235692   मोबाइल नं.: 9893931888

       पद्मश्री अवध किशोर जड़िया का जीवन परिचय 

admin
adminhttps://bundeliijhalak.com
Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
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