Dilbar Chor दिलबर चोर- बुन्देली लोक कथा

Dilbar Chor दिलबर चोर- बुन्देली लोक कथा

एक बड़े शिहिर में एक शातिर चोर रत्तो। जीकौ नाँव हतो Dilbar Chor । ऊके काजे कोनऊ काम असम्भव नई हतो। जो कछू वौ बिचार लेत तो सौ वौ करई कैं रत्तो। एक दिना ऊकी घरवारी नै एक सपनौ देखो कै वा अपने हाँतन में भौतई कीमती चुरियाँ पैरें हैं। जैसी चुरियाँ बड़े बड़े राजन की रानियँन के हाँतन में दिखाती हैं।

ऊनें बड़े भुन्सराँ उठतनई अपनौ सपनौ घरवारे खौं सुनाव। दिलबर बोले कैं जा कौनऊ बड़ी बात नइयाँ। हम कालई तुमें चुरियाँ ल्आकै पैरा दैय। तुम आराम सैं खावपियो उर हम चुरियँन की खोज करबै खौं जा रये हैं। तनक हमें तुम गैल के लानै कलेवा बना दो। वौ कलेवा झोल्लाँ में धर कैं चल दओ। उयै गैल में एक साहूकार कौ

लरका मिल गओ उर ऊसैं ऊकी दोस्ती हो गई। दिलबर नें  ऊसै कीमती चुरियँन की बात करी सोऊ लरका ने रानी कौ सब पतो ठिकानौ बता दओ।

दोई जनै चलत चलत ओई शिहिर मे पौंच गये साहूकार के लरका नें दिलबर के खर्च के लानै कछू पइसा दये उर वौ अपने घरै चलो गओ। दिलबर एक बगीचा में दिन भर दुके रये उर जईसैं आदी रात भई सोऊ बायरै घूमन फिरन लगे। दिलबर जादू जंत्र-मंत्र उर जुगती सबई कछू जानत ते। उन्नें चारई तरपै अपनौ जादू चला दओ। जो मिलो सो सबई कौ मौ बंद होत गओ।

राजमिहिल के पैरेदार सो गये उर वे सूदे ओई सत खण्डा पै पोंचे जितै रानी वेसुर्त सो रई तीं। ऊनै हराँ-हराँ रानी के हातन मेंसैं चुरियाँ उतारीं उर काँखरी में चपाकैं मौगो चालौं उतरकै बायरै आ गओ। काउयें कछू पतोई नई चल पाव। दिलबर रातई राते निंगत- निंगत बड़े भुन्सराँ अपने घरै जाकैं अपनी घरवारी खौ जगाकै ऊके हातन में वे कीमती चुरियाँ गुआ दई। अब का कनें घरवारी फूल के कुप्पा हो गई।

अपने हाँतन में चुरियाँ पैरकैं वा अपन खौं रानी सैं कम नई मान रई ती। उतै बड़े भुन्सराँ रानी जगीं उर अपने हाँतन में चुरिया ना देखकैं घबरा गई। सोसन लगी कैं ऐसौ कैसो चोर कैं हमें कछू पतो नई चल पाव उर चोर हमायें हाँतन में सैं चुरियाँ उतार लै गओ। राजा खौ जब खबर मिली सोऊ उन्नें चोर कौ पतो लगाबे चारई तरपै सिपाई दौरा दये।

एक दिना दिलबर की घरबारी चुरियाँ पैरकैं बायरी कड़ी उर ओई बीच में राजा के सिपाई आ गये उर उन्नें रानी की चुरियाँ पैंचान लई। वे सूदे दिलबर के घर में घुसकैं पकरकैं उर वे चुरिया लैकैं राजा के सामै हाजर कर दओ। उयै देखतनई राजा ने गुस्सा होकै कई कै जब जौ हमाये ऊपर हाँत घाल सकत तब जनता की कुजने का गत करत हुइयैं। रानी कन लगी कै जौ माफ करबे लाखनइयाँ इयैतौ फाँसी की सजा दई जाय।

सिपाई उयै फाँसी के तखता पै लै जान लगे इतेकई में क्याऊँ सै एक राजकुमार आ धमके। उनें दिलबर पै दिया आ गई उर राजा सै थराई बिन्ती करकैं छुड़वा दओ। दिलबर राजकुमार सैं भौतई खुश भये उर कन लगे कैं भइया तुमई हमाये मताई बाप हो तुमनै हमाये प्रान बचाये हम तुमाव ऐंसान जीवन भर नई भूल सकत जो कछू बने सो हम तुमाई मदद करबे खौ तैयार हैं।

अब हम आज सै तुमाये संगै रैय उर तुमाई सेवा खुशामद करत रैय। राजकुमार बोलौकैं हम तौ एक परी की खोज में जा रये। कजन तुमें हमाये संगै चलने होय तौ चलों। वे दोई जनें आगे खौं चल दये। चलत चलत वे दोई जनें समुद्र के किनारे पौंचे। दिलबर परियँन कौ पतों ठिकानौ जानत तो। दिलबर ने कई कैं चलो अपुन जंगल सैं लकड़ियाँ इकठ्टी करिये।

हराँ-हराँ लकरियँन कौ भौत बड़ो ढेर लग गओ। दिलबर ने राजकुमार सै कई कै देखौ तुम रात भर लकरियँन जला जला कै उजयारौ करें रइयौ उर हम पानी में घुसकै परियँन कौ पतोंल गाऊत हैं। देखौ आगी बुज नई पाबै उर इत्ती कैं कैं दिलबर पानी में घुस गओ। आगी के उजयारे में वौ सूदौ पाताल लोक खौं पौंचो जितै परियँन कौ नाच हो रओ तो। इन्द्रदेवता मजे सै बैठे-बैठे नाँच देख रये ते।

जईसै वौ लौटकैं आवन लगो सोऊ राजकुमार खौं ऊँग आ गई उर नकरिया बुज गई। इंदयारे में दिलबर गैल भूल गओं तोऊ भूलत भटकत बड़ी मुश्कल सैं किनारैं आ पाव। ऊनें आऊतनई राजकुमार खौं जगाकैं सबरऊ हाल सुनाव। राजकुमार अपनी गलती पै पसतान लगे। दूसरी दारैं राजकुमार रात भर आगी जलाऊत रये। उर दिलबर उतै जाकैं परियँन कौ नाच देखत रये।

इन्द्र ने एक डिबिया खोली उर ऊमें सैं एक परी काड़ी उर वा खूबई नाच दिखांऊत रई, फिर इन्द्र ने उयै जाँ कीताँ डिबिया में बंद करकैं वा डिबिया अपने गोड़न के लिंगाधर लई। उतई एक बगल में दुके दिलबर बैठेते उन्नें हराँ कै बा डिबिया उठाई उर चलते बने। वे बा डिबिया लैकैं राजकुमार नों आ गये। चोर ने डिबिया खोली उर ऊमें सै वा परी बायरैं कड़ आई उयै देखतनई राजकुमार की खुशी कौ ठिकानौ नई रओ।

वे परी खौ अपने संगै लुआकैं आगे खौं चल दये उर चलत-चलत एक बावरी के लिंगा पौंच गये। राजकुमार ने ऊपरी से पूछी कै इतै कोऊ तुमाई जान पैचान की एक बैन और रत है उन तीनई जनन ने ओई बाबरी पै अपनौ डेरा डार दओ। रात कै उतै राजकुमार उर परी तो सो गये अकेलै दिलबर जगत रओ। ऊने देखौ कै आदी राते एक करिया साँप बावरी में से बायरें कड़ों उर ऊके मूढ़ पै एक मनी जगमगा रई ती।

साँप नें मनी खौ मैंदान में धर दई उर ऊके उजयारे में गेरऊ चरत फिरत रओ उर घंटाक में ओई मनी को उजयारौ करत जई कौ तई बावरी में घुस गओ। जौ सब तमाशौ दिलबर बड़ें ध्यान सै देखत रओ। बड़ें भुन्सारो उठतनई राजकुमार जाबे की तैयारी करन लगे सोऊ दिलबर ने कई कै अपुन खौं  इतै आज की रात रूकने राजकुमार दिलबर की बात खौं टार नई सकत ते। उन्नें उतै एक रात खौं  और डेरा डार लओ।

दिलबर गाँव में जाकै लुहार के नाँसें एक लोहा की ढाल बनवा ल्आये उर ऊके ऊपर पैनी छुरी लगवा ल्आये। ढाल खौं एक लम्बी लोहे की साँकर बंधवा कै धर लई। आदी रातें फिरकऊ मनी कौ उजयारो करत बेऊ साँप बायरें कड़ आव। मनी खौ मैदान में धरकै उर ऊके उजयारे में चरन फिरन लगो। दिलबर तो ऊकी ताँक में बैठई हते।

वे हराँ-हराँ एक पेडे पै चढ़कै ऊलम्मी साँकर के सहारे सैं ऊ ढाल सैं मनीं खौं ढाँक दओ। मनी के ढकतनई साँप अकबका कैं भगो उर ऊ ढाल पै फन पटकन लगो। ढाल की पैनी छुरियँन सैं साँप के कटकट कैं टुकड़ा-टुकड़ा हो गये उर वौ उतई मर गओ। साँप खौं मरों दैखकै दिलबर हराँ-हराँ पैड़े सैं नैचें उतर कैं ऊ ढाल कैं लिंगा पौंचे। साँप तौं मरई चुको तो। ऊनें ढाल खौं उगेर मैं मनी खौं उठा लई, जो इकदम जगमगा रईती।

तनक देर में दिलबर नें राजकुमार उर परी खौं जगाकैं वा मनी दिखाई उयै देखतनई राजकुमार अचम्भे में पर गये। दिलबर नें कई कैं अब अपुन तीनई जनें ईमनी के उजयारे में हुन ई बावरी में उतरिये। आगे-आगे दिलबर मनी को लैकैं निंगत गओ, जीसैं पानी में हुन गैल बनत गई। चलत-चलत उनें एक दरवाजौ मिलो, वे तीनई जनें ऊ में सैंक कड़कै एक मैंदान में पौचे।

उतै एक बगीचा हतो। ऊ बगीचा में एक डार पै झूला डरो तो, जीपै एक परी झूला झूल रई ती। ऊपरी नें अपनी बैन खौं पैंचान कैं सबई कौ अच्छौ स्वागत सत्कार करो। तनक देर में वा परी कन लगी कैं तुमन क्याऊँ दुक जाव नईतर हमाये पिताजी आकैं तुमन खौं खा लैंय। दिलबर नें बताई कैं तुमाये पिता जी तौ मरई गये। जा देखौ जाउन की मनी है।

मनी खौं देखतनई परी खौं पूरौ विश्वास हो गओ। वे तीनई जनें उतै वेफिकरी सैं घूमत फिरत रये। एक दिनाँ राजकुमार नें कई कैं भइया अबतौ अपनें घरैं चलिये। भौत दिन हो गये पिता जी तौ घबड़ान लगे हुईयैं। दिलबर ने कई कै पैदल जाबौ ठीक नइयाँ हम घरैं जाकैं राजा खौं खबर दैकैं आप औरन खौ सवारी कौ इंतजाम करकै आँय। जब तक तुम औरे इतै आराम सैं रइयौ।

इत्ती कै केदिलबर चलो गओ उर वे दोई परियाँ उर राजकुमार उतै आराम सैं रन लगे। एक दिनाँ वे दोई परियाँ घूमबे फिरबे बाँयरैं कड़ आई उर घुम फिरकैं ओई बावरी की पाट पै बैठ गई। उतै वे दोई जनी बैठी-बैठी हवा खा रईती। इतेकाई में एक राजकुमार भूलो भटकौ उतै जा पौंचो। उयै देखतनई वे दोई जनी ऊ बावरी में धड़ाम सै गिर परीं। जल्दी-जल्दी में एक परी की एक जूती उतई डरी रै गई।

राजकुमार ने ऊ जूती खौं उठाकै देखौ सोऊ बेहोश होकैं गिर परो। सोसन लगो कैं जी परी की जूती इतनी सुन्दर है, वा परी कितनी सुन्दर नई हुइयैं। ईके संगै तौ हम अपनौ ब्याव कराकै छोड़े। ऐसी सोस कैं उर वा जूती लैकै राजमिहिल में जाकै भूकौ प्यासौ डर रओ। राजा ने राजकुमार खौं लाँगौ परो देखकैं पूछी कैं का बात है?

राजकुमार ने खबर पौंचाई कै जब तक ई परी के संगै ब्याव नई हो जैय तब तक हम ऐसई भूँके डरे रैय। राजा ने कई कै जा कौन बड़ी बात है। तुमाव ऊ परी के संगै ब्याव हो जैय। तुम आराम सै खाव पियो। कोनऊँ चिन्ता नई करो सब काम पूरौ हो जैय। राजा की भौतई जानकार दो ठौवा दूती हती। राजा ने उनन खौं बुलाकैं पैली दूती सै पूछी कै तुममें का तागत है? वाकन लगी कैं हम ई बादर में छेद कर सकत। औरई दूती कन लगी कैं हम ऊ छेद खौं मूँद सकत।

राजा नें उनें परी की वा जूती दिखाकैं कई कैं कजन तुम हमाव जौ काम करवा दैव तो हम तुमें मन मुक्तौ इनाम दैय। दोई दूती राजा सैं हाँत जोर कैं चली गई। एक दूती ऊ बावरी की पाट पै बैठ कैं जोर-जोर सैं डिड़यान लगीं। ऊ के रोबे की अवाज सुनकै परियँन खौं दया आ गई उर वे दोई जनी बायरैं कड़ कै ऊकौ हाल चाल पूँछन लगीं। दूती नें कई कै बेटी हम तुमाई मौसी आँय। बिलात दिनन सैं तुमन खौं देखौ नई तो सो तुमाई खबर करकैं हमें रो आव।

बे बड़े प्रेम सैं ऊ दूती खौं लुआकैं अपने बगींचा में चली गई उतै ऊकौ खूबई आदर सत्कार करो। बिलाँत दिना रत रत वा कन लगी कैं चलो तनक बायरै घूम आइये बायरैं ऊने पैलाँ सै एक बग्गी तैयार कर दई ती। बायरैं आकैं ऊ दूती ने उन दोई जनन खौ बैठार कैं कन लगी कैं चलो तनक ईपै बैठकै घूम आइयै। उनके बैठतनई बग्गी जोर सै दौरन लगी। उनन सें पूछी कैं मौसी अपुन कितै आ जा रये। दूती कन लगी कैं अपुन ऊ सुन्दर सिहिर में घूमवे आ जा रये।

बग्गी सूदी राजमिहिल के दौरे जाकैं ठाँढ़ी हो गई। दूती नें उन दोइयँन खौं राजा खौं सौंप कैं सुक की साँस लई उर मन मुक्तौ इनाम लैकैं अपने घरैं चली गई। कछू दिना में दिलबर सवारी लैकै पोंचौ उर उतै परियँन खौ नई देखकैं भौत दुखी भओं। राजकुमार सैं पूरी किस्सा सुनकैं परियँन कौ पतो लगाबे खौं चल दओ। कछू दिनाँ में उयै परियँन कौ पतों लग गओ।

वौ साधू कौ रूप धरकैं परियँन की तलाश में फिरन लगो। वे दोई परियाँ छत पै ठाँढ़ी-ठाँढ़ी दिलबर की बाठ हेर रई ती। इतेकई में दिलबर साधू के रूप में उनन सौ जा मिलो। ऊने कई कैं काल हम उडन खटोला लैकै ऐई छत पै आ जैंय। तुमन तैयार रइयौ। दिलबर दूसरे दिना उड़न खटोला लैकैं छत पैसें परियँन खौं बैठार कैं उड़ गओ।

राजा उर राजकुमार दूर सैं तमाशौ देखत रै गये। दिलबर वे दोई परी राजकुमार खौं सासौंप  कैं सुख की साँस लई उर ई तरा सैं अपनी मित्रता कौ पूरौ-पूरौ बदलौ चुका दओ। मित्र होय तौ ई दिलबर चोर कैसो। जीने अपने प्रान गदिया पै धरकैं अपने मित्र राजकुमार की पग-पग पै सहायता करी। वे राजा भये उर वे रानी उर दिलबर अपने घरै जाकैं सुख चैंन सैं रन लगे। बाढ़ई ने बनाई टिकटी उर हमाई कहानी निपटी।

बुन्देली लोक कथाएं -परिचय 

admin

Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.

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