Teesmar Khan तीसमार खां-बुन्देली लोक कथा

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बुन्देलखण्ड की एक कहावत आय जे आगाए Teesmar Khan जो ससुर तीसमार खां है का ? सरकनपुर में सबई जातन के आदमी रत्ते। बामुन उर ठाकुरन की बस्ती तौ कमई हती। ढीमरन उरकोरियन कौतौ भौत बड़ो मुहल्ला हतो। अकेलै सब अपने अपने कामन में बिबूचै रत्ते। नाँय माँय के ऐलफदालन सैं दूर एक मनसुखे कोरी रत्ते। वे अपनौ चरखा चला-चला कैं सूत कात-कात कै गुजर बसर करत रत्ते।

भुन्सरा सैं समय पै ताती-ताती रोटी बनाकैं खोआ देततीं घरवारी उर दुपरैं कछू ना कछू खाबे दै देत तीं। जीसै मनसुखे अच्छे भले चंगे बने रत ते। एक दिनाँ रमकू ने खाबे के लाने एक गुर कौ ढींड़ा दै दओ। गुर खाबे में उने बड़ों आनंद आऊत तो। उन्नें बड़े मजे सै गुर खाव उर पानी पियो उर इतेकई में सन्ट हो गये। गुर खात में कछू उनके मौ में छब गओ। ऊको उन्नें कछू ध्यान नई दओ उर इतेकई में उनकी झबकी लग गई।

वे खूब घुर्राटों दयें सो रये तें उर उनके मौ पै सैकरन माछी भिनभिना रई ती। तनक देर में उनकी आँख खुली सोऊ उने मौपै चिपकी माछियँन कौ पतो चलो उर उन्ने गुस्सा में अपने मौपै हात दैमारो। कछू माछी तौ हात के घलतनई उड़ गई उर कछू मरी मराई नैंचे गिर परीं। मनसुखे ने धरती में गिरी माछी गिनी सोवे तीस ठौवा माछी कड़ी। उनें गिनतनई वेऊचट कैं ठाँढ़े हो गये।

रमकू खौं टेर कैंकन लगे कै देखरी अब हम आज सै चरखा नई चलायें। हमने एकई हात में तीस माँड़ारे तीस। आज सै हमाओ नाँव तीस मार खाँ हो गओ। अवई चरखा चलावे में का धरो हम तौ राजा के नाँ कोनऊ बड़याई नौकरी करें। उनकी बातें सुन सुन कै रमकू हँसन लगी। उर कन लगी के तीस ठौवा माछी मारबे में तुमाई का बहादुरी है।

घरवारी की बात सुनतनई मनसुखे चचैंड़ के बोले कै बड़े बूढ़े जा साँसी आ कन लगत कैं औरतन की अक्कल ओछी होत। जैसी उनके मन में औरी सो ऊसई बकन लगतीं। कछू सोसी ना समझी उर उठाई जीव तरुवा सैंमारी। अरे एकई माछी मारबें में तौ राम सै काम परत। फिर जब एकई हाँत सैं तीसमार डारी ईसै बड़ी बहादुरी और का हो सकत?

रमकू कन लगी कै अब हमें कछू नई कनें जैसों तुमें  अच्छौ लगै सो करो। मन सुखे सूदे राजा के दरबार में पौचे। पैलाँ तो राजा साव सै हाथ जोर कैं प्रणाम करी उर फिर कन लगें कैं मराज आप की कृपा सैं हम ने एक हाँत सैं तीस मार डारे तीस। हम अपनौ काम छोड़कैं अपुन के इतै नौकरी करन चाऊत। उतै जित्ते दरबारी बैठे ते सब अचम्भौ खाकैं रै गये। सोसन लगे कैं जो इत्तो ताकतवर कऊँनई दिखात कै ईनें एकहात सैं तीस ठौआ मार दयें हुइयैं।

हो सकत कैं कोनऊ बड़े देइ देवता की कृपा हो गई होय। राजा हँस कैं कन लगे कैं हो तौ तुम बड़े बहादुर आज सै हम तुमें अपनी फौज कौ मुखिया बनाये देत। तुम अलग सैं एक कोठी में रइयौ। तुमें खजाने सैं दस हजार रुपइया कौ मईना मिलें। जब कोनऊ बड़ो काम आय तब तुमाई जरुरत परें। अबका कने मनसुखे की। मूछन पै ताव दैके किलकन लगे उर अपनौ डेरा डंगौ उठाकैं एक बड़ी कोठी में धर लओ उर ठाट सैं रन लगे।

जौ अब भाग कौ खेल है। कन लगत कै कबहुँ घूरे तक के दिन फिर जात। अब उनें चरखा कायखौं चलाबने तो। रमकू बढ़िया सारी पैरकैं रानियँन के संगै हँसन बोलन लगी। ऐसई ऐसै कैऊ बरसै कड़ गई। खा पीकै मनसुखे अच्छे मलूका पर गये ते। जंगल कौ एक शेर शिहिर में आकै चाय जौन आदमी खौ उठा कै खा लेत तो। ऊकी डाढ़ लबक गई राजा ने हुकम दओ कै दो दिना के अंदर शेर कौ शिकार हो जाव चइये।

भारई कोशिश करी गई अकेलै शेर उनन के हाँते नई लगपाव। हार कै राजा केलिंगा पौंचकै कन लगे कै मराज हमन तौ हार गये शेर हम औरन के हाँतई नई आरओ है। राजा खौ अचानक मनसुख मुखिया की खबर आ गई। उन्नें सोसी कै मुखिया तौ बरसन सै खजाने कौ खा पी कै मोटे हो रये। उनकी बहादुरी अब कबैं कामै आय। राजा ने मनसुखे खौ बुलाकैं हुकम दओ कै देखौ दो दिना में शेर कौ शिकार कर कै दिखावनें हैं।

राज के पूरे सिपाई हार गये अब जौ काम तुमइये करने परे। कजन दो दिना में ऊँ खतरनाक शेर कौ शिकार करकै नई दिखाव तौ तुमें मरवा कै फिकवा दओ जैय। सुनतनई मनसुखे के प्रान सटक गये। सोसन लगे कै अब चूले की खाई मजोटे हुन कड़ी आऊती। वे चुपचाप मराज सै हात जोर कै चले गये उर घरै जाकै रमकू खौ पूरी किस्सा सुनाई सुनतनई रमकू के सटननारे छूट गये।

रमकू कन लगी कै देखौ हमने कई ती कै इन बातन में नई परो कोनऊ दिना बड़याई बीद जैय। जो कैसऊ निनुरत नई बनें। अपनों आराम सै चरखा चला चला के पेट पालत ते कोऊ कछू कैबे वारो नई हतो। जौन शेर खौ इत्तान सिपाई नई मार पाये उयै तुम का मारो। (राजा तुमें फाँसी पे लटकुवा दैय)। दोई जनें चिन्ता के मारै दिन भर भूके प्यासे डरे रये।

उन दोई जनन नें सलाकरी कै आदी राते अपनौ सामान बाँध के दस बीस कोस दूर भग चलें नईतर राजा मरवा के फिकवादैय। अब सोसी कै अपनौ सामान काय सै ले चलें। रमकू बोली कै गाँव के बायरे कुल्लकेरे गदा फिर रये हुइयै, एकाध गदा पकर लै आव। ओई पै सामान लाद कै भग चलबूँ। जा बात मनसुखे के गरें उतर गई। जैसे तैसे रात हो गई, इदयारी रात हती। आदीराते मनसुखे टटकोंरा उठे उर गाँव के बायरे गदा ढूंढ़बे कड़ गये।

इंदयारे में उतै गदा तौ नई मिलो बेऊ शेर ग्योड़े पै घूम रओ तो। मनसुखे ने उयै गदा जान कै पकर लओ। उर मनसुखे के भाग कौ खेल देखौ कै वौ शंर उनपै बिलकुल नई गुर्रानो। मनसुके ने उयै एक मोटी साँकर सै नीम के पैड़े सै बाँध दओ। इँदयारे में कछू दिखानौ नई हतो। तनक देर तौ शेर चुप चाप बँधो रओ उर फिर तनक देर में जोर सै गरज परो। सुनतनई मनसुखे उर रमकू के प्रान सूक गये।

मनसुखे तौ खटिया तरे दुक गये, उर रमकू कुठिया में घुस गई। शेर गुर्रा-गुर्रा कै साँकर उर पेड़े खौ चबाये डार रओतो। पुराभर के आदमी जाग परे ते। उर दूर सै मनसुखे कै दौरे बँधे शेर कौ तमासौ देख रये ते। तनक देर में आदमियन ने राजा खौ खबर दई कै मुखिया ने शेर खौ पकर कै नीम के पेड़े सै बाँध दओ।

सुनतनई राजा खौ बड़ो अचंभौ भऔ कै मनसुखे तौ साँसऊ भौत बड़े बहादुर हैं। जिन्ने शेर खौ पकर कै बाँध लओ धन्न हैं वीर पुरुष। राजा दौर कै मुखिया की कोठी पै पोचे उर उतै शेर खौ बँधे देख कै ता करकै रै गये। सैकरन ठौवा सिपाई बंदूकै लै लै चारई तरपै ठाढ़े हो गये उर मनसुखे खौ बायरै बुलाव। मनसुखे उर रमकू बायरै कड़कै ठाढ़े हो गये। राजा ने बड़ी सियावासी दई हजारन रुपइया इनाम में दैकै, उनें अपनी सेना कौ सेनापति बना लओ।

अब का कनें मनसुखे के वारे के न्यारे हो गये। भगवान की कृपा सै छक्के पंजे उड़न लगे। ऐसई ऐसै चार छै साल कड़ गई। लिंगा के जंगल में एक ठौवारीछ लबक गओ। आये दिन ढ़ोर बछेरुवन खौ टोरन खान लगो, और तौ और आदमियँन तक कौ शिकार करन खान लगो। जनता ने राजा सैं फिरात करी। राजा ने अपनी पूरी की पूरी सैंना रीछकौ शिकार करबे जंगल में पौचा दई। उर सेनापति मनसुखे खौं सेना के संगै जाबे कौ हुकम दै दओ।

सुनतनई मनसुखे अकर बकर हो गये उर सोसन लगे कैं उदनाँ तौ इँइयारे में अंधे के हाँतन बटेर लग गई ती। भगवान ने भौतई बड़ी लाज राख दई ती। अब बताव जंगल में रीछकौ कैसे सामनौ कर सकत। पूरी सेना के सामने अब हमाई फजीहत हो जानें। जनम तौ हतयार चलाये नइयाँ अब हम कैसे भाला तलवार चला पैंय। अब करें का राजा कौ हुकम तौ अबटार नई सकत। अब जैसी भागमें लिखी हुइयै सो हुइयै।

ऐसी सोसकैं हाँत में भाला लैकै एक घुरवा पै बैठकै मनधरयात से सेना के संगै चलदये। रमकू कौ जिऊ अकर बकर हो रओ तौ। वा मनसुखे के काजै बारा मढ़ियाँ पूज रई ती। सेना के सिपाई तौ अपने घुरवँन पै सवार होकै पूरे जंगल में फैल गये ते। अब रै गये ते एक पेड़े के तरै ठाँढ़े अकेले मनसुखे।

जंगल में जानवरन की आवाज सुन-सुन कै उनके प्रान कड़े जा रये ते। उन्नें तनक नाँय माय हेर कै अपने घुरवा सै उतर कैं नैचे ठाँढ़े हो गये उर उनकौ घुरवा हिन हिनाकैं जंगल कुदाँऊ भग गओ। अब रै गये अकेले ठाँढ़े मनसुखे। डरन के मारै उनकी अड़ियाँ कप रईतीं। उनें दूरसै शेर कौ गरजबौ सुनाई परो, सोऊ वे डरन के मारै एक ऊँचे से पेड़े पै अपनौ भाला लैकैं चढ़ गये।

इतेकई में क्याँऊ सैं बेऊ रीछ जंगल में सै कड़कैं आदमी की बास लेत ओई पेड़े के तरे आकैं गरजन लगो। उयैं देखतनई मनसुखे की पेशाब छूट गई, उर बे थर थर कपन लगे। उनके हात सैं भाला छूट गओ उर वौ ठाँढ़ो रीछ के माथे पै परो। उत्ती ऊचाई सै भाला के गिरतनई रीछ उतई ढेर हो गओ। अकेलैं डरन के मारै वे नैचें नई उतर पा रये ते। उतै उनकी सैना अपने सेनापति खौं जंगल खोज रईती।

सेना खोजत खोजत ओई पेड़े तरै पौंच गई जितै मनसुखे के भाला सै छिदोबेऊ रीछ मरो डरो तो। देखतनई सबरे भौत खुश भये उर अपने सेनापति की जय जयकार करन लगे। सबरन ने कई कै साब अब अपुन नैंचे उतर आ। रीछतौ मरई गओ उर हम सबके प्रान बच गये। अकेलै डरन के मारैं मनसुखे नैंचे नई आ पारये ते। हराँ-हराँ नैचें उतरे उर रीछ खौं मरों देखकैं मूँछै ऐठन लगे। सिपाईयँन नें ऊमरे रीछ खौं एक घुरवा पौ लाद कैं राजा के लिगाँपौंच गये।

देखतनई राजा की खुशी कौ ठिकानौ नई रओ उर उन्नें मनसुखे खौ गरै सैं लगा लओ। रमकू फूली नई समा रईती। राज ने अब उनें अलग सैं जागीर लगा दई उर हुकम दै दओ कै जबनौ सेनापति जियै सो जा जागीर उनई के लाने लगी रैय। अब उनें काम कछू नई करने आय। देखौ जौ होत किस्मत कौ खेल। चरखा चलाबे वारे कोरी रंक सै राजा बन गये।

बाढ़ई ने बनाई टिकठी उर हमाई कानिया निपटी।

बुन्देली लोक ब्रतकथा 

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