Dheer Veer Moti का जन्म बिजावर जिला छतरपुर में 6 सितम्बर 1935 को भगवान दास कोरी के यहाँ हुआ था। धीर वीर मोती शिक्षा विभाग में कार्यरत करते थे । इनकी लगभग बीस पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। जिनमें से अधिकांश फाग रचनाएँ है। इनकी फागें धार्मिक और पौराणिक इतिवृत्तों पर आधारित है। मुख्यतः छन्दयाऊ फागें ही उन्होंने लिखी हैं। उनकी चर्चित पुस्तक फाग कौशल्या हरण की से एक फाग का उदाहरण इस प्रकार है-
तब रावन ने जाल बिछाया कौशिल्या का हरण कराया।
इक मछली को जाय गहाया लैकर कैयां ।।
जल में दिया बहाय बचैना, पेटी बीच छुपाके । गए।
फिर दशरथ नृप को रावनने, जल में दिया डुबाके ।।
हरि कृपा से बच गये, नृप दशरथ के प्रान ।
कौशिल्या से ब्याह भयो कौशिल नगरी आन ।