Chandrayan Se Jayenge चन्द्रयान से जाएँगे

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चन्द्रयान से जाएँगे
मामाजी मामी से हमको, खुशी-खुशी मिलवाएंगे।
चंदामामा से मिलने हम, चंद्रयान से जाएँगे।।
बात करेंगे मोबाइल पर, सबको बात कराएंगे।
मेरे जन्मदिवस पर मामा, रसगुल्ले भिजवाएँगे।
दूर नहीं हैं वो अब हमसे, बार बार बुलवाएंगे।

रोज नये पकवान बनेंगे, बड़े मजे से खाएँगे।।
दीपू भैया तुम भी चलना, तुमको सैर कराएँगे।
जिस दिन कह दोगे बस उस दिन, लौट भूमि पर आएँगे।।
जैसा हमने देखा वैसा, आ सबको बतलाएँगे।
मम्मी-पापा के संग रह के, सा रे गा मा गाएँगे।।



ये भारत की धरती है
सबके दुख को हरती है। ये भारत की धरती है ।।
द्वेश किसी से कभी न करती, सबको आश्रय देती है।
इसने प्यार किया है सबको, जग की खूब चहेती है ।।
अपने बेटों की रक्षा में, ज्ञान निछावर करती है।
दुश्मन लोहा मान गये, ऐसी शक्ति स्वरूपा है।
इसके रूप अनेकों हैं, यह विख्यात अनूपा है ।।
धैर्यवान बलिदानी यह, नहीं किसी से डरती है।
यही सम्पदा है कृषकों की, जिसमें हीरा मोती है।
स्वागत करने भू माता का, नदिया चरण भिगोती है ।।
गंगा मैया बह-बह कर, अनगिनतों को तरती है।



भारत माता है
बस्ता बांध पीठ पर हमको, चलना आता है।
कैसे ढोना भार देश का, ज्ञान कराता है ।।
हम बालक हैं कल के पालक, गुरू बताता है ।
गुरूजनों की सेवा करना, सबक सिखाता है ।।
हम हैं भावी सेना नायक, रण से नाता है।
हम पर कोई आँख तरेरे, नहीं सुहाता है ।।
राष्ट्र वन्दना जब भी कोई, सुमधुर गाता है ।
करूणा मन में जग जाती है, तन मुस्काता है ।।
मार भगाएंगे उसको जो, लड़ने आता है।
मेरे खू से बढ़ के मेरी, भारत माता है ।।



बाल रूप भगवान
उन्नति के दो रास्ते, मेहनत औ ईमान।
पर स्त्री को मानिये, माता बहन समान ।।
प्रेम पूर्वक बोलना, सर्वश्रेष्ठ है कर्म ।
साधु संग नित प्रार्थना, अपना नैतिक धर्म ।।
ऐसा रखो चरित्र तुम, करे न कोई हास।
निरंकार सुमरन करें, मन में रख विश्वास।।
शत्रु नहीं वो मित्र है, दे जो तुमको सीख।
उसको गुरूतर मानिये, नहीं समझना भीख।।
कर्म किये जा शुद्ध मन, नहीं पराजय मान ।
हृद्यस्थल में खोजिये, बाल रूप भगवान।।



अपना देश महान
रानी लक्ष्मीबाई के बल, मिली हमें आजादी ।
मधुशंकर,रधुनाथ साह थे, जंगबहादुर वादी।
वखतवली बक्तावर सिंह की, सदा रहेगी याद ।
संग अवन्ती औ झलकारी, चन्द्रशेखर आजाद।।
दुश्मन सबको दिखे भागते, फिर तो मीलों मील।
भीमा खजिया नायक रण में, हर्षित टंट्या भील।।
तात्याटोपे, नानासाहब, और भगतसिंह बोस।
सावरकर, नेहरू,गांधी का, याद रहेगा जोश।।
सआदत हसन और बिस्मिल के, जग गाता गुणगान।
इनके त्याग और वैभव से, अपना देश महान।।



राष्ट्रीय दिवस महान
कई गुना तेजी से चलता, आज सुपर कम्प्यूटर।
शोध चिकित्सा में उपयोगी, बना ब्रिटिश में घर घर ।।
तरह-तरह के स्वाद बताता, जापानी रोबोट।
वैज्ञानिक निर्मित करते हैं, दिखे न कोई खोट।।
हूजाडीन मशीन सुनाती हर दिमाग की बात,
न्यूरोसाइंस हमें बताती मन में क्या उत्पात।।
स्पेस फूड चीन से होता, कुंटल भर का कद्दू ।
तीन फीट की ककड़ी होती, सेव पसेरी ददू ।।
विज्ञान वंश का ज्ञान कराता, जेनेटिक्स विज्ञान ।
अट्ठाइस फरवरी तेरी जय हो, राष्ट्रीय दिवस महान ।।

 


कर दोहे में बात
क्रोध भाव को त्याग कर, जीवन सफल बनाय ।
बचें नशीले शौक से, सादा भोजन खाय।।
पहली सीढ़ी नम्रता, शत्रु न कोई होय।
जीवन भर पछतात वह, आलस जो ना खोय।।
श्रम मानव की साख है, बाकी सब है राख ।
चरित्र मित्र की खान है, धीरज मीठी दाख।।
ज्योति ज्ञान की जब जलै, अंधकार मिट जात ।
दूजे बल वो जियत ना, अपनी राह बनात।।
मात पिता के चरण में, माथ झुकाओ प्रात।
बोलें मीठे बोल नित, कर दोहे में बात ।।

 


आग-बबूला
बात बात पर आग बबूला । रहता है वह भूला भूला ।
है स्वभाव से उग्र गोविन्दा, जलता रहता जैसे चूल्हा।।
गुस्से में रहता है भारी ।। मन से है वो अत्याचारी ।
अपनों से ही लड़ता रहता, मटकाता रहता है कूल्हा।।
भीतर उसके घुटन भरी है । आत्म शक्ति भी मरी-मरी है ।
दिल दिमाग है उसका खाली, तन लगता जैसे रमतूला।।
अनगिन रोग उसे घेरे हैं। मानव दानव बन पेरे हैं।
एक पैर टूटा है जब से, राहगीर कहते हैं लूला।।
अपने को वह बड़ा मानता,  सब से ज्यादा पढ़ा मानता ।
जिसने थोड़ी इज्जत दे दी, फिरता मद में फूला-फूला ।।

बंधुवर
पुस्तक है मित्र बंधुवर । इसमें है चित्र, बंधुवर।।
पढ़ने को सब इसे पढ़ें, भ्रात, मात, पित्र, बंधुवर।
यह तो है ज्ञान की गुफा, छुपे कई चरित्र, बंधुवर।।
भोजन है ज्ञानवान को, स्वागत में इत्र बंधुवर।
बैतरणिनी विज्ञ जनों को, प्रबोधनी पवित्र बंधुवर।।
बूझो तो जान जाओगे, है बड़ी विचित्र, बधुवर।
सबकी है ज्ञान ज्योति यह, जन-जन आश्रित्र बंधुवर।
आहुति पर आहुती जले, भर-भर के चित्र बंधुवर।
कर्मो से श्रेष्ठ हम दिखें, हों भले दलित्र बंधुवर।।

पुरूषार्थ
बिन डीजल पेट्रोल हमेशा, चलती यह गाड़ी।
बैलों की जोड़ी से चलती, बैलों की गाड़ी।।
ताँगे, रिक्शे और साईकिल, बिना तेल के चलते।
नर को नर ढ़ोते देखे हैं, कहिं ऊँट सवारी चलते ।।
जलती रात मोम की बाती, तारों से होता प्रकाश है।
सूर्य गुनगुना करता पानी, मानव का होता विकास है ।।
गैस नही चूल्हे जलते हैं अब भी कई घरों में ।
ग्रामों में बिन बिजली रहते, है पुरूषार्थ नरों में ।।
सिलते अपने हाथों कपड़े, करधा चला रहे हैं।
सबसे मिलके प्रेम नेह का, दीपक जला रहे हैं ।।



इतना मत भूलो
खूब करो तुम हँसी ठिठोली, जी भर कर ऊलो।
मगर समय पर शाला जाओ, इतना मत भूलो ।।
कोई करे प्रसंशा कितनी, अधिक नहीं फूलो ।
कमी न आए पर निष्ठा में, इतना मत भूलो ।।
निद्रा में , आलस में यूं ही, मत बार बार कूलो।
समय कीमती व्यर्थ ना जाए, इसको मत भूलो ।।
अभी समय है तुम चाहो तो, अभी गगन छूलो ।
समय निकलते पछताओगे, इतना मत भूलो ।।
बाल सखा है उमर तुम्हारी, मस्ती में झूलो।
कल के तुम सेना नायक हो, इतना मत भूलो।।



जो समय से चूकता है
समय उसको दूखता है। जो समय से चूकता है ।।
कदम भले रूक जाएँ किसी के, रूकती नहीं घड़ी की सुई ।
समय न करता माफ किसी को, अगर समय पर चूक हुई ।।
जिन्दगी भर कूकता है। जो समय से चूकता है ।।
जिसने किया है जीते जी, समय का अवमूल्यन।
दुख भरा जीवन उसी का, खोए जिसने स्वर्ण क्षण ।।
पाँव रख रख फूंकता है। जो समय से चूकता है ।।
जग समय से, सो समय से, समय की नब्ज को पहचान ।
समय उसका सारथी है, समय पर जो हुआ कुर्वान ।।
तन ईर्षा से सूखता है। जो समय से चूकता है ।।

नेहरू जी
हम सबके प्यारे नेहरू जी। आँखों के तारे, नेहरू जी।।
बच्चे उनकी फुलबगिया थे, सब के नारे नेहरू जी।।
लाल गुलाब भेंट कर बच्चे कहते बारे नेहरू जी।
जब देखो मुस्काते रहते, चमकीले तारे नेहरू जी।।
देश को उन पर नाज बहुत था, सब पर थे भारे नेहरू जी।।
दुश्मन को दो फाँक किया, लड़ने में आरे, नेहरू जी।।
अपने ही लोगों के दुख से, दुखी बिचारे, नेहरू जी।।
जीवन भर जीत मिली उनको, कभी न हारे, नेहरू जी।।
माली थे गुलशन के वे, थे रखवारे, नेहरू जी।
अमर रहेगी उनकी गाथा, जग उजियारे, नेहरू जी ।।



ऊँची रखना शान
क्रोध करे वश में जो कोई, है जग स्वर्ग समान ।
लगन और निष्ठा से श्रम का, होता है सम्मान।।
ईश्वर के दर्शन पाने को, है अनिवार्य समर्पण।
जो बोओगे सो पाओगे, प्रभु है जैसे दर्पण ।।
बानी से पहचाना जाता, मानव का व्यक्तित्व ।
गुरूजनों की सेवा करके, बनता है अस्तित्व।।
जैसा आदर चाह रहे हो, वैसा आदर देना ।
सच के सूरज बनके रहना, नहीं झूठ को खेना।
नहीं सताना कभी किसी को रखना इतना ध्यान।
वीर साहसी बन के रहना, ऊँची रखना शान ।।

 

ये बातें हैं बड़ी कीमती
स्त्री, भाई, दोस्त समय पर, आते सबके काम।
ये सब हैं जीवन के साथी, और सभी निष्काम।।
लोभ, काम, मन को वश में कर, काम करो तुम खूब।
लगन, परिश्रम, निष्ठा के बल, बनना है मेहबूब।।
दौलत, सुंदरता, ताकत का, करना मत अभिमान ।
इस दुनियाँ में बनना तुमको, गांधी, बोस, महान ।।
कर्ज,फर्ज, औ मर्ज न भूलें, इस जीवन में आप ।
इनको भूल गये तो निश्चित, तुम्हें लगेगा पाप।।
समय, मौत, ग्राहक ना हेरे, कभी किसी की बाट ।
ये बातें हैं बड़ी कीमती, मानी उसके ठाठ ।।



जय हे गाऊँगा
आज वतन की रक्षा करने लड़ने जाऊँगा।
जन गण मन अधिनायक जय हे, जय हे गाऊँगा।।
कितनी भी दुर्गम हों राहें, ना घबराऊँगा।
माँ मुझको बन्दूक दिलादे, धूम मचाऊँगा ।।
मातृभूमि की बलि वेदी पर शीश चढ़ाऊँगा ।
जन गण मन अधिनायक जय हे, जय हे गाऊँगा।।
नहीं रहूँगा कभी उदासा, हँस मुस्काऊँगा।
काढूँगा दुश्मन की गर्दन, नहीं झुकाऊँगा ।।
हमसे बढ़ कर देश, देश हित लहू बहाऊँगा।
जनगण मन अधिनायक जय हे, जये हे गाऊँगा।।
पनप रहे आतंकवाद की, जड़ें मिटाऊँगा।
सत्य, अहिंसा और त्याग का, पाठ पढ़ाऊँगा ।।
भारत माता की जय कहके अमर कहाऊँगा।
जनगण मन अधिनायक जय हे, जय हे गाऊँगा।।



कुत्ता घूमें कार में
हम घुमें बेकार में। कुत्ता घूमे कार में ।।
कुत्ता को कुत्ता कहने से, कुत्ता मालिक चिढ़ता है।
कितना भी खासा हो कोई,
लड़ने उससे भिड़ता है ।।
कोई भी मिलने आता है, करे प्रतीक्षा द्वार में ।
चोर नहीं घुस पाते घर में, कुत्ते की ललकार से ।
नये विटामिन खाता है नित, बैठे-बैठे प्यार से।।
मालिक का भी मालिक बन के, रहता है परिवार में ।
इंसानों से कुत्तों की, औकात बढ़ी है आज ।
कुत्ता बफादार होता है, इतना नहीं समाज ।।
पूँछ हिलाता घूमा करता मैम संग बाजार में ।।



अखवार
समाचार पढ़ते हैं पापा, बैठे-बैठे द्वार।
हम जगते हैं उसके पहले, आ जाता अखवार ।।
कार्टून छपते हैं नये-नये, अच्छे लगते हैं।
पढ़ते बढ़े मजे से उसको, सच्चे लगते हैं ।।
अपना बचपन पढ़ के पापा, हर्षित होते हैं।
उनकी मुख मुद्रा से हम सब, परिचित होते हैं ।।
राशिफल दादी पढ़ती है, बाजार भाव दादाजी।
सिने तारिका देखें दीदी, खेल जगत भैया जी।।
चाचा वैवाहिक विज्ञापन, मम्मी पाठक नामा।
मामा बूझो तो जाने, करते रहते ड्रामा।।



खोया आज समाज
मई अट्ठाइस चौहत्तर को, था परमाणु परीक्षण।
वह भारत का प्रथम दिवस था, रक्षा कवच विलक्षण।।
लोहतत्व पाया जाता है सर्वाधिक पालक में ।
नन्हें पौधों सी खुशबू है हम नन्हे बालक में ।।
सूर्य रोशनी से मिलती है हमें विटामिन डी।
एम्वेटार्स है पदार्थ वह जलता नहीं कभी।।
आँखो की बीमारी बढ़ती कमी विटामिन से ।
बढ़ता खून दिखा लोगों में चुकन्दर जामुन से ।।
टेलीफोन और ट्रांजिस्टर डेड हुए हैं आज ।
टी.व्ही.और मोबाइल में खोया आज समाज।।



वृक्ष
वृक्ष हमें भोजन देते हैं, वृक्ष हमें जीवन।
रोग निदान कीमती बूटी, स्वस्थ करे निज तन।।
हरा-भरा वन फूल रहा है, शोभित वन मण्डल ।
वायु प्रदूषण दूर भगाता, होता मन निर्मल ।।
गैस त्रासदी से बचते हैं, हम इसके ही बल।
मस्त पवन से हिलें लताएं, करती हैं कल कल।।
छाया हमको मिलती इन से, फल भी खाये हैं।
हम ही क्या पशु पक्षी भी तो, इनके साये हैं ।।
अन्तिम यात्रा तक संग रहते, जीवन साथी हैं।
इनकी छाया तले अनेकों, घोड़े-हाथी हैं।

बुन्देली झलक (बुन्देलखण्ड की लोक कला, संस्कृति और साहित्य)

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