भारतीय वैदिक संस्कृति, भारतीय संस्कृति के इतिहास के पन्नों में अंकित भारतीय वैदिक संस्कृति Bhartiya Vaidic Sanskriti , गौरवशाली अध्याय है। वेद भारतीय संस्कृति के ज्ञान के आदितम श्रोत है। वेद भारतीय साहित्य की प्राचीनतम् कृति है। वेदों की संख्या चार हैं – ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद एवं अथर्ववेद। सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद है।
Indian Vedic Culture
ऋग्वेद में 10 मण्डल, 1028 सूक्त तथा 10,580 ऋचाएँ हैं। ऋग्वेद से प्राचीन आर्यों के सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक जीवन की विस्तृत जानकारी मिलती है। सामवेद ऐसा वेद है, जिसके मंत्र यज्ञों में देवताओं की स्तुति करते हुए गाये जाते थे। यह ग्रंथ तत्कालीन भारत की गायन विद्या का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करता हैं।
सामवेद में 1549 ऋचाएँ हैं। सामवेद 75 ऋचाएँ ही मौलिक है, शेष ऋग्वेद से ली गई हैं। यजुर्वेद में अनेक प्रकार की यज्ञ – विधियों का वर्णन किया गया हैं।
अथर्ववेद, इस वेद की रचना अथर्वा ऋषि ने की थी, इसीलिए इसे ’अथर्ववेद’ कहते हैं। इसकी रचना लगभग 800 ईसवी पूर्व में हुई। ’अथर्ववेद’ में 20 मण्डल, 731 सूक्त तथा 5849 ऋचाएँ हैं। ’अथर्ववेद’ में 1200 ऋचाएँ ऋग्वेद से ली गई हैं। ’अथर्ववेद’ से उत्तर वैदिक कालीन भारत की पारिवारिक, सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन की विस्तृत जानकारी मिलती है।
वेदों से वैदिक कालीन संस्कृति की आधारभूत जानकारी मिलती है। वैदिक संस्कृति को दो भागों में बांटा गया है – पूर्व वैदिक कालीन संस्कृति एवं उत्तर वैदिक कालीन संस्कृति।
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