कुण्डलियाँ
स्वामी से सेवक सकुच, विनय करत करजोर।
मरजी माफक फर्द की, लगै सौ अरजी मोर।
लगै सौ अरजी मोर, सुतर आगे को धावें।
नाय माय की खबर, खुशी खातिर की ल्यावें।
लगी फिरै दिखनौस, एक कौतल का जोड़ा।
अच्छे से असवार, उडे़ हाथी संग घोड़ा।
छड़ी चैर पंखा हरकारा, दो सोटा वरदार।
वान लपेटी झंडिया, बल्लम बारे चार।।
बल्लम बारे चार, ऊंट पै नौबद बाजै।
सुख को शुभ दिन होंय, सजन जब द्वारें साजे।
डंका संग निसान, जरी-पटका के लाले।
ढोलक टामक बजे, हलें राजक के भाले।