बुंदेलखण्ड के सभी जिलों में प्रचलित Raiya रइया गायन शैली अधिक लोकप्रिय है। चक्की में अनाज पीसते समय और विवाह-संस्कार में गेहूँ बीनने या पापड़-बड़ी बनाने के अवसर पर रइया गाये जाते हैं। रइया एकल और समूह, दोनों में गाया जाता है।
स्त्रियाँ ही रइया गीत गाती हैं। इसमें ढोलक, मंजीरा और लोटा लोकवाद्य संगत करते हैं। बिना वाद्य के भी यह गीत गाया जाता है। इस गीत के अधिकतर गायक श्रृंगारिक रचनाएँ गाते हैं। कहरवा ताल और मध्य लय में गाने से इस गायकी में श्रृंगार छलका पड़ता है।