Homeबुन्देलखण्ड के लोक कलाकारSameer Bhalerao समीर भालेराव

Sameer Bhalerao समीर भालेराव

राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शास्त्रीय गायक Sameer Bhalerao संगीत के एक ऐसे अलमस्त गायक हैं जो संगीत को जी भर के जी रहे हैं। स्वरों को साधना की तरह साध रहे हैं। संगीत ही उनका भगवान है, वही उनकी पूजा है, वही इबादत है, वही अरदास है, वही नमाज है….वही उनका प्यार है, मुहब्बत भी वही है। संगीत ही उनका मकसद है और मंजिल भी वही है…।

सुर की नदिया बहती जाए…हर दिशा मे….

विरले सौभाग्यशाली होते हैं जिन्हें वह सब कुछ विरासत में मिलता है जो लोकमंगलकारी है , ऋत है , आह्ललादिक और सौंदर्यबोधी भी है। पं. श्री समीर भालेराव जी उनमें से एक हैं । भालेराव जी को उनके सुकृत्यों ने यह अकूत संपदा उस जमाने के जानेमाने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के विश्रुत गायक अपने संगीत साधक पूज्य पिताजी कीर्तिशेष पण्डित श्री प्रभाकर भालेराव से शिष्यवत प्राप्त की । पूजनीय पिताजी की गहन साधना का गुरुफल प्रसाद समीर जी ने अपनी संगीत के प्रति अटूट निष्ठा और लगन के माध्यम से प्राप्त किया।

संगीत …संगीत….और संगीत के महामंत्र का अखण्ड जप करने में निमग्न पं. श्री समीर भालेराव आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को समर्पित यह महान गंधर्व अपनी आनंदगंधी आलोकधर्मी आलापचारी के सुरभित समीरण को चतुर्दिक बिखेरते हुए अपने नाम ‘ समीर ‘ को साकार कर रहा है ।संगीत के पुरोधा पं.श्री समीर भालेराव जी को “बुंदेली झलक” की ओर से हार्दिक बधाइयाँ।

श्री समीर भालेराव का जन्म 20 मई 1972 को झांसी के प्रख्यात संगीतकार के परिवार में हुआ था।  उन्हें उनके पिता द्वारा देर से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत से परिचित कराया गया था।  पं.  श्री प्रभाकर भालेराव ग्वालियर घराने के महान प्रतिपादक लेफ्टिनेंट पं.  राजाभैया पुंछवाले और बाद में पं. द्वारा शास्त्रीय गायन में गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया।  गंगाधरराव तेलंग ग्वालियर और प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पं श्रीअजय पोहनकर मुंबई।

प्रशंसा और पुरस्कार:
समीर ने 1992 में लखनऊ में यू.पी. संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार जीता है और 1993 और 1994 में दिल्ली में आयोजित बृहन् महाराष्ट्र परिषद में अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन में उन्हें दो बार आमंत्रित किया गया था।

समीर को “कादंबरी”, भारत विकास परिषद, संस्कार भारती, दक्षिणी कमान कैंट बोर्ड बुंदेलखंड युवा उत्थान समिति, अमर उजाला, आदि जैसे विभिन्न संस्थानों और संगठनों और संगीत कला केंद्र आगरा की अग्रणी संस्था द्वारा भी सम्मानित किया गया है।  वर्ष 1997-1998 में “संगीत सुमन” और “नाद साधक” की उपाधि और वर्ष 2012-2013 में “संगीत कला गौरव” पुरस्कार के साथ।  हाल ही में श्री समीर भालेराव जी को राष्ट्रीय संगीत परिवार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिल्प महोत्सव चंबा के संगीत कला रत्न से सम्मानित किया गया है।

श्री समीर भालेराव जी ने भारत के विभिन्न स्थानों जैसे पुणे, कोलकाता, जयपुर, ग्वालियर, दिल्ली, आगरा, भोपाल, दतिया, डबरा, बीना, नागपुर, रायपुर, भिलाई, कानपुर, लखनऊ, बनारस, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा में सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है।

उल्लेखनीय प्रदर्शन

तानसेन समारोह ग्वालियर गुरु पं.अजय पोहनकर।
संगीत कला शोध संस्थान-दतिया।
बलभाऊ उमडेकर समरोह ग्वालियर।
झांसी महोत्सव झांसी।
गणेश महोत्सव बनारस।
गंगा महोत्सव कानपुर।
स्वर आराध्या नागपुर।
गुलाम जफर संगीत समारोह झांसी।
मेघ मल्हार महोत्सव ग्वालियर।
झूला उत्सव झांसी।
शरद पूर्णिमा महोत्सव-जयपुर।
विष्णु दिगंबर संगीत समारोह आगरा।
गुरु पूर्णिमा महोत्सव-नयन जयपुर।
पूर्वांचल गणेश उत्सव समारोह-दिल्ली।
नोएडा गणेश उत्सव-नोएडा।
बांधव समिति-झांसी।
महाराष्ट्र मंडल रायपुर।
आईटीएम विश्वविद्यालय ग्वालियर-पं. अजय पोहनकर
मधुकर स्मृति समारोह, दतिया।
जवाहर कला केंद्र जयपुर।
कृष्णा आराध्या जयपुर

नवरात्र उत्सव ग्वालियर।
मकर संक्रांति उत्सव बिलासपुर।
महाराष्ट्र समाज रायपुर।
महाराष्ट्र समाज कानपुर।
सा मा पा संगीत समारोह दिल्ली।
‘प्रेरणा’ गंधर्व महाविद्यालय पुणे।
ढोली बुआ संगीत समारोह ग्वालियर।
लोक कला मंच दिल्ली।
राष्ट्रीय शिल्प महोत्सव चंबा हिमाचल।
कला परिषद गुरुपूर्णिमा महोत्सव नरसिंहगढ़।
स्वर गंगा मल्हार महोत्सव आगरा।
अनंत विहार झूला उत्सव झांसी।
कुंज बिहारी संगीत समरोह झांसी।
भातखंडे संगीत समारोह राजा मानसिंग तोमर विश्वविद्यालय ग्वालियर।
भारतीय ललित कला संस्थान नंगल पंजाब।
बाबा हर बल्लभ संगीत समारोह जालंधर।
स्वर शांति समरोह फगवाड़ा लवली यूनिवर्सिटी।
प्राचीन कला समारोह चंडीगढ़।

वर्तमान में श्री समीर भालेराव जी अपने संगीत संस्थान “गुरुकुल संगीत अकादमी” झांसी में गायन तकनीकों और प्रशिक्षण के प्रसार पर केंद्रित है।  उनके कुछ शिष्य पूरे भारत में शास्त्रीय और हल्के स्वर का प्रदर्शन कर रहे हैं।  कुछ नाम इस प्रकार हैं

हाल ही में मौल्यश्री गर्ग इन वॉयस इंडिया, मेघना कुमार इंडियन आइडल टॉप १०, पूर्वी भालेराव आदि।

श्री समीर भालेराव जी को ख्याल, लाइट वोकल (ग़ज़ल), सेमी क्लासिकल और सूफ़ी स्टाइल पर समान महारत हासिल है।  उन्होंने अपनी खुद की गहरी सोच से अपनी प्रतिभा को निखारा है, जो उनके अत्यधिक कल्पनाशील प्रदर्शन और सरगम ​​की अच्छी तरह से संरचित प्रस्तुति को दर्शाता है।

श्री समीर भालेराव जी न केवल प्रतिभाशाली है, जो अपनी समृद्ध आवाज से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है और उन्हें मंत्रमुग्ध कर देता है। सुई कि समीर संगीत में रहता है और ख्याल और लाइट शास्त्रीय शैली को प्रस्तुत करने में खुद को और दर्शकों को अपने साथ जोड़ता है इस प्रकार, समीर भालेराव ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की दिव्य कला का प्रचार करने के लिए अपने जीवन का मिशन बना लिया है।

पद्मश्री रांसहाय पांडे 

admin
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Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
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