Vijay Shankar karauliya विजय शंकर करौलिया

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विविधताओं के साधक
सच में , बहुत ही समृद्धशाली है अपने बुंदेलखण्ड की माटी। पवित्र – विचित्र और सद्चरित्र।
अद्भुत और अप्रितम, आह्ललादिक और आनंदमयी। जहां जन्मे Vijay Shankar karauliya ने अनेक महाकाव्यों की रचना कर दी।

हमें पालती – पोसती आ रही है माँ की तरह , संबल दे रही है पिता की तरह…विस्तृत कर रही असीम आकाश की तरह, धैर्य दे रही है धरती की तरह… अनवरत..। वीरों, कलाधर्मियों और सांस्कृतिक चेतनाओं से संपन्न विविधताओं से आपूरित व्यक्तित्वों को निरंतर संरक्षण देनेवाली पावन बुंदेली माटी को नमन…।

इसी अमृतगंधी माटी की उपज हैं विविधताओं के चितेरे विजयशंकर करौलिया जी ….शुचिता, पवित्रता और निस्पृहता को अपना आराध्य मान साहित्यचेता के रूपों में, कलाधर्मियों के स्वरूपों में, सामाजिकताओं की भद्रताओं में विश्वास करने वाली यह शख्सियत खास होकर भी आम बने रहने में ही सुकून ढूढ़ती है। कविता हो या कथा…सभी में समाज की व्यथा… और फिर उसके समाधानों की तलाश करते हुए अपनी भूमिका स्पष्ट रेखांकित करना करौलिया जी का जीवन धर्म है।

मानवधर्मी जीवनमूल्यों की प्रतिष्ठा के लिए , भारतीय संस्कृति के संवर्धन के लिए समूची प्रतिबद्धता के साथ काम करने में सुखानुभूति करना जीवन का ध्येय बन गया है।अनेकानेक दुश्वारियों मुसीबतों-संकटों में भी अपने आचार्यत्व को सुरक्षित रखना बहुत कठिन है किंतु इन कठिनाइयों में भी सुगमताओं के रास्ते बनाते हुए तीन दर्जन से अधिक पुस्तकों का सृजन करना, अनेक सांस्कृतिक, सामाजिक – शैक्षिक गतिविधियों का संचालन करना किसी साहित्यचेता के लिए असाधारण कार्य है।

असाधारणताओं को साधारणताओं में परिवर्तित करने के सद्गुणों की पूँजी लेकर श्री विजयशंकर करौलिया जी अपनी  सामाजिक भागीदारी को बखूबी निर्वाह कर रहे हैं। अनेक सम्मानों व पुरस्कारों से अलंकृत यह रचनाधर्मी अपने सांस्कृतिक संसार के उत्कृष्ट निर्माण में सृजरत है। ‘बुंदेली झलक’ आपका हार्दिक अभिनंदन करती है ।

विजय शंकर करौलिया
माता- स्व. श्रीमती शांतिबाई करौलिया
पिता- स्व. श्री कृष्ण गोपाल करौलिया निवास- 124, चमन गंज, सीपरी बाजार, झाँसी (उ.प्र.)
जन्म तिथि- 25 नवम्बर 1961
जन्म स्थान- झाँसी
सम्प्रति- अध्यापन : श्री गुरू नानक खालसा इण्टर कॉलेज, सीपरी बाजार, झाँसी।
प्रकाशित कृतियाँ
श्रीमद् भरतचरित मानस (महाकाव्य)
चक्रव्यूह (सचित्र खण्डकाव्य) वीरांगना लक्ष्मीबाई (खण्डकाव्य) श्रीकृष्ण चालीसा (गीतिकाव्य) महासती वृन्दा (पौराणिक नाटक) माँ वैभव

 

लक्ष्मी (धार्मिक नाटक)
इन्द्रधनुष (सचित्र बालगीत संग्रह)
प्रकाशनाधीन ग्रन्थ काव्यकुंज (काव्य संग्रह)
भजनामृतम् (भजन संग्रह)
सृजना (कहानी संग्रह)
गीतांजलि (गीत संग्रह)
श्री राम स्तुति (गीति काव्य)
परिवर्तन (सामाजिक नाटक)
रंगों में संगीत (संगीत के दसों थाटों का परिचय एवं चित्रण)
झाँसी की रानी (बुन्देली भाषा में आल्हाखण्ड विशेष)
बाल कहानियाँ
ग़ज़ल संग्रह।


प्रथम एकल चित्रकला प्रदर्शनी
19 नवम्बर 2003, पं0 दीनदयाल सभागार झाँसी।

समूह चित्रकला प्रदर्शनी
1982 में मध्य रेल सांस्कृतिक अकादमी झाँसी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय चित्रकला प्रदर्शनी प्रतियोगिता में दो तैलचित्र प्रदर्शित।
1985 में साहित्य कला परिषद, दिल्ली द्वारा दिल्ली में ही आयोजित अखिल भारतीय चित्रकला प्रदर्शनी में दो तैल चित्र प्रदर्शित।
1989 में अखिल भारतीय चित्रकला प्रदर्शनी झाँसी में दो तैल चित्र प्रदर्शित ।
झाँसी में आयोजित होने वाले झाँसी महोत्सव के अन्तर्गत कलापर्व में अनेक बार तैल चित्र प्रदर्शित।
22, 23 जनवरी 2014 को बेटी बचाओ अभियान के अन्तर्गत संग्रहालय में आयोजित चित्रकला प्रदर्शनी में दो तैल चित्र प्रदर्शित।

प्रथम वीडियो एलबम
श्री कृष्णचालीसा भजन एवं आरतियाँ

प्रथम वीडियो निर्देशित एलबम
श्री कृष्ण सम्पूर्ण लीला’ हरिहर फिल्म्स से प्रसारित।

अन्य प्रकाशन
गीता प्रेस, गोरखपुर से प्रकाशित ‘कल्याण’ में श्री कृष्ण स्तुति, हिन्दी के समर्पित साहित्यकार परिचय ग्रन्थ क्र0-4 में परिचय एवं प्रतिनिधि कविताएं प्रकाशित।
‘प्रभु सेवा’ नामक मासिक पत्रिका में ‘श्रीभरत चरित्र’ नामक धारावाहिक प्रकाशित।
‘कत्थक नृत्य मंजरी’ पुस्तक का आवरण चित्र तथा लेखक परिचय प्रकाशित।
‘दिल दरिया है’ (दिल्ली से प्रकाशित पुस्तक), का आवरण चित्र एवं कविताओं पर आधारित चित्रांकन एवं समीक्षा प्रकाशित।
श्री नाथूराम साहू ‘साहू’ जी द्वारा प्रणीत/संकलित पुस्तक ‘आभार’ में परिचय प्रकाशित एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, भजन तथा कविताएं प्रकाशित। *

पुरस्कार, उपाधियाँ एवं सम्मान
सन् 1982 में मध्य रेल सांस्कृतिक अकादमी द्वारा अखिल भारतीय चित्रकला प्रदर्शनी में प्रथम पुरस्कार प्रदत्त ।
सन् 2008 में ब्राह्मण महासभा, झाँसी द्वारा ‘ब्राह्मण श्री’ एवं दैनिक जागरण झाँसी द्वारा ‘जागरण श्री’ उपाधि प्रदत्त।
सन् 2008 श्री गुरू नानक खालसा इण्टर कॉलेज, झाँसी द्वारा ‘सरस्वती सम्मान’ प्रदत्त।
04 सितम्बर 2013 एवं 2014 को शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर लोक सांस्कृतिक नाट्य अकादमी एवं पं0 लखन लाल रावत स्मृति सेवा न्यास के द्वारा आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में सम्मान प्रदत्त।
लायन्स क्लब झाँसी द्वारा सन् 2008 एवं 2009 में शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर शिक्षक सम्मान समारोह में सम्मान प्रदत्त।

काव्य पाठ
अनेक काव्य गोष्ठियों तथा कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ किया।

व्याख्यान
मानव कल्याण विकासवादी संस्थान द्वारा आयोजित विचारगोष्ठी में आध्यात्म विषय पर।
वीरांगना झलकारी बाई महिला अध्ययन केन्द्र बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बुन्देली चित्रकला विषय पर।

अन्य कृतित्व
श्री बजरंग रामलीला समिति सीपरी बाजार झाँसी द्वारा आयोजित हुई श्री राम अनेक वर्षों तक श्रीराम जी का अभिनय किया।
सन् 1975 से रंगमंच पर निरन्तर सक्रिय एवं रंगमंचों पर विभिन्न नाटकों में अनेक पात्रों का किया।
तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी को झाँसी (उ. प्र.) में ‘झाँसी की रानी’ का (सन 100 सातार (ओरछा- म. प्र.) में ‘चन्द्रोखर आजाद’ का तैलचित्र भेंट किया (सन् 1984)।
विभिन्न सांस्कृतिक एवं धार्मिक मंचों पर बाँसुरीवादन प्रस्तुत किया।
अनेक साहित्यिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक मंचों का सफल संचालन किया।
सन् 2005 में नॉलेज प्वाइंट झाँसी के वार्षिक उत्सव में स्थानीय सांसद डॉ. चन्द्रपाल सिंह यादव जी – सफल संचालन के लिए सम्मानित।
सन् 2008 में श्री विश्वजीत राय चौधरी द्वारा सरोद वादन की प्रस्तुति के कार्यक्रम का सफल संचालन।
स्पिकमैके संस्था द्वारा सम्मानित।
मंचित ‘महासती वृन्दा’ नाटक का सफल निर्देशन किया।
सदस्य- माउण्ट लिट्रा जी स्कूल झाँसी। श्री गोस्वामी तुलसीदास विद्यापीठ इण्टर कॉलेज, एरच (झाँसी)।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद (प्रान्तीय कार्यकारिणी)।
श्री विश्वनाथ बाल विद्या मंदिर जूनियर हाईस्कूल, करगुवाँखुर्द ब्लॉक बामौर (झाँसी)।
पूर्व सचिव- भारतीय साहित्य कला संस्थान झाँसी।
सदस्य निर्णायक मण्डल- बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी के विविध वार्षिक महोत्सवों में अनेक बार कला प्रतियोगिताओं हेतु निर्णायक मण्डल का सदस्य बनाया गया।
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी के तत्वावधान मे आयोजित अन्तर्विश्वविद्यालयीय (नार्थ जोन) विभिन्न कला प्रतियोगिताओं में निर्णायक मण्डल का सदस्य बनाया गया।
एस0 आर0 ग्रुप ऑफ इन्स्टीट्यूशन्स, झाँसी द्वारा आयोजित एक वार्षिक महोत्सव में फेस पेंटिंग एवं नाटक प्रतियोगिताओं के निर्णायक मण्डल का सदस्य बनाया गया।
सन् 2010 में ब्लू बैल्स पब्लिक स्कूल एवं दैनिक अमर उजाला झाँसी के संयुक्त आयोजन में चित्रकला प्रतियोगिता का निर्णायक मंडल का सदस्य मनोनीत किया गया।
झाँसी महोत्सव के कला पर्व में कला प्रतियोगिताओं हेतु निर्णायक मण्डल का सदस्य मनोनीत किया गया।
नगर में आयोजित विविध कला प्रतियोगिताओं में निर्णायक मण्डल का सदस्य मनोनीत किया गया।
सन् 2013 में दैनिक अमर उजाला झाँसी द्वारा आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता का निर्णायक मंडल का सदस्य बनाया गया।

बुन्देली झलक (बुन्देलखण्ड की लोक कला, संस्कृति और साहित्य)

4 thoughts on “Vijay Shankar karauliya विजय शंकर करौलिया”

  1. झांसी के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व को नवीन कलेवर प्रदान करके आपके द्वारा सराहनीय कार्य संपादित किया गया। आपको कोटिश धन्यवाद।

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  2. Really Sri Vijay Shankar Karauliya Ji is the assets of Hindi Literature, Art& Music.He is a man of letters.He possesses many talents.He is full of innovative & creative ideas.He is our guide, motivater.I am proud of him.

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