Homeबुन्देलखण्ड के साहित्यकारBrindavan Rai Saral बृंदावन राय सरल

Brindavan Rai Saral बृंदावन राय सरल

कवि साहित्यकार Brindavan Rai Saral का जन्म  जून 1951 खुरई जिला सागर मध्य प्रदेश में हुआ । आपके पिता का नाम श्री बालचंद राय एवं माता श्रीमाती  फूल रानी राय। हिंदी, उर्दू, बुंदेली में तीनों में लेखन जारी है

विधा
गीत ग़ज़ल दोहा कविता समीक्षा लघुकथा हाइकू कहानी,

 प्रकाशन
हिंदी साहित्य कविताओं की चौदह किताबें प्रकाशित
1 – धूप ही धूप  (ग़ज़ल संग्रह 2000)
2 – आज की कविता (हिन्दी 2002)
3 – को का  कैरओ (बुंदेली ग़ज़लें 2013)
4 –  मैं भी कभी बच्चा था (बाल कविताएं)
5 – दोहा वली ( दोहे )
6 –  शब्दों की छाती फटती 2022 है (ग़ज़ल संग्रह)
7 – आसमान मन  में उतार ले (गीत संग्रह 2022)

8 – खूशबूदार मुक्तक 2022
9 – महकता गुलदस्ता 2022
10 – दिल में कितने ‌दुख के झरने 2022
11 – श्री सीताराम कथा (भगवान राम पर कविताएं 2022)
12 –  मिट्टी रोई फूटकर (दोहा संग्रह 2022)
13 – बाल कविताओं का उपवन 2023
14 – बृंदावन राय सरल की चुनिंदा ग़ज़लें 2023

आने वाली पुस्तक 
पिंजरे के पंछी को व्योम में उछाल दो 
इनके अलावा 235साझा संग्रह में कविताएं प्रकाशित
देशी विदेशी पत्रिकाओं में प्रकाशन जारी

 सम्मान
साहित्य श्री, इलाहाबाद, साहित्य भूषण कन्नोज, हिन्दी साहित्याचार्य, सतना, प्रतिभा सम्मान, भुसावल,हिमाक्षरा साहित्य सम्मान,वर्धा, श्रेत्रीय सम्मान भोपाल,  मप्र लेखक संघ, मंचीय सम्मान भोपाल, साहित्य शिरोमणि, छग, श्रेष्ठतम साहित्यकार जबलपुर,  उज्जैन, डबरा, दमन, देवरिया उत्तर प्रदेश,

इनके अलावा देश की  450 विभिन्न संस्थाओं द्वारा विभिन्न शहरों से सम्मानित।
कवि सम्मेलन 600बडे कवि सम्मेलन में काव्य पाठ,
3000 कवि गोष्ठियों में काव्य पाठ का अनुभव।

 आकाश वाणी दूरदर्शन कलाकार
सागर, छतरपुर, रीवा, दूरदर्शन भोपाल मध्यप्रदेश

पता
बृंदावन राय सरल Brindavan Rai Saral
कवि साहित्यकार
94 पोददार कालोनी राय भवन सागर मध्य प्रदेश भारत

डॉ सरोज गुप्ता का जीवन परिचय 

admin
adminhttps://bundeliijhalak.com
Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
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