Political Condition in Indus Civilization
पुरातात्विक साक्ष्य Sindhu Sabhyta Me Rajnitik Dasha के बारे में मौन हैं। सिंधु सभ्यता की सांस्कृतिक एकता में एकरूपता सभी क्षेत्रों में स्पष्ट है, यथा, – मृद्भांड के स्वरूप, चर्ट – फलक, घनमाप, पक्की मिट्टी की पिंडिका (टेराकोटा केक), कंगन, पशु – मूर्तियाँ ताम्र और कांस्य उपकरण, उत्कीर्ण सीलें, सेलखड़ी, मनके ईंट की माप आदि।
सुदूर व्यापार के साक्ष्य तो इसको और भी सुदृढ़ करते हैं। ऐसी सांस्कृतिक एकता किसी केन्द्रित सत्ता के बिना संभव नहीं हुई होगी। यदि हड़प्पाई सांस्कृतिक अंचल केा राजनैतिक अंचल का अभिन्न अंग मानें, तो इस उपमहाद्वीप ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना से पूर्व इतनी बड़ी राजनैतिक इकाई कभी नहीं देखी। जोकि 600 वर्षों तक निरंतर कायम रही।
कदाचित् Sindhu Sabhyta Me Rajnitik Dasha को सही दिशा देने के लिए केन्द्रीय शासन की ओर से अनेक पदाधिकारी भिन्न – भिन्न नगरों में शासन करते सिंधु सभ्यता में जनतंतात्मक शासन व्यवस्था रही होगी। अन्य विद्वानों का मानना है कि, मिस्र एवं मेसोपोटामिया की तरह पुरोहित वर्ग का शासन रहा होगा। मिस्र और मेसोपोटामिया के नितान्त्त विपरीत किसी भी हड़प्पाई स्थान पर मंदिर नहीं पाया गया है।
हड़प्पा अंचल में धार्मिक विश्वासों और आचारों में एकरूपता नहीं हैं। इसलिए ऐसा सोचना गलत है कि हड़प्पा में पुरोहितों का वैसा ही शासन था जैसा कि निचले मेसोपोटामिया के नगरों में था। शायद हड़प्पाई शासकों का ध्यान विजय की ओर उतना नहीं था जितना वाणिज्य की ओर और हड़प्पा का शासन सम्भवतः व्यापारी वर्ग के हाथ में था। किन्तु जब तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल जाता, तब तक सिंधु सभ्यता की राजनीतिक – दशा के बारे में केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है।