लोक भूषण श्री पन्ना लाल ‘असर’‘ का दिल बुंदेलखंड केआँचलिक लोक साहित्य, संस्कृति और बुन्देली विरासत को सहेजने के लिये धड़कता है। उन्होंने अपने सार्थक प्रयासों से भारत ही नहीं, विश्व पटल पर बुन्देलखण्ड के नाम को गौरवान्वित किया है। Shri Panna Lal Asar जी ने बुंदेली झलक Bundelii Jhalak को मार्गदर्शन कर बुंदेली लोक कला,संस्कृति और साहित्य के संरक्षण और संवर्धन मे विशेष योगदान दिया है।
बुन्देली लोक कला व लोक साहित्य के सतत संरक्षण संवर्द्धन में साधनारत
पिताजी – स्व० श्री रामदास
माताजी – स्व० श्रीमती गोसती देवी
जन्मस्थान – झाँसी (उ0प्र0)
जन्म तिथि- 02 फरवरी 1955
शिक्षा- स्नातक, साहित्य रत्न
संगीताचार्य हिन्दी/बुन्देली – गुरू – स्व० श्री सरस गोपाल ‘सरस’ ( मेरठ घराना)
उर्दू गुरू/उस्ताद – उस्ताद-ए-मोहतरम जनाव मकसूद अली ‘राही’ (झाँसी)
श्री पन्ना लाल ‘असर’ …एक व्यक्तित्व
भेल झाँसी में अपर अभियन्ता पद से सेवानिवृत्त श्री पन्नालाल ‘असर’ का दिल आँचलिक लोक साहित्य, संस्कृति और बुन्देली विरासत को सहेजने के लिये धड़कता है। उन्होंने अपने सार्थक प्रयासों से भारत ही नहीं, विश्व पटल पर बुन्देलखण्ड, प्रदेश एवं देश के नाम को गौरवान्वित किया है। चार बार भारत के राष्ट्रपति भवन एवं देश-विदेश के अनेक प्रतिष्ठित मंचों से अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं।
आपकी शोध आधारित हिन्दी एवं बुन्देली के साथ ऑग्ल भाषा में वैज्ञानिक शैली में लिखी गयी पुस्तक ‘बुन्देली रसरंग’ को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने 51 हजार रुपये के पुरस्कार से नवाजा है। यह भारत में आकाशवाणी के अपर महानिदेशक गुलाब चन्द जी के द्वारा सम्पादित है। आपकी 50 वर्ष की लोक कलाओं के उन्नयन और उत्थान से जडी सेवाओं के लिये वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने दो लाख राशि के साथ लोक भूषण पुरस्कार से सम्मानित कर बुन्देली धरा को गौरवान्वित किया है। राजकमल प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित पुस्तक ‘मेरी झांसी’ में समाहित उनके आलेखों को बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय। सहित देश के कुछ अन्य विश्वविद्यालयों में स्नातक एवं परास्नातक कक्षाओं के लिये पठन-पाठन की विषय-वस्तु बनाया गया है।
श्री पन्ना लाल ‘असर’ जी को हिन्दी, बुन्देली, आंग्ल एवं उर्दू भाषाओं पर समान रूप से महारत हासिल है। देवनागरी एवं उर्दू रस्मुल-खत में भोपाल से अलग-अलग प्रकाशित उनके गजल संग्रह… ‘एहसास-ए-गजल’ को दोनों ही भाषाओं के साहित्यकारों के मध्य उनको विशिष्ट बना दिया है। आपका मंचीय प्रस्तुतिकरण अद्भुत है। झाँसी महोत्सव, ताज महोत्सव, गंगा महोत्सव, ओरछा महोत्सव, महोबा महोत्सव, कुतुब मीनार महोत्सव समेत क्षेत्रीय और आँचलिक मंचों पर श्री पन्ना लाल ‘असर’ जी की प्रतिभा देखने वालों को दीवाना बना देती है।
विशेषकर बुन्देली लोक साहित्य और कलाओं के संरक्षण, सम्बर्द्धन एवं प्रचार-प्रसार की दृष्टि से श्री पन्ना लाल ‘असर’ जी की उपलब्धियाँ अनुपम एवं अद्वितीय हैं। अपने जीवन के पांच से अधिक कीमती दशक उन्होंने गाँव, नगर एवं दूर-दराज के अंचलों में जाकर बुजुर्ग महिलाओं, पुरुषों एवं सिद्धहस्त लोक कलाकारों व साहित्यकारों से साक्षात्कार व सम्वाद कर प्रमाण एकत्र किये तथा उसके आधार पर लोक कलाओं एवं साहित्य को लिपिबद्ध करने का दुरूह कार्य किया है। इस तरह हम कह सकते हैं कि श्री पन्ना लाल ‘असर’ जी ने दम तोड़ती बुन्देली लोक संस्कृति एवं साहित्य को पुनर्जीवन प्रदान किया है।
बुंदेली लोक रचनाकार
बुन्देली लोक कलाओं के प्रचार-प्रसार की दृष्टि से आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के विभिन्न केन्द्रों के अनुबन्धित कलाकार के रूप में उन्होंने अनेकानेक बेमिसाल एवं बाकमाल प्रदर्शन किये हैं, जिन्हें कई बार दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल ने भी अपने कार्यक्रमों में समाहित किया है। बुन्देली की आँचलित लोक कलाओं एवं साहित्य को मंच प्रदान करने के उद्देश्य से सरकारी स्तर पर आरम्भ किये गये ‘झाँसी महोत्सव’ . में 1993 से 2013 तक बुन्देली मंच के संयोजन एवं संचालन का उत्तरदायित्व शासन एवं प्रशासन द्वारा उन्हें ही प्रदान किया जाता रहा, जिसे उन्होंने गरिमामयी स्वरूप प्रदान किया।
यहाँ के उर्दू साहित्यकारों एवं शाइरों के कृत्य को मंजर-ए-आम पर लाने में भी वह अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति की पंजीकृत संस्था ‘अंजुमन तामीर-ए-अदब’ के माध्यम से पिछली पाँच प्रशासन द्वारा उन्हें ही प्रदान किया जाता रहा, जिसे उन्होंने गरिमामयी स्वरूप प्रदान किया। यहाँ के उर्दू साहित्यकारों एवं शाइरों के कृत्य को मंज़र-ए-आम पर लाने में भी वह – अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति की पंजीकृत संस्था ‘अंजुमन तामीर-ए-अदब के माध्यम से पिछली पाँच दहाइयों से समर्पित प्रयासों में लगे हैं। उनके इन्हीं प्रयासों के चलते कई साहित्यकारों की रचनायें किताबी आकार ले सकी हैं।
प्रकाशित कृतियाँ –
मेरी झाँसी, युग साहित्य, बुन्देली रसरंग, माटी के गीत, बाल गीत, भजन कबीर, पारम्परिक लोक गीत, पारम्परिक गारी, भजन निर्गुण।
साहित्यिक उपलब्धियाँ –
पूर्व सचिव एवं वर्तमान कोषाध्यक्ष अंजुमन तामीर-ए-अदब इण्टरनेशनल’।
सचिव बुन्देलखण्ड लोक कला संगम संस्थान।
सदस्य सांस्कृतिक समिति झाँसी महोत्सव।
पुरस्कार / सम्मान –
‘लोक भूषण सम्मान’ राशि 2 लाख उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 2019।
‘पं. रामनरेश त्रिपाठी’ नामित पुरस्कार राशि 50 हज़ार उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 2015।
‘राव बहादुर सिंह बुन्देला स्मृति सम्मान’ बसारी – मध्य प्रदेश 2016।
‘बुन्देली लोक कला सम्मान’ पूर्व प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी द्वारा 1982।
‘साहित्य सम्मान’ अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल महामहिम श्री माता प्रसाद द्वारा 1984।
‘मैन ऑफ दि इयर सम्मान’ साहित्य अकादमी की अम्बेडकर फेलोशिप, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय इंगलैण्ड द्वारा 1998।
‘जागरण सम्मान‘ विश्व के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले समाचार पत्र दैनिक जागरण द्वारा।
‘नटराज सम्मान’ संस्कार भारती उत्तर प्रदेश द्वारा 2019।
‘कादम्बरी सम्मान‘ भारतीय कला, साहित्य एवं संस्कृति के उन्नयन को समर्पित राष्ट्रीय संस्था ‘कादम्बरी’ द्वारा।
अनेकानेक सरकारी-गैर सरकारी सम्मानों से गौरवान्वि
विशेष – आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के कलाकार
अखिल भारतीय मंच –
कवि सम्मेलन, मुसायरे, गायन, विश्वविद्यालयों में व्याख्यान…
(गंगा महोत्सव, कुतुबमीनार महोत्सव, ताज महोत्सव, ओरछा महोत्सव, महोबा महोत्सव एवं झाँसी महोत्सव आदि)
समाजसेवा –
सचिव बुन्देली लोक कला संगम संस्थान, झाँसी।
सचिव, युग साहित्य परिषद् भेल, झाँसी ।
सदस्य सांस्कृतिक समिति झाँसी महोत्सव, झाँसी।
आय व्यय निरीक्षक – राष्ट्रीय संस्था अंजुमन तामीर-ए-अदब झाँसी।
सम्प्रति
BHELझाँसी से अपर अभियन्ता पद से सेवानिवृत्त ।
निवास –
राम गोमती भवन, सुभाष नगर, भेल, झाँसी (उ.प्र.) – 284120
मोबाइल – 7084912130
ईमेल- plasar38@gmail.com
वर्ष 2015 उ.प्र. हिंदी संस्थान लखनऊ में पंडित राम नरेश त्रिपाठी नामित पुरस्कार सम्मान
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