Homeभारतीय संस्कृतिKolkata Kalighat Mandir कोलकाता कालीघाट मंदिर

Kolkata Kalighat Mandir कोलकाता कालीघाट मंदिर

कोलकाता कालीघाट मंदिर Kolkata Kalighat Mandir एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। मां काली का आशीर्वाद लेने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पर आते हैं। यह एक पर्यटक स्थल के रूप में भी जाना जाता है। यहां पर मां काली की एक विशाल मूर्ति स्थापित है।कालीमाता मन्दिर मे दक्षिण पूर्व के कोने में एक तालाब बना है जिसके लिए मान्यता है कि इस पानी में बच्चे के वरदान को पूरा करने की शक्ति है।

अगर आप कोलकाता कालीघाट मंदिर Kolkata Kalighat Mandir की यात्रा करना चाहते हैं तो इस लेख में मंदिर से जुड़ी जानकारी विस्तृत रूप से दी गई है जिसे पढ़कर आप अपनी यात्रा सुखद और सरल बना सकते हैं। अत: आप इस लेख को आखिर तक पूरा पढ़ें।

कालीघाट काली मंदिर कहाँ पर स्थित है?
कालीघाट काली मंदिर कोलकाता में स्थित है। यह काली देवी का मंदिर है। यह भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस शक्तिपीठ मे प्रतिमा की प्रतिष्ठा कामदेव ब्रह्मचारी ने की थी।

यह मंदिर कोलकाता शहर में हुगली नदी पर बसा हुआ है परंतु समय बीतने के साथ यह नदी मंदिर से दूर चली गई है। कोलकाता शहर का नाम कालीघाट शब्द से ही पड़ा है।

कालीघाट शक्तिपीठ मे प्रतिमा की बनावट
काली के भक्तों के लिए यह मंदिर सबसे बड़ा मंदिर है। इस मंदिर में मां काली के प्रचंड रूप की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा मे मां काली भगवान शिव की छाती पर पैर रखे हुए हैं। उनके गले में नर के मुंडो की माला सजी है। उनके एक हाथ में कुल्हाड़ी और एक हाथ में कुछ नरमुंड है।

उनकी कमर में भी कुछ नर बंधे हुए हैं। उनकी जीभ बाहर की ओर निकली हुई है और उसमें से कुछ खून की बूंदे भी टपक रही है। इस प्रतिमा में तीन विशाल आंखें और एक लंबी जीभ व चार हाथ है जो सोने के बने हैं। वर्तमान में जो मां काली की मूर्ति मंदिर में स्थापित है उसे दो संतो आत्माराम गिरी और ब्रह्मानंद गिरी ने बनाया है।

मां काली के प्रचंड रूप की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी काली किसी बात पर क्रोधित हो गई थी और उसके बाद उन्होंने नर का सहार करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने रास्ते में आने वाले किसी भी नर को नहीं छोड़ा। जो भी सामने आता वह उसे मार डालती।

उनके इस क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव स्वयं उनके मार्ग में लेट गए थे। जैसे ही देवी ने क्रोध में शिव की छाती पर पैर रखा। उसी समय मां को एहसास हुआ कि यह भगवान शिव है और वह नरसंहार करते-करते वहीं पर रुक गई और उन्होंने नर का संहार करना बंद कर दिया।

कोलकाता कालीघाट शक्तिपीठ कैसे बना
पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव के रूद्र तांडव के दौरान माता सती के शरीर के अंग प्रत्यंग जहां कहीं भी गिरे, वहां पर शक्तिपीठ बन गए। जहां पर शीश गिरा वहां पर शाकंभरी देवी शक्तिपीठ बना, जहां पर ब्रह्मरंध्र गिरे वहां पर हिंगराज शक्तिपीठ बना और इसी प्रकार से ज्वालामुखी, पूर्णागिरि, विंध्यवासिनी नैना देवी, महाकाली इत्यादि शक्तिपीठ बन गए।

कालीघाट मंदिर जहां पर बना है वहां पर मां सती के दाएं पैर के कुछ उंगलियां गिरी थी माना जाता है कि कालीघाट मंदिर चंद्रगुप्त द्वितीय के समय से है। शुरुआत में मूल रूप से यह मंदिर एक झोपड़ी के आकार का ढांचा था जिसे राजा बसंतराय द्वारा बनाया गया था। वे बांग्लादेश के राजा थे। इस भव्य मन्दिर का निर्माण सन 1809 में सबर्ना राय चौधरी द्वारा करवाया गया था।

कालीघाट मंदिर का इतिहास
इतिहास के अनुसार मूल मंदिर एक झोपड़ी के रूप में था। 16 वी शताब्दी के शुरू में राजा मानसिंह के द्वारा झोपड़ी की जगह एक छोटे से मंदिर का निर्माण करवाया गया। वर्तमान में जो मंदिर है उससे 18 वीं शताब्दी में सवर्ण राय चौधरी परिवार के देखरेख मे बनाया गया था। हालांकि हलदर परिवार इस मंदिर की संपत्ति का असली मालिक होने का दावा करते हैं।

लेकिन यह बानिशा के चौधरी द्वारा भी विवादित था। 1960 में सरकार और हलदर परिवार के प्रतिनिधित्व के साथ मंदिर के प्रशासनिक प्रबंधन के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था। इसके पश्चात पश्चिम बंगाल की govt ने भी कालीघाट मंदिर को बेहतरीन बनाने में हिस्सेदारी ली और आज के समय में यह मंदिर कोलकाता के पर्यटक स्थलों में से एक है।

कालीघाट मंदिर की वास्तुकला
इस मंदिर का निर्माण Bengal school of architecture शैली में किया गया है। जिसके शीर्ष पर एक बड़ा गुबंद बनाया गया है। जोर बंगला और नट मंदिर गर्भगृह का बेहतरीन आकर्षक दृश्य प्रदान करते हैं।

मंदिर परिसर के पश्चिमी भाग में राधा कृष्ण और कालीघाट मंदिर के बिल्कुल सामने नकुलेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। मां काली की प्रचंड प्रतिमा टचस्टोन से बनी हुई है। जिसमें मां काली श्याम रंग की है और उनकी आंखें, सिर, माथे पर लगा हुआ तिलक और हाथ में एक फांसा सिंदुरिया रंग में है।

कालीघाट मंदिर में दर्शन व आरती का समय
कालीघाट काली माता मंदिर सुबह 5:00 बजे से लेकर दिन में 2:00 बजे तक और फिर शाम 5:00 बजे से लेकर रात 10:30 बजे तक सार्वजनिक रूप से खुला रहता है  ऊपर बताए गए इस समय मे आप मां काली के दर्शन कर सकते हैं।

यदि आरती की बात करें तो मंदिर की पहली आरती सुबह 4:00 बजे होती है। इसके अलावा प्रसाद या भोग का समय दोपहर के 2:00 बजे से लेकर शाम के 5:00 बजे तक है। उस समय मंदिर का गर्भगृह सार्वजनिक दर्शन के लिए खुला नहीं रहता।

कालीघाट – एक पर्यटक स्थल
हजारों भक्त मां काली का आशीर्वाद लेने और प्रार्थना करने प्रतिदिन पहुंचते हैं। यह कोलकाता के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। जब भी आप कोलकाता आए तो कालीघाट मंदिर के दर्शन जरूर करें क्योंकि इसके बिना आपकी कोलकाता यात्रा अधूरी मानी जाती है।

यदि आप इस मंदिर के आसपास ठहरना चाहते हैं तो यहां पर होटल facility भी है। इसके अलावा मंदिर के आसपास के इलाकों में बहुत सारे रेस्टोरेंट और बार भी हैं। जहां पर आप साउथ इंडियन, इंडियन, बंगाली dishes और कोल्ड ड्रिंक इत्यादि का स्वाद ले सकते है।

इसके अलावा कालीघाट मंदिर के आसपास भी घूमने के लिए कई जगह है। इसके पास में ही वस्तुहरु मार्केट है जो shopping के लिए काफी अच्छी है। इसके अलावा यहां पर गोपाल नगर ओल्ड मार्केट, देवी मार्केट, सर्दन मार्केट, चेतला मार्केट और सिटी मार्केट भी है जो कम बजट में शॉपिंग करने के लिए एक अच्छा विकल्प है।

कालीघाट कैसे पहुंचे
कालीघाट जाने के लिए Howrah To Kalighat Route  पता करें। आप कोलकाता रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन पकड़नी होगी। स्टेशन से कालीघाट की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है। कालीघाट मंदिर के निकटतम मेट्रो स्टेशन जतिन दास पार्क और काली घाट स्टेशन है।

इसके अलावा आप अपने निजी वाहन से भी यात्रा कर सकते हैं या फिर सार्वजनिक वाहन से काली मंदिर जा सकते हैं।

कालीघाट मंदिर जाने के टिप्स

  • इस मंदिर में मंगलवार, शनिवार और रविवार को बहुत अधिक भीड़ रहती है। यदि आप केवल घूमने के purpose से जाना चाहते हैं तो आप इन दिनों के अलावा किसी अन्य दिन प्लान कर सकते हैं।
  • मंदिर में डिजिटल कैमरा और मोबाइल फोन ले जाने से बचें। यदि आप ले जाना चाहते हैं तो इसे हैंड बैग के अंदर रखें।
  • यहां पर पर्स काटने वाले लोग भी घूमते रहते हैं तो अपने पर्स का जरूर ध्यान रखें।
  • मंदिर के पास आपको कई ऐसे लोग मिलेंगे जो आपको मंदिर के दर्शन जल्दी करवाने का वादा करके आपसे पैसे लेंगे।
  • आपको बता दें कि इन लोगों का मंदिर की अथॉरिटी से कोई भी लेना देना नहीं है। यह केवल आपसे पैसा लूटने के चक्कर में रहते है अथवा पैसे मांग कर दर्शन कराने वाले लोगों से बचकर रहें।
  • मंदिर के अंदर फोटो लेने की सख्त मनाही होती है। अतः आप मंदिर के अंदर फोटो लेने से बचें।
  • यदि आप कोलकाता घूमने आए हैं कालीघाट मंदिर के दर्शन जरूर करें क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कोलकाता यात्रा कालीघाट मंदिर के दर्शन किए बिना अधूरा होता है।
admin
adminhttps://bundeliijhalak.com
Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

error: Content is protected !!