Dayan डायन-बुन्देली लोक कथा

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एक शहर में एक बड़े प्रतापी राजा रत्ते। जनता उनें देवता की घाँई पूजत ती। जाँ हुन राजा की सबारी कड़तती, जनता उनके गोड़न पै गिर परत ती। एक बेर बा राजा खों एक डायन Dayan ने भरमा दओ और रानी बन गई , उर राजा अपनी प्रजा खौ प्रानन सैं जादाँ चाउत ते। जब देखौ जब जनता के सुख दुख कौ पतों लगाबे राजा साव घूमतई रत्ते अपने राज में। उनकी चार ठौवा रानीं हतीं। बड़ी सुन्दर उर पतिव्रता। हल्की रानी के एक कुँवर हते। वौ सबई के लानें  एक खिलौना सों हतो।

नाँय माँय सैं आकैं राजा साव उनें प्यार सैं घन्टन नौ गोदी में खिलाऊत रत्ते।

एक दिनाँ राजा शिकार खेलबे जंगल में गए। दिन भर तौ जंगल में भटकत रये उर दिन बूड़े जब लौटन लगे सो उनें गैल में एक बावरी के लिंगा बैठी एक सुन्दर औरत दिखानीं। राजा उयै देखतनई मोहित हो गए। राजा ने ऊके लिंगा जाकैं कई कैं हम तुमें अपनी रानी बनाउन चाऊत।

बा औरत हती तौ डायन। अकेलैं अपनौ रूप बदलकैं राजा खौं लुभाबे खौं बैठी ती। राजा जौ भेद समज नई पाये उर ऊ डायन के माया जाल में फँस गये। डायन कन लगी कैं हम तुमाये संगै चलत तौ हैं अकेलैं तुमें हमाई बात माननें परें। तुमाई चार ठौवा रानी हैं, हम उन पर सबसैं अलग रैंय। राजा ने ऊकी सबरी शर्तें मंजूर कर लई उर उयै लोआ जाकै ऊकौ अलग मिहिल में डेरा डार दओ।

वा डायन राजा की हल्की उर लाड़ली रानी बनकैं ठाट सैं रन लगी। अकेलै हती तौ वा डायन। उयै तौ खाबे माँस चानें तौ। राजमिहिल सें क्याऊँ बायरें कड़ नई पा रईती। सोवा कभऊँ राजा की पलीं पलाई गईयँन के हल्के-हल्के बछेरू टोर-टोर कैं खान लगी। जब सब जनें सो जाय सोऊवा अपनौ शिकार करबे कड़त ती। उर जो कछू मिलो सो टोरकैं खा लओ।

ऐसई ऐसे ऊने घुड़सार के पूरे घुरवा खा डारे। भुन्सराँ कोऊना कोऊ मरो मिलत तो। राजा के सिपाई पहरेदार उर कामदार हैरान हते। वे कछू पतोई नई लगा पारये ते। राजा ने पैरो और कर्रों कर दओ। उर रात कैवे खुदई गस्त दैन लगे। अब डायन खौं आफत आ गई ईसें अब कितै जाँय पेट भरबे खौं। सो दो तीन दिना नौ तौवा भूकी लाँगी डरी रई। उयै बायरै कड़बे कौ मौकई नई मिल पा रओ तो। आधी रातेवा सूदी रानियँन के महल में घुस गई। चारई रानी पलकन पै सोरई तीं।

उनमें से हल्के रानी कौ एक कुंवर हतो उर वौ अपनी मताई के लिंगा सो रओ तो। डायन नें हराँ कैऊ कँुवर खौं उठा कैं खालओ उर ऊके गोड़े हाँत चारई रानियँन के मौंके लिंगा दये उर तन-तन खून रानियँन के मौंसे लगा दओ। उर अराम सैं पलका पै सो गई। बड़े भुन्सराँ राजा नौ जाकै कन लगी कैं मराज। आज अपने घुरवँन उर बछेरूवन कौ खाबे वारौ पकरो गओ।

राजा बोले कैं बताव कितै है वौ। वा राजा खौं लुआ कैं रानियँन के मिहिल में पौंची उर कन लगी कैं जे तुमाई चारई रानी डाँयने आँय। देखौ इनन ने कुं वर खों  खा लओ उर इनई ने सबरे घुरवा खा डारे। देखौ कुँवर खौं खाकै अब जे कैसी आराम सें सो रई हैं। राजा खौं देखतनई वे चारई भर भराकै उठी उर कुँवर खौ मरो देखकैं डिड़यान लगीं। वा बोली कै देखौ इनई ने तौ कुँवर खौं मुरा लओ उर अब जे कैसे फाये दिखा रई हैं।

मराज अब अपुन का देख रये इनन की आँख खिंचवा कैं सूके कुँआ में फिंकवा दो। चारई रानियँन ने खूबई कसमें खाई अकेलैं राजा ने एक नई सुनी। कायकैं राजा ऊ डायन के पूरे बस में हो गये तो। राजा ने जल्लादन खौं बुलवा कैं चारई रानियँन की आँखेँ  खिंचवाकैं ओइयै गुआ दई। ऊनें उने एक डिबिया में धरकैं अपनी मताई नों पौंचा दई।

राजा ने उर चारई रानियँन खौं रीते कुँआ में फिंकवा दओ। अब तौ डायन कौ पूरौं राज हो गओ तो। वा आराम सैं बायरे घूम फिरकै अपनौ पेट भरत रत्ती। राजा चौबीसई घन्टा ऊकी सेवा खौं हाजर ठाँढ़े रत्ते। वा उनें लकड़ी के बल बँदरी की घाँई नचाऊती रत्ती। उन रानियँन में सै मजली रानी कैं बाल बच्चा होने तो उर कछू दिना में ओई कुँआ में लरका हो परो।

वे बिचारी कुँवा की माटी खा-खा कैं पेट भरत रत्ती उर तनक पानी पीकैं डरी रत्ती। लरका के होतनई उन चारईयँन खौं भौतई खुशी भई। उनने बड़े प्रेम सैं उयै पाल पोस कैं ठाँढ़ो करो। राजा के दिमान की समज में सब आ रई ती। वे कुँआ में डरी रानियँन की रोटी पानी कौ इंतजाम करत रत्ते। जीसैं वै दस साल लौ जियत बनी रई।

लरका पल पुसकैं बड़ो हो गओ उर बायरें चल फिरकैं मताईयँन की रोटी पानी कौ इंतजाम करन लगो। राजा के मंत्री उर दिमान दुक छिपकैं उनन की मदद करत रत्ते। लरका खौं बड़ो होतन देखकैं उनन खौं भौतई हाल फूल हो रई ती। उनन ने उरका खौ खेलबे को लानें एक माटी कौ घुल्ला ल्आन दओ तो वौ ओई सैं खेलत रत्तो।

बा डायन रानी तौ बायरें घूमतई फिरत रत्ती। एक दिना उयै उन चारई आँदरी रानीयँन की खबर आ गई चारई भूँकी प्यासी डरी- डरी मरई गई हुइयैं। उन कौ लरका बारा बरस कौ हो गओ तौ। ऊनें अपनी मताइयँन सैं पूरी किस्सा सुन लईती। वौ सब बातें जानन लगो तो वा डायन रानी सूदी कुँआ के लिंगा पौंची। ऊ कुँआ की पाट पै एक बारा साल कौ लरका माटी के घुल्ला खौं लये खेल रओ तो। वौ ऊ घुल्ला खौं पानी के लिंगा लै जाकैं कै रओ तो कै देख घुल्ला पानी पी।

लरका खौ देखतनई डायन सनाकौ खाकै रै गई। उर ऊ लरका सै कन लगी कैं तै है कैसों मूरख कऊँ माटी कौ घुल्ला पानी पियत है? छूटतनई लरका बोलो कैं कऊँ मताई अपने जाये लरका खौं खात है। सुनतनई डायन के तरवन हुन झार सी छूट गई। वा रानीयँन खौ देखवौ भूल गई। ऊनें सोसी कै जौ तौ उनई कौ लरका आय।

उनन नें इयैं सबरऊ भेद बता दओ हुइयैं। उर वे इयै देख-देख कैं भली चंगी हुइयैं। कजन जौ राजा सें मिल गओ तौ इयै सबरऊ भेद खोल देंने। फिर हमाई खैर नई रैय। ईसैं ई मोड़ा खौं मरबावे कौं इंतजाम करबो जरूरी है। वा सूदी अपने महल में गई उर खाट की पाटी लैकैं पर रई।

राजा खौ तौ अब अकेली बेई डायन रानी रै गईती। उयै परी देखकै राजा ने घबड़ा कै कई कै अरे तुमें का हो गओ। डायन बोली कै हमाओं बड़ी जोर सै मूँढ़ पिरा रओ। कजन ईकी दवाई नई भई तौ हम तो तीन दिना में मरई जैय। राजा ने कई कै हम अच्छे जानकार वैद बुलाये देत। वा बोली कै इन दवाइयँन सैं हमाओ मूँढ़ नई मिट सकत। हमाये मूँढ़ की दवाई तौ सात समुन्दर पार एक टापू पै धरी है। उर वा दवाई कुँआ की पाट पै रैबे वारो बारा बरस कौ लरका लेआ सकत।

हम उयै चिठिया लिख देय सोवौ जाकै हमाई दवाई लै आय। राजा ने सिपाइयँन से लरका खौं बुलवाकैं कई कै देखौं तुमें एक काम सौंप रये हैं। तुम जा चिठिया लैकैं सूदे सात समुन्दर पार चले जाव। उतै रानी के मूँढ़ की दवाई धरी है। उयै लैकै जल्दी सैं जल्दी लौटनें । नईतर हम तुमें मरवाकै फिंकवा दैय। लरका समज तौ सब गओ।

चिठिया लैकैं सूदौ अपनी चारई मताईयँन नौ पौंचकै कन लगो कैं हम रानी के मूँढ़ की दवाई लैबे खौं सात समुन्दर पार जा रये हैं। हम उतै सै जल्दी लौट आये तुम कोनऊँ चिन्ता नई करियौ। सुनतनई वे चारइ रानी छाती पीट-पीट कैं रोवन लगी और कन लगी कैं हम आँदरन के लानें तुम तनक सहारे हते, हमन की तनक अंध लठिया हते सो तुमई जान लगे।

डायन नें हम औरन की जा गत करा दई उर अब वा तुमें मरवाबे के लानें सात समुन्दर पार पौंचा रई है। राजा साव की तौ बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। वे तौ ऊ दुष्टन के जाल में ऐसे फँस गये हैं कै बिना सोसैं समझे ऊकी कई मानत रत। बेटा

तुम हम औरन सैं छोड़कैं नई जाव। लरका ने मताईयँन कौ खाबे पीबे कौ इंतजाम कर दओ उर पाँव परकैं चल दओ। बे बिचारी छाती पीटत रै गई। लरका आगै चलतई चलो गओ उयै समुन्दर के किनारे एक बाबा की मढ़िया दिखानी। ऊने उतैं बैठ कैं बाबा जू कौ परसाद पाव। जातौ वौ जानतई हतो कैं चिठिया में हमाये लाजै अच्छौ लिखऊ नई हुइयै।

ऊनें बाबा जू खों चिठिया दिखाई। बाबा जू ने बताई कैं ऊ डायन ने चिठिया में लिखो है कै मताई जौ लरका हमाव दुश्मन है इयैं मारकै खा लिइयौ। सुनतई लरका ससरयानों सौ रै गओ। बाबू जू खौ उयै देखतनई दया आ गई। ऊने कई कै तुम चिन्ता नई करो हम तुमें औरई चिठिया बनाँय देत। बाबा ने ओई डायन की भाषा में औरई चिठिया में लिख दओ कैं मताई हम अपने भतीजें खौं तुमाये लिंगा पौंचा रये इयै तुम अच्छी तरा सें राखियाौ कोनऊ तकलीफ नई हो पाबै।

बाबा के पाँव परकैं उर वा चिठिया लैकै लरका आगे खौं चल दओ। चलत-चलत सात समुन्दर पार करकैं वौ जई सैं टापू के लिंगा पौंचो सो आदमी के देखतनई डायन की मताई उयै खाबे खौं दौरी। लरका ने दूरई सै उयै चिठिया दिखा दई। चिठिया के पढ़तन डायन की मताई भौतई खुश भई। उर उयै प्रेम सै अपने घरै लोआ गई। चार-पाँच दिना नौ उयै अच्छौ घुमाव फिराव। अच्छे-अच्छे फल खुबाये। अपने घरै धरो उड़न खटोला दिखाव उर कई कैं ईसै कओ कै चलमोये उड़नखटोला सोऊ जौ उड़ जात्त। तनक उयै ऊपै बैठार कै घुमा फिरा दओ।

उतै कोने में एक डण्डा टिको तो। उयै देखतनई पूछी कैं काय बऊ जौ काय। डुक्कों नें कई कै। जै बड़ो हत्यारौ डण्डा है। जीपै टूट परत उयै जियत नई छोड़त। उर उयै चलाबे की पूरी जुगती समजा दई। एक आरा में एक डब्बा धरो तो। डुक्को ने बताई कै देखौ ई डब्बा मे जादू के गुटका धरे हैं। जिनसै पूरौ जादूकट जात। उर एक डबिया खोलकैं दिखाई जीमें चारई रानियँन की आँखेँ  धरी तीं।

लरका सब देखत रओ, समजत रओ उर गों में देत रओ। एक दिनाँ डुक्को जब घूमबे बायरै कड़ गई सोऊ उयै मौका मिल गओ। ऊनें उड़न खटोला पै डण्डा जादू के गुटकन कौ डब्बा मताई की आँखन की डिबिया धरकैं उड़न खटोला उड़कै आसमान पै मड़रान लगो।

इतेकई में डुक्को लौट कै भीतरै पौंची सो उतै उनें ना उड़नखटोला दिखानो उर ना डण्डा उर ना जादू कौ डब्बा उर ना डिबिया। डुक्को नें जान लई कैं हमाये संगै भौत बड़ो धोकौ हो गओ। ऊके हात पाँव तौ टूटई चुके ते। तोऊ तनक ताकत लगा कैं देखौं कैं उड़न खटोला तौ आसमान पै उड़त जा रओ है। वा उड़कै खटोला पै झपटी सोऊ ऊनें  डण्डा सै कै दई  कै मार मोरे डण्डा। उर डंडा डुक्को के हाड़ टोरन लगो। डुक्को ने लरका पै जादू छोड़ दओ।

लरकाने डब्बा में सै एक गुटका काड़कै छोड़ दओ। डुक्को जर भुनकैं नैचे जा गिरी। लरका उड़नखटोला लैकैं सूदौ कुँआ की पाट पै उतर गओ। सबसैं पैलाँ मताईयँन की आँखें चारईयँन खौं लगा दई। वे चारई आँखेँ  लगाकैं खिलगई उर अपने लरका खौं अंकबार में भर लगो। उयै देखतनई उनके जिऊ में जिऊ आ गओ। लरका ने राजा के लिंगा खबर पौंचा दई कें हम दवाई लैकै आ गये।

सुनतनई डायन रानी के प्रान कड़ गये। वातौ सोसत ती कैं लरका तौ मरई गओ हुइयै। उर वौ तौ कुजानें कैसे बचकैं आ गओ। ऊनें ताव में आकें राजा सैं कई कै ऊ लरका खौं मरवाकैं फिंकवा दो। वौ हमाओ दुश्मन है। वौ चोरी सैं हमाई मताई कौ उड़न खटोला लै आव। राजा नें उयै पकरबे फौज पौचा दई। फौज खौ देखतनई लरका ने डण्डा सैं मार मोरे डण्डा। जा कतनई डण्डा फौज पै टूट परो। फौज के बिड़ारे पर गये।

राजा घबड़ा गये कै अरे ऊ लरका में तौ भौतई बड़ी तागत है। अब ईसैं पेश कैसे पा पाऊत। राजा अपने मंत्रियँन के संगै ओई कुंआ आ पै पौंच गये। चारई रानी बायरैं उड़न खटोला पै बैठी तीं। राजा खौं देखतनई चारई रानी उर लरका राजा के गोड़न पै गिर परे राजा सब समज गये उन्नें लरका खौं गरे सै लगा लओ। रानियँन ने राजा खौं पूरी किस्सा सुना दई उर सबई जनें उड़न खटोला पै बैठकैं मिहिलन में पौंच गये।

राजा डायन रानी पै तौ आग बबूला हतेई। उन्नई  उयै हाती के गोड़न तरे डरवा कै मरवाकैं फिंकवा दओ। उर अपनी गल्ती पै भौतई पछताने। सोचन लगे कैं ऊ डायन के कये से हमने अपनौ घर परवार चौपट कर लओ। ओई दिना सै वे राजा भये उर वे रानी भई। बिचारी रानियँन के दिन फिरकऊँ अच्छे फिर गये। भगवान ऐसई दिन सबके फेरियौ। बाढ़ई ने बनाई टिकटी उर हमाई किसा निपटी।

राय प्रवीण को साको 

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