Bundeli Vyanjan बुन्देली व्यंजन

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Bundeli Vyanjan

भारत के लोग खाने के बेहद शौक़ीन होते हैं। अलग-अलग प्रदेशों का अलग-अलग स्वाद के बिना तो खाने के प्रेमी रह ही नहीं सकते। कुछ ऐसा ही स्वाद मिलता है बुन्देलखण्ड के बुंदेली व्यंजन Bundeli Vyanjan में। जब हम बुंदेलखंडी खाने या व्यंजन की बात करते हैं तो आपको बता दें,यूँ तो वे बहुत सादे होते हैं। लेकिन उसके साथ-साथ अन्य व्यंजनों से काफी अलग और स्वादिष्ट भी होते हैं। 

कच्ची पंगत
बुंदेलखंड में शादी से पहले सुतकरा एवं मंडप की पंगत में कच्चे भोजन का प्रयोग होता है। इसमें दाल , रोटी ,सब्जी , चावल के साथ उड़द की दाल से बना हुआ बरा, चने की दाल, मठ्ठा, बेसन से निर्मित पकौड़ी युक्त कढ़ी, पापड़, शुद्ध घी, शक्कर,  शक्कर का बूरा, गुड़ /खाँड़  और  तेल में भुनी कचरिया कच्ची पंगत की थाली के मुख्य व्यंजन हैं।

पक्की पंगत
विवाह कार्यक्रम की पक्की पंगत में पूरी (पूड़ी ), सूखी व तरी वाली  सब्जी, आम का आचार, धनिया, मिर्ची, टमाटर व कच्चे आम की चटनी, मिठाई, जिसमें बूंदी, बूंदी के लड्डू , बतास फेनी, मगज/बेसन के लड्डू और बेसन की बर्फी है। इसके अलावा अन्य  मिठाइयों का भी चलन था, जिसमें रसगुल्ला , गुलाब जामुन भी शामिल किया जाता था। जबकि, निर्धन वर्ग की दावत में बूंदी अथवा चार-चार बूंदी के लड्डू पंगत की शोभा बढ़ाते थे। इसके अलावा बुन्देलखण्ड की पहचान “सन्नाटा” अजवायन, राई, सरसों, हरी मिर्च , पिसी लाल मिर्च, हींग का तड़का लगे मट्ठे और उसमे पड़ी बूंदी का भी चलन आज भी है ।, सन्नाटे यानि की  रायता की हैसियत बुंदेलखंड की पंगत में काफी अहमियत रखती थी।

बायने का टिपारा
विवाह कार्यक्रम के अंत में विदाई में दिए जाने वाला टिपारे (बायना) में बेसन से निर्मित गुना, पानफूल, माठे, मैदा से निर्मित खाकड़ा, पैराखे (रंग बिरंगी बड़ी गुझिया), मैदा, गुड व मेवा से निर्मित आंसे (बड़ी पूरी) होती हैं। समय के साथ दावत तो बदल गई, परंतु शादियों में टिपारा अब भी यही दिया जाता है।

बुन्देली का आम और खास व्यंजन महेरी
मट्ठा एवं चावल से बनने वाली महेरी बुंदेलखंड के लोक  जीवन में स्वास्थ्य की दृष्टि से सदैव ही प्रिय रही है। बुन्देलखण्ड के ग्रामीण अंचलों में पैदा होने वाले समा चावल, कोदो चावल की महेरी काफी फायदेमंद मानी जाती हैं।

बुन्देली की पहचान महुआ और बेरी
बुंदेलखंड में महुआ के पेड़ काफी मात्रा में पाए जाते हैं ।  बुन्देलखण्ड के मेवाओं में महुआ विशेष है। यहाँ की एक कहावत है…..।
महुआ मेवा, बेर कलेवा, गुलगुच्छ बड़ी मिठाई,
इतनी चीजें चाहो तुम तो डांगे करो सगाई।

 
एक और कहावत है कि अगर किसी भी परिवार के पास एक गाय, दो महुआ के पेड़ एवं एक बेरी का पेड़ है, तो उस परिवार के सदस्य कभी भूखे नहीं रहेंगे।

नास्ता
लटा/ लाटा
मुरका
बिरचून  
डुबरी / डुभरी 
महेरी
बेसन के चीला
मीठे चीला  

रोटी
बिर्रा की रोटी
चुनी की रोटी 
टिक्कड़
मांडे
गकरियाँ 

 दाल
दलभजीया
चना दाल
मसूर की दाल
मूग की दाल

पूड़ी
बेढ़ई
लुचई
सुहारी  
लोल कूचइया
ज्वार की पूड़ी

खीर
कुम्हड़े की खीर
लौकी की खीर
रस खीर
गौरस पछियाऊ

 

भर्ता
आलू 
बैगन , भटा
टमाटर
तोरई /तुराईया  

भाजी 
चने की भाजी 
चकोरा की भाजी
चेंच की भाजी
भतुआ की भाजी
मेथी

 

सब्जी
बेसन के गट्टे की सब्जी
घुइंया के पत्ते की सब्जी
घुइंया की सब्जी
कंकुआ की सब्जी
टमाटर गुड़ की सब्जी
भूरे कुम्हड़े की सब्जी
उपवास वाली आलू की सब्जी 
प्याज की सब्जी
तले लहसुन पत्ते
बेसन के आलू
निघौना / निबौना की सब्जी
कोंच / केवाच की सब्जी

कड़ी
बेसन की कड़ी
नौनिया / मलमला की कढ़ी

चटनी
केंथा चटनी 
बरी की चटनी 
मसेला
बिजौरा 
 कचरी
सेंधा
सेंधिया
कचरिया

 
मिष्ठान
गुलगुले
मालपुआ
बाजरे का पुआ
महुआ का पुआ
बिस्वार के लड्डू

नमकीन
मूंग दाल की कचौड़ी 
खुरमा-खुरमी

पना
आम का पना
इमली का पना
कैंथा का पना

बरी 
चना दाल की बरी
मूग दाल की बरी
कुम्हड़ा-चना दाल की बरी
आलू की बरी
बैगन की बरी
गोभी की बरी

हलवा
पूरी का हलवा
आलू का हलवा
गाजर का हलवा 

 शरबत
बेल शरबत

बघेलखंड की लोक कलाएं