अयोध्या, भारत में स्थित एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है जिसे हिन्दू धर्म में महत्त्वपूर्ण माना जाता है। Ayodhya Dham Ram Mandir भारतीय संस्कृति का उद्गम स्थल है । अयोध्या को रामायण के काव्यिक काल से ही प्रसिद्धता मिली है, जिसमें भगवान राम का जन्म हुआ था। भगवान राम को रामलला भी कहा जाता है और वहां उनके जन्मस्थल को राम जन्मभूमि कहा जाता है।
अयोध्या का इतिहास बहुत प्राचीन है और यह स्थल विभिन्न सांस्कृतिक संस्कृतियों का केंद्र रहा है। यहां बहुत से प्राचीन मंदिर, कुंज और तीर्थ स्थल हैं, जिनमें हनुमानजी का हनुमानगढ़, भगवती सीता के लिए स्थापित सीता रसोई और भगवान श्रीराम के लिए स्थापित जाने वाला श्रीराम जनकी बल्लभ मंदिर शामिल हैं।
अयोध्या ने समय-समय पर विवादों का केंद्र बना रहा है, जिसमें सबसे प्रमुख विवाद अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मुद्दा है जिसका फलस्वरूप 1992 में बाबरी मस्जिद की तोड़फोड़ के बाद अयोध्या में एक नया राम मंदिर की निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल होने के साथ-साथ भारतीय इतिहास में एक गहरे और विवादित अध्याय का भी हिस्सा रहा है।
अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसे हिन्दू धर्म के प्रमुख और पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। इस स्थल पर राम मंदिर की निर्माण की बात हिन्दू धर्म के महाकाव्य “रामायण” के अनुसार होती है।
रामायण के अनुसार, भगवान राम अपने पिता राजा दशरथ के पुत्र थे और अयोध्या के राजा बने थे। उनकी पत्नी सीता के साथ वनवास के दौरान, भगवान राम का भगवान शिव के द्वारा भेजा गया भिक्षुक विष्णु रूपी संप्राप्ति में सुधी नहीं मिली और उन्होंने लंका के राक्षस राजा रावण को मार गिराया।
राम राज्याभिषेक के बाद, अयोध्या वापस लौटे और उन्होंने यहां अपने पुरखों के श्राद्ध के लिए एक यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ के परिणामस्वरूप, अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना हुई। यही स्थान भगवान राम के जन्मस्थल के रूप में माना जाता है।
इसके बाद, अनेक साढ़ी सदियों तक यह मंदिर स्थानीय लोगों के द्वारा पूजा जाता रहा, लेकिन 16वीं शताब्दी में मुघल सम्राट बाबर के शासनकाल में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण हुआ। इसके बाद, बाबरी मस्जिद और राम मंदिर के स्थल पर विवाद उत्पन्न हुआ जो बहुत सालों तक चलता रहा।
1992 में बाबरी मस्जिद की तोड़फोड़ के बाद, राम मंदिर के निर्माण के लिए आंदोलन चला और 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस स्थल पर भगवान राम के लिए मंदिर बनाने का प्रस्ताव पारित किया। इसके बाद, 2021 में भूमिपूजन के साथ ही राम मंदिर की निर्माण प्रक्रिया शुरू हुई है।
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थल पर निर्मित होने वाले मंदिर की अद्यतित स्थापना का आयोजन है। इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का महत्वपूर्ण घटना भूमिपूजन समारोह के दौरान 5 अगस्त 2020 को हुआ था।
इस महोत्सव में, श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने के लिए पहला शिलान्यास तथा प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ। पूज्य संतों और धार्मिक नेताओं के साथ, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अद्भुत क्षण में भाग लिया।
इस आयोजन के दौरान, एक स्वर्ण कलश को शिखर स्थान पर स्थापित किया गया, जिससे मंदिर का शिखर स्वर्ग की ओर उठता है। इसके साथ ही, मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के लिए विशेष पूजा-अर्चना की गई। समारोह में लाखों लोगों ने शामिल होकर इस ऐतिहासिक पल का आनंद लिया और देशभर से लोगों ने इस महत्वपूर्ण क्षण की उपस्थिति बनाए रखी।
इस घटना ने अयोध्या में भगवान राम के लिए मंदिर बनाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया और यह एक नया युग प्रारंभ करने वाले स्थल के रूप में इतिहास में दर्ज हुआ। यह मंदिर अयोध्या के सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को और भी मजबूत करने का कारण बना है और भारतीय जनता के लिए एक बड़ा आदान-प्रदान है।