श्री अतीश कुमार ‘अनन्त’
जन्म तिथि -16-10-1969
पिता- स्व० मुन्नी लाल
शिक्षा – स्नातक/मैकेनिकल
व्यवसाय – नौकरी (BHEL) झांसी
विधा- विविध – दोहे, चौपाई, कविता, कुन्डलियां,नवगीत आदि
उपलब्धियां – अनेक मंचो से काव्यपाठ , कवि सम्मेलन ।
अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित,पत्रिकाओं में रचना धर्मिता आदि ।
सम्प्रति – गांधी पार्क के पास गांधी नगर,सिमरावारी भेल झांसी 284120 (उ०प्र०)
।।माटी।।
माटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोय।
एक दिन ऐसा आयेगा मैं रोंदूंगी तोय।।
माटी की महिमा अपार है,
सृष्टि में जिसका सार है।
माटी में ही जन्मे
माटी में खेले
माटी ही खाई
माटी को पूजा
विजयी होने के लिए
मस्तक पर
माटी का ही तिलक लगाया ।
माटी चन्दन हैं,,
इसे नमन है, वन्दन है
माटी हमारी
आन-बान-शान है।
माटी की कसम
माटी हमारी पहचान है।
हमारा स्वाभिमान है।।
आचार
विचार
संस्कारों की जननी तो है, ही
अन्न ,धन,सम्पदाओं की
खान है।
इसमें सभी श्रेष्ठ गुण
विद्धमान हैं।
‘अनन्त’
जो जानेगा
और मानेगा
वही छानेगा
वर्ना
इक दिन मिट जायेगा माटी के मोल।
जग में रह जायेंगे प्यारे तेरे बोल