Girijashankar Kushwaha ‘Kushraj’ गिरजाशंकर कुशवाहा ‘कुशराज’

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30 जून सन् 1999 को बुंदेलखंड के कुशवाहागढ़ जरबौ गाँव, बरूआसागर जिला झाँसी में बुन्देली किसान कुशवाहा परिवार में जन्मे तेईस वर्षीय युवा लेखक Girijashankar Kushwaha ‘Kushraj’  झाँसी सोशल मीडिया और अपने ब्लॉग ‘कुशराज की आवाज’ पे पिछले 4-6 सालों से साहित्य की विभिन्न विधाओं में हिन्दी और बुन्देली भाषा में निरंतर लेखन कर प्रकाशित करके समाज को नई दिशा दे रहे हैं।

कुशराज झाँसी का मूलनाम गिरजाशंकर कुशवाहा है। इनके पिता किसान हीरालाल कुशवाहा और माता किसानिन ममता कुशवाहा हैं। ये अपनी मातृभाषा बुन्देली भाषा की कछियाई किसानी बोली को मानते हैं।

ये अपने माता – पिता की चार संतानों में सबसे बड़े हैं। ये अपना आदर्श अपने दादाजी किसान पीताराम कुशवाहा उर्फ पत्तू नन्ना को मानते हैं। जो दो पंचवर्षी जरबौ गाँव के ग्रामप्रधान प्रतिनिधि रहे हैं और सामाजिक – राजनैतिक कार्य करके समाजसेवा करते आ रहे हैं।  ये बुंदेली भाषा सिखाने वाली गुरू और उसमें लेखन कार्य करने की प्रेरक अपनी दादी किसानिन रामकली बाई को मानते हैं।

इनकी प्रारम्भिक शिक्षा – दीक्षा जरबौ गॉंव में प्राईवेट स्कूल सरस्वती ज्ञान मंदिर से हुई। गाँव से कक्षा छठी पास करने के बाद ये बरूआसागर कस्बे में अध्ययन करने लगे। इन्होंने बरूआसागर के सरस्वती विद्या मंदिर  इंटर कॉलेज से हाईस्कूल की परीक्षा 85% अंकों के साथ प्रथम श्रेणी में और जीवविज्ञान विज्ञान वर्ग से इंटरमीडिएट की परीक्षा 85% अंको के साथ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। स्कूली जीवन में इन्होंने सामान्य ज्ञान, निबंध लेखन आदि प्रतिभाग करके कई पुरस्कार अर्जित किए।

अपने दादाजी को राजनीति में सक्रिय देखकर ये भी छात्रराजनीति में सक्रिय होकर अपने स्कूल सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, बरूआसागर जिला झाँसी की छात्र संसद में सन 2014 -15 में उपप्रधानमंत्री और सन 2015 -16 में प्रधानमंत्री रहे।

इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली चले गए। जहाँ इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से सन 2017 – 20 में बी०ए० हिन्दी ऑनर्स की डिग्री 7.7 सीजीपीए के साथ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। स्नातक में इन्होंने हिन्दी भाषा और साहित्य के साथ प्राणीशास्त्र, संस्कृत, अंग्रेजी, दर्शनशास्त्र, पर्यावरण विज्ञान और फ्रेंच भाषा का अध्ययन किया और कॉलेज की विभिन्न समितियों में रहकर व्यक्तित्त्व का चहुँमुखी विकास किया।

इन्होंने कॉलेज की समितियों में विभिन्न दायित्त्वों का निर्वहन किया। जैसे ये राष्ट्रीय सेवा योजना – ग्रामीण विकास विंग (2017 – 18) के सक्रिय स्वयंसेवक, वूमन डेवलपमेंट सेल (2018 – 19) के सदस्य, हिन्दी साहित्य परिषद, हिन्दी विभाग (2018 – 19) के महासचिव;  इक्वल अपॉर्च्युनिटी सेल (2018 – 19) के महासचिव एवं निष्ठा सिविल सर्विसेज सोसायटी (2018 – 19) के संयुक्त सचिव रहे।

साथ ही विजन सोयायटी द्वारा प्रकाशित न्यूज़लेटर हंसविजन के संपादक मंडल के सदस्य रहे और दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों द्वारा आयोजित होने वाले साहित्यिक, सामाजिक और राजनैतिक कार्यक्रमों में एवं रचनात्मक लेखन, वाद – विवाद, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रतिभाग करते रहे।

दिल्ली में छात्र राजनीति में सक्रिय रहते हुए इन्होंने हंसराज कॉलेज छात्र संघ (2019 – 20) के लिए सचिव पद के लिए चुनाव लड़ा लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। फिर ये सिविल सेवा की तैयारी में लग गए।

वैश्विक महामारी कोरोना के कारण लगे देशव्यापी लॉकडाउन में ये दिल्ली से वापिस अपने घर जरबौ गाँव लौट आए और सिविल सेवा की तैयारी के साथ ही झाँसी में रहकर बुंदेलखंड महाविद्यालय (बीकेडी), झाँसी से कानून की पढ़ाई यानी एल०एल०बी० करने लगे।

वर्तमान में कुशराज साहित्य सृजन के साथ ही बीकेडी कॉलेज झाँसी से हिंदी साहित्य में एम०ए० की पढ़ाई कर रहें हैं। साथ ही बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति, झाँसी में सदस्य, कला एवं साहित्य साधकों को समर्पित संस्था – कलार्पण जिला झाँसी में जिला मंत्री, संस्कृत संस्कृति विकास संस्थान जिला झाँसी में जिला संगठन विस्तार प्रमुख, अखिल भारतीय कुशवाहा महासभा जिला झाँसी में जिला संगठन मंत्री जैसे दायित्यों का निर्वहन कर रहे हैं।

कुशराज का लेखन और प्रकाशन कुशराज ने लेखन की शुरूआत हिन्दी में कविता रचने से की। इनकी पहली कविता – “जब से दैनिक जनसेवा मेल आया है। – गिरजाशंकर कुशवाहा”  09 नवम्बर सन 2014 को दैनिक जनसेवा मेल झाँसी के ग्लैमर पत्रांक में प्रकाशित हुई।

इनकी पहली पुस्तक – “पंचायत” (हिन्दी कहानी एवं कविता संग्रह) सन 2022 में मंडलायुक्त झाँसी डॉ० अजय शंकर पांडेय के मार्गदर्शन और हिंदी विभागाध्यक्ष, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी एवं वरिष्ठ लेखक प्रो० पुनीत बिसारिया की अध्यक्षता में गठित बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति, झाँसी की पहल ‘गुमनाम से नाम की ओर’ श्रृंखला के अंतर्गत अनामिका प्रकाशन, प्रयागराज से प्रकाशित।

कुशराज ने विजन सोसायटी, हंसराज कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित न्यूजलेटर ‘हंस विजन’ के सन 2018 – 19, वाल्यूम 3, अंक 2, सीरियल नम्बर 10 एवं वॉल्यूम 6, अंक 1 , सीरियल नम्बर 11 का सम्पादन किया।

बरुआसागर-बुंदेलखंड का ऐतिहासिक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र 

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